Sunday, December 25, 2022

गुड़ खाने के बे‍हतरीन लाभ (स्पेशल गुड सर्दियों के लिए)

गुड़ खाने के बे‍हतरीन लाभ (स्पेशल गुड सर्दियों के लिए)

1- काजू -1kg
2- बादाम -1kg
3- सोंफ - 500gm
4- मगज - 1 kg
5- अजवान - 200 gm
6- मूंगफली - 4 kg
7- तिल - 2 kg
8- इलाइची - 100 gm
9- घी - 1 kg -
10 -गोला (खोपरा)  - 4 kg
गुड - 50 kg


गुड़ खाने के बे‍हतरीन लाभ :

गुड़ के लाभ सभी तक पहुंचायें
आप स्वस्थ हों देश स्वस्थ हो और साथ ही अपना व देश का करोड़ों रुपये बचायें
★ गन्ने के रस से गुड़ बनाया जाता है। गुड़ में सभी खनिज द्रव्य और क्षार सुरक्षित रहते हैं।
★ गुड़ का सेवन करने से शरीर में होने वाले कई प्रकार के रोग ठीक हो जाते हैं। मिठाई और चीनी की अपेक्षा गुड़ अधिक लाभकारी है।
★ गुड़ से कई प्रकार के पकवान बनाये जाते हैं जैसे- हलुआ, चूरमा तथा लपसी आदि।
★ गुड़ खाने से थकावट मिट जाती है। परिश्रमी लोगों के लिए गुड़ खाना अधिक लाभकारी है। मटके में जमाया हुआ गुड़ सबसे अच्छा होता है।
★ पुराना गुड़ का गुण : पुराना गुड़ हल्का तथा मीठा होता है। यह आंखों के रोग दूर करने वाला, भुख को बढ़ने वाला, पित्त को नष्ट करने वाला, शरीर में शक्ति को बढ़ाने वाला और वात रोग को नष्ट करने वाला तथा खून की खराबी को दूर करने वाला होता है।
★ अदरक के साथ गुड़ खाने से कफ खत्म होता है। हरड़ के साथ इसे खाने से पित्त दूर होता है तथा सोंठ के साथ गुड़ खाने से वात रोग नष्ट होता है।

आधुनिक विज्ञान के अनुसार : 100 ग्राम गुड़ में लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग खनिज द्रव्य होता है। चीनी में खनिज द्रव्यों और क्षारों का अभाव होता है। इसलिए चीनी की अपेक्षा गुड़ खाना अधिक लाभकारी होता है। गुड़ में बिटामिन `बी´-1, `बी´-2, विटामिन `सी´ और अल्पमात्रा में विटामिन `ए` होता है।
प्रकृति : गुड़ की प्रकृति गर्म होती है।

गुड के औषधीय गुण  :गुड़ पेट को हल्का तथा साफ करता है। यह आंतों के घावों को ठीक करने में लाभकारी है तथा सर्दी-जुकाम की अवस्था में इसका सेवन करना अधिक फायदेमन्द होता है। यह कफ को नष्ट करता है तथा हाजमें को बढ़ाता है। गुड़ खांसी और सांस को रोकता है। इसका जला हुआ खार खांसी को दूर करता है।

गुड़ सेवन से रोगों का उपचार (औषधीय प्रयोग):

१) जीभ और मुंख का सूखापन: गुड़ में जायफल 360 से 480 मिलीग्राम मिलाकर खायें। प्रतिदिन सुबह शाम इसके सेवन से जीभ और चेहरे का सूखापन दूर हो जाता है।
२) कब्ज: 2 से 4 ग्राम गुड़ के साथ हरीतकी का चूर्ण सुबह और शाम सेवन करने से कब्ज की समस्या दूर होती है।
३) कैन्सर: 2 चम्मच गुड का शीरा 1 कप पानी में मिलाकर दिन में 3 बार पिलायें, 90 दिन तक लगातार ऐसा करने से कैंसर ठीक हो जाता है।
४)गला बैठना:
• 250 मिलीग्राम से 950 मिलीग्राम गुग्गुल को गुड़ के साथ रोजाना 3 से 4 बार सेवन करने से गले का बैठना ठीक हो जाता है।
• 10 ग्राम उबले हुए चावल, 10 ग्राम गुड़ और 40 मिलीलीटर पानी एक साथ मिलाकर पका लें और पकने पर उसमें घी मिलाकर दिन में सुबह और शाम बार सेवन करने से आराम मिलता है।
५) अग्निमान्द्य (अपच):
• गुड़ के साथ जीरा मिलाकर सेवन करने से भुख का कम लगना (अग्निमान्द्य), शीत, और वात रोग में लाभ मिलता है।
• गुड़ और सोंठ का चूर्ण मिलाकर खाने से अपच की समस्यां दूर हो जाती है।
६) सर्दी, खांसी तथा जुकाम:
• 10 ग्राम गुड़ को 40 ग्राम ताजे दही और 3 ग्राम काली मिर्च के चूर्ण के साथ रोजाना सुबह 3 दिनों तक नियमित लेने से जुकाम ठीक हो जाता है।
• सर्दी के मौसम में ठण्ड से बचने के लिये गुड़ और काले तिल के लड्डू खाने चाहिये। इसको खाने से जुकाम और खांसी आदि रोग नहीं होते हैं।
• 100 ग्राम गुड़ में 1 चम्मच पिसी हुई सोंठ और 1 चम्मच कालीमिर्च मिलाकर इसके 4 भाग कर लें। इसे दिन में 4 बार खाने से खांसी व जुकाम में लाभ मिलता है।
• सर्दी के मौसम में काले तिल के साथ गुड़ मिलाकर खाने से खांसी, जुकाम और ब्रोंकाइटिस जैसे कष्टकारी रोगों नहीं होते हैं।
• यदि जुकाम की अवस्था अधिक गंभीर हो तो 30 ग्राम पुराना गुड़, 6 ग्राम पिसी हुई काली मिर्च और 60 ग्राम दही को एक साथ मिलाकर सुबह और शाम को खाने से जुकाम ठीक होकर दुबारा नहीं होता है। जुकाम बिगड़ जाने के कारण हल्का बुखार, अरुचि (खाने का मन नहीं करना), बलगम गिरना, खांसी, नाक में से बदबूदार पानी निकलना, सिर दर्द आदि लक्षण उत्पन्न हो तो गुड़ का सेवन करने से लाभ मिलता है।
• सर्दी के मौसम में गुड़ और काले तिल के लड्डू बनाकर खाने से जुकाम, खांसी, दमा व ब्रांकाइटिस आदि रोग दूर हो जाते हैं। ये रोग न होने की अवस्था में भी तिल-गुड़ के लड्डू खाने से शरीर स्वास्थ्य रहता है और खांसी, जुकाम जैसे रोग नहीं होते हैं।
७) दमा:
• दमा रोग होने पर 3 ग्राम से 10 ग्राम तक की मात्रा में गुड़ और इसके बराबर ही सरसों का तेल इसमें मिलाकर 21 दिनों तक सेवन करें इससे लाभ मिलेगा।
• 15 ग्राम गुड़ और 15 ग्राम सरसों का तेल मिलाकर चाटने से लाभ दमा व सूखी खांसी का रोग ठीक होता है।
• 10 ग्राम गुड़ तथा 10 ग्राम सरसों का तेल मिलाकर खाने से 30 दिन अथवा 40 दिन में श्वास रोग ठीक हो जाता है।
• 10 ग्राम गुड़ तथा 10 ग्राम सरसों का तेल को आपस में मिलाकर लेप जैसा बना लें और इसे कम से कम 40 से 60 दिनों तक प्रतिदिन सुबह तथा शाम को चाटें। इसी प्रकार 40 या 60 दिनों तक चाटने से श्वास रोग जड़ से नष्ट हो जाता है।
• दमे के रोगियों को सर्दी के मौसम में गुड़ और काले तिल के लड्डू का सेवन कराएं इससे उसे अधिक लाभ मिलेगा। दमा न होने पर भी इसका सेवन करने से कई प्रकार के रोग नहीं होते हैं जैसे- दमा, खांसी तथा जुकाम आदि।
८) कफ, विसर्प और हृदय रोग:
• कफ, विसर्प और हृदय के रोग होने पर गुड़ और घी को बराबर मात्रा में मिलाकर सेवन करने से लाभ मिलता है।
• हृदय रोगियों को गुड़ का सेवन कराना लाभकारी होता है इससे यह रोग ठीक हो जाता है।
• हृदय की कमजोरी तथा शारीरिक कमजोरी को दूर करने के लिए गुड़ खाना लाभकारी होता है।
९) मूत्रकृच्छ (पेशाब करने में कष्ट या जलन): गुड़ को आंवले के चूर्ण के साथ सेवन करने से वीर्य की वृद्धि होती है, कीड़े खत्म होते हैं व प्यास भी मिट जाती है। इसके सेवन करने से पेशाब करने पर कष्ट तथा जलन होने की समस्यां दूर हो जाती है।
१०) पेट के रोग:
• गुड़ के साथ बेलगिरी का चूर्ण मिलाकर सेवन करने से खूनी दस्त, दर्द, मल का रूक कर आना और पेट का बड़ा होना आदि आदि रोग ठीक हो जाते हैं।
• गुड़ में एक चम्मच अजवायन मिलाकर चाटने से पेट दर्द ठीक हो जाता है।
• भोजन करने के बाद छोटी-सी गुड़ की डली 10 ग्राम की मात्रा में मुंह में रखकर धीरे-धीरें चूसने से मुंह में खट्टा पानी आना बंद हो जाता हैं, इससे अम्लपित्त, पेट की गैस, मुंह के छाले, हृदय की कमजोरी और शरीर का ढ़ीलापन दूर हो जाता है।
• गुड़ में काकजंगा मिलाकर खाने से पेट की बीमारीयां ठीक हो जाती हैं।
• गुड़ के साथ लालमिर्च का सेवन करने से पेट दर्द में आराम मिलता है।
• 10 ग्राम गुड़ को खाना खाने के बाद लेने से पेट में गैस बनने की समस्यां दूर हो जाती है।
• गुड़ और मेथी दाना को पानी में उबालकर इस पानी को पीने से पेट में गैस बनने की शिकायत दूर हो जाती है।
• खाने के बाद 25 ग्राम गुड़ प्रतिदिन खाने से पेट का गैस, पेट का बढ़ना आदि रोग ठीक हो जाता है तथा शरीर का स्वास्थ्य भी बना रहता है।
११) खून में दोष: गुड़ के साथ अजवायन का चूर्ण मिलाकर सेवन करने या गुड़ को पानी में डालकर काढ़ा बनाकर 7 दिनों तक सेवन करने से खून में उत्पन्न दोष दूर हो जाते हैं।
१२) गुर्दे में दर्द: गुर्दे में दर्द होने पर 10 ग्राम गुड़ और बुझा हुआ चूना आधा ग्राम दोनों को मिलाकर 2 गोलियां बना लें। पहले 1 गोली गर्म जल से लें। यदि इससे दर्द दूर न हो तो दूसरी गोली फिर लें, इससे दर्द ठीक हो जाएगा।
१३) पुत्रोत्पत्ति:
• जिनके बार-बार कन्या (बेटी) पैदा होती है, यदि वे पुत्र उत्पन्न करना चाहते हैं तो एक मोर के पंख का चंद्रमा की शक्ल वाला भाग काट-पीसकर इसे थोड़ा गुड़ में मिलाकर 1 गोली बना लें। इसी प्रकार से मोर के तीन पंखों की तीन गोलियां बना लें। गर्भ के दूसरे महीने के अंत में, जब स्त्री का दाहिना स्वर चल रहा हो, अर्थात दाहिने नथुने से श्वांस चल रहा हो तो प्रतिदिन प्रात: 1 गोली तीन दिन तक जीवित बछड़े वाली गाय के दूध में मिलाकर खिला दें। उस दिन केवल गाय के दूध का ही सेवन करें। खाना न खाएं शाम को चावल खा सकते हैं। ऐसा करने से निश्चय ही पुत्र उत्पन्न होगा और चांद जैसा गोरा बच्चा पैदा होगा। यह हजारों बार परीक्षित है।
• जिस स्त्री के कन्या ही कन्या जन्म लेती हो उसे मासिकधर्म में पलास (ढाक) का एक पत्ता दूध में पीसकर पिला दें। ऐसा करने के बाद जो सन्तान होगा, वह पुत्र ही होगा।
१४) आधे सिर में दर्द (माइग्रेन): दर्द सूर्य के निकलने तथा अस्त होने के साथ घटे-बढे़ उसे दूर करने के लिए 12 ग्राम गुड़ को 6 ग्राम घी के साथ मिलाकर सुबह सूर्योदय से पहले तथा रात को सोते समय खाएं। इससे लाभ मिलेगा।
१५) आंखों का रोग:
• गुड़ को रात के समय में पानी में भिगोंकर रखें और सुबह साफ कपड़े से छान लें। इस पानी को 100 बार छानकर पीने से आंखों का दर्द ठीक हो जाता है। गुड़ को जितनी अधिक बार छाना जाएगा, वह उतना ही अधिक ठंडा होगा और उतना ही अधिक लाभ प्रदान करेगा।
• गुड़ या चीनी मिलाकर अंजन (काजल) बना लें। इस काजल को आंखों में लगाने से आंखों में से पानी झर जाता है और धुंऐ से होने वाला आंखों का रोग ठीक हो जाता है।
१६) कनखजूरे के काटने के कारण आई सूजन: गुड़ को जलाकर कनखजूरे के काटे हुए स्थान पर लगाने से लाभ मिलता है। काटने के कारण सूजन आई हो तो वह भी मिट जाती है।
१७) उर:क्षत (छाती में जख्म): यदि छाती के अन्दर का मांस फट गया हो और जख्म हो गया हो तो इसे ठीक करने के लिए दिन में 3 बार गुड़ का सेवन करें इससे लाभ मिलेगा।
१८) पेशाब साफ न आना: गर्म दूध में गुड़ मिलाकर पीने से पेशाब साफ और खुलकर आता है। पेशाब की रुकावट दूर हो जाती है। इसका प्रयोग प्रतिदिन 2 बार करने से लाभ मिलता है।
१९) हिचकी:
• पुराना सूखा गुड़ पीसकर इसमें पिसी हुई सोंठ मिलाकर सूंघने से हिचकी का आना बंद हो जाता है।
• पुराना सूखा गुड़ तथा इसमें सोंठ मिलाकर छोटी-छोटी गोली बना लें फिर एक-एक गोली चूसने से हिचकी में आराम मिलता है ।
• रोज़ाना दिन में सुबह और शाम गुड के साथ लगभग 4 ग्राम सज्जीखार का 21 दिन तक सेवन करने से हिचकी आना बंद हो जाता है।
२०) पेट के कीडे:
• पेट के कीड़े मारने के लिए पहले रोगी को गुड़ खिलायें इससे आंतों में चिपके कीड़े निकलकर बाहर आ जाएंगे फिर कृमिनाशक औषधि लेने से कीड़े सरलता से बाहर निकल आते हैं।
• 20 ग्राम गुड़ को खाने के बाद 1 ग्राम खुरासानी अजवायन को बारीक पीसकर चूर्ण बना लें फिर इसे पानी के साथ लें इससे पेट की आंतों में मौजूद कीड़े मरकर मल के द्वारा बाहर निकल जाते हैं।
• 25 ग्राम से लेकर 40 ग्राम की मात्रा में गुड़ खाने के बाद लगभग 15-20 मिनट के बाद कबीला या वायविंडग के चूर्ण को 10 ग्राम की मात्रा के रूप में गर्म पानी के साथ पीने से आंतों के कीड़े मरकर मल के द्वारा बाहर निकल जाते हैं।
• पुराना गुड़ 60 ग्राम में 3 ग्राम कमीला को मिलाकर सेवन 3 दिन तक सेवन करने से लाभ मिलता है।
• 10 ग्राम गुड और 1 ग्राम खुरासानी अजवायन को शीतल पानी के साथ पीने से लाभ मिलता है।
• 1 चम्मच अजवायन को पीसकर चूर्ण बना लें इसको गुड़ में मिलाकर रोजाना खाने से पेट के कीड़ें मर जाते हैं।
२१) कांच, कांटा व पत्थर चुभन: शरीर के किसी भी भाग के त्वचा में यदि कांटा चुभ गया हो तो उसे बाहर निकालने के लिये गुड़ और अजवाइन गर्म करके उसे स्थान पर बांधे जहां कांटा चुभा पड़ा हो और इससे कांटा बाहर निकल जाएगा तथा दर्द भी ठीक हो जाएगा।
२२) शरीर में रसोली का बनना: आधे कप पानी में 1 चम्मच गुड़ का शीरा मिलाकर दिन में 3 बार देने से शरीर के अन्दर की रसोली, कैंसर की गांठ (फोड़ा) ठीक हो जाता है। इस प्रयोग से रक्त की गांठे पिघल जाती हैं और रोग जल्दी ठीक हो जाता है।
२३) मलेरिया का बुखार: 10 ग्राम गुड़, 3 ग्राम काला जीरा मिलाकर दिन में 4 बार 2 घण्टे के अंतर से 2-3 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से मलेरिया बुखार की अवस्था में लाभ मिलता है।
२४) बुखार:
• गुड़ की शर्बत के साथ अर्जुन पेड़ की छाल का चूर्ण सेवन करने से जीर्ण बुखार में बहुत लाभ मिलता है।
• गुड़ के साथ अजवायन खाने से कब्ज़ दूर होती है। पूरे शरीर में फैले दर्द से उत्पन्न बुखार ठीक हो जाता है।
• 10 ग्राम गुड़ के साथ 10 आंवले का चूर्ण सुबह और शाम सेवन करने से बुखार में लाभ मिलता है।
२५) एलर्जिक का बुखार: पुराने गुड़ में अदरक का रस मिलाकर सुबह और शाम पीने से शीत पित्त के एलर्जिक का बुखार में आराम मिलता है। इससे भूख न लगने की शिकायत भी दूर हो जाती है।
२६) सूखी खांसी: सूखी खांसी वाले रोगी को 15 ग्राम गुड़ के साथ 15 ग्राम सरसों के तेल मिलाकर सेवन कराएं इससे सूखी खांसी ठीक हो जाती है।
२७) मुंह की दुर्गन्ध: मूली खाने के बाद गुड़ खाने से डकार में बदबू नहीं आती है।
२८) बहरापन (सुनाई न देना): 10 ग्राम पानी में 2 ग्राम गुड़ और 2 ग्राम शुंठी के चूर्ण को अच्छी तरह मिलाकर कान में बूंद-बूंद करके डालने से बहरापन ठीक हो जाता है।
२९) खूनी अतिसार– 2 से 4 ग्राम गुड़ के साथ हरीतकी चूर्ण मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से खूनी अतिसार में लाभ मिलता है।
३०) नष्टार्तव (मासिकधर्म का बंद हो जाना): गुड़ के साथ काले तिल मिलाकर काढ़ा बना लें। इसे ठंडा करके पीने से बहुत समय का रुका हुआ मासिकधर्म शुरू हो जाता है।
३१) भगन्दर: पुराना गुड़, नीलाथोथा, गन्दा बिरोजा तथा सरेस इन सबको बराबर मात्रा लेकर थोड़े से पानी में घोंटकर मलहम बना लें तथा उसे कपड़े पर लगाकर भगन्दर के घाव पर रखने से कुछ दिनों में ही यह रोग ठीक हो जाता है।
३२) नहरूआ (स्यानु): नहरूआ के रोगी को कबूतर की बीट के साथ गुड़ मिलाकर देने से रोग में आराम मिलता है।
३३) नाखूनों का अन्दर की ओर बढ़ना:गन्ने के गुड़ में पिसी हुई हल्दी मिलाकर नाखून पर बांधने से दर्द व जलन में आराम मिलता है।
३४) नासूर (पुराना घाव): गुड़ में सांप की कांचली 120 मिलीग्राम मिलाकर घाव पर लगाने से घाव से खून का निकलना बंद हो जाता है।
३५) पैरों की नस फूल जाना: पैरों की नशें फूल जाने पर रोगी को एक चम्मच गुड़ शीरा एक कप पानी में मिलाकर दिन में तीन बार पीयें। इससे नसों का फूलना ठीक हो जाता है।
३६) फीलपांव (गजचर्म):
• फीलपांव के रोगी का रोग ठीक करने के लिए 10 ग्राम हल्दी का चूर्ण 20 ग्राम गुड़ में मिलाकर कांजी के साथ प्रतिदिन खायें।
• 2 से 4 ग्राम हल्दी और गुड़ को गाय के पेशाब के साथ प्रतिदिन सुबह-शाम सेवन करने से फीलपांव ठीक हो जाता है।
३७) होठों का फटना: मोम, गुड़ और राल को बराबर मात्रा में मिलाकर इसमें तेल या घी डालकर पका लें। इसको होठों पर लगाने से होठों की कठोरता और फटना ठीक हो जाता है।
३८) सिर का दर्द: लगभग 10 ग्राम गुड़ को और 5 ग्राम घी में मिलाकर सेवन करने से सिर का दर्द दूर हो जाता है।
३९) बालरोग हितकर: अगर बच्चे को जल्दी बढ़ाना हो, तो गु़ड़ और प्याज को मिलाकर कुछ दिन तक खिलायें। अगर बच्चे की चेतन्यता (दिमागी शक्ति) बढ़ानी हो तो मक्खन और छुहारे खिलायें।
४०)पैर का फटना: अगर पैर फट गये हों तो औरत का दूध, गुड़, घी, शहद और गेरू बराबर मात्रा में लेकर लेप बना लें और इसे पैर के फटे हुए स्थान पर लगाएं इससे पैर कमल और मुलायम हो जायेंगें।
४१) सफेद प्रदर: 2 ग्राम पुराना गुड़ रोजाना सुबह-शाम सेवन करने से सफेद प्रदर ठीक हो जाता है।
४२) यकृत का बढ़ना: 1.5 ग्राम पुराना गुड़ और बड़ी (पीली) हरड़ के छिलके का चूर्ण बराबर मात्रा में मिलाकर गोली बनायें और यह गोली दिन में 2 बार सुबह-शाम हल्के गर्म पानी के साथ 1 महीने तक लें। इससे यकृत (लीवर) और प्लीहा (तिल्ली) यदि दोनों ही बढे़ हुए हों तो यह रोग ठीक हो जाता है।
४३) शीतपित्त: गुड़ के साथ अदरक का रस 1 चम्मच से 2 चम्मच की मात्रा में सेवन करें। इसके 2 से 3 मात्रायें प्रतिदिन सेवन करें। इससे शीत-पित्त रोग ठीक हो जाता है।
४४) गिल्टी (ट्यूमर): गुड़ में 10-10 ग्राम गुगल और सुहागा एक साथ मिलाकर गिल्टी पर लेप करने से लाभ मिलता है।
४५) गुल्म: गुड़, भांरगी और छोटी पीपल को बराबर मात्रा में लेकर पीसकर छान लें। इस चूर्ण को 2 से 4 ग्राम तक की मात्रा में काले तिलों के काढ़े के साथ सेवन करने से खूनी गुल्म ठीक हो जाते हैं।
४६) पेशाब करने में रुकावट: 10 ग्राम गुड़ और एक चम्मच कच्ची अजवाइन 15 दिन तक खाने से पेशाब के रोग दूर होते हैं।
४७) खाज-खुजली: जिन व्यक्तियों को रक्त विकार (खून मे खराबी) हो उन्हे चाय, दूध, लस्सी आदि में चीनी की जगह गुड़ का सेवन करना चाहिये। ऐसा करने से खून साफ होकर खुजली दूर होती है।

भोजन के बाद गुड़ खाने से भोजन को गुड़ पचाता है और चीनी खाने से भोजन पचने के बाद उत्प्पन शक्ति से चीनी को पचाना पड़ता है

गुड़ खाने के नुकसान : गुड़ का अधिक मात्रा में सेवन करना गर्म प्रकृति वाले व्यक्तियों के लिए हानिकारक हो सकता है। बसन्त ऋतु में गुड़ नहीं खाना चाहिए क्योंकि इस मौसम में इसका सेवन हानिकारक हो सकता है। पित्त प्रकृति वालों को भी नया गुड़ कभी नहीं खाना चाहिए। मोटापन, बुखार, भूख कम लगना, जुकाम और मधुमेह आदि रोगों की अवस्था में गुड़ नहीं या कम खाना चाहिए या खाने के बाद निम्बू का उपयोग या त्रिफला,दालचिनी या आँवला के साथ करना चाहिए। उड़द, दूध के साथ कभी भी गुड़ का सेवन साथ में नहीं करना चाहिए उसके पहले या बाद में करना उत्तम होता है।Contact for more information  +91-9729510363

Sunday, November 6, 2022

प्रदूषण (जहरीली हवा) से बचने के उपाय

1-खाना खाने के बाद थोड़ा सा गुड़ जरूर खाएं  गुड़ खून साफ करता है।  इससे आप प्रदूषण से बचे रहेंगे।
-फेफड़ों को धूल के कणों से बचाने के लिए आप रोजाना एक गिलास गर्म दूध जरूर पियें।

2.-अदरक का रस और सरसों का तेल नाक में बूंद-बूंद कर डालने से भी आप हानिकारक धूल कणों से भी बचे रहेंगे!
- खुद को प्रदूषण के प्रभाव से बचाने के लिए आप ज्यादा से ज्यादा पानी का सेवन करें।
- शहद में काली मिर्च मिलाकर खाएं, आपके फेफड़े में जमी कफ और गंदगी बाहर निकल जाएगी।

3.-अजवायन की पत्तियों का पानी पीने से भी व्यक्ति का खून साफ होने के साथ शरीर के भीतर मौजूद दूषित तत्व बाहर निकल जाते हैं।

4.-तुलसी प्रदुषण से आपकी रक्षा करती है, इसलिए रोजाना तुलसी के पत्तों का पानी पीने से आप स्वस्थ बने रहेंगे।
-ठंडे पानी की जगह गर्म पानी का सेवन करना शुरू कर दें। 


 

Measures to avoid pollution (poisonous air)

 
After eating food, definitely eat a little jaggery, jaggery purifies the blood. This will save you from pollution.
To protect the lungs from dust particles, you must drink a glass of warm milk daily.

2. By putting ginger juice and mustard oil drop by drop in the nose, you will also be saved from harmful dust particles!
To protect yourself from the effects of pollution, drink more and more water.
Eat black pepper mixed with honey, the phlegm and dirt in your lungs will come out.

3. By drinking water from oregano leaves, along with purifying the blood of the person, the contaminants present inside the body come out.

4.-Tulsi protects you from pollution, so drinking water of basil leaves daily will keep you healthy.
Start drinking hot water instead of cold water.

रसेन्द्र चूड़ामणि रस(अक्सीरी योग)

रसेन्द्र चूड़ामणि रस पुरातन आयुर्वेद का अक्सीरी योग है।जिस को पुराने समय में राजे, महाराजे,अमीर लोग लेते थे और उनके संबन्ध अनेक औरतों से बने रहते थे।यह योग आप को अपना प्रभाव तुरन्त ही दिखाता है।
यह योग आयुर्वेद के शक्तिशाली प्रसिद्ध योगों में से एक योग है।जिस का आप एक महीना सेवन करने से आप के शरीर की सभी कमजोर धातु की पूर्ति हो जाती है।
नामर्द,तनाव की कमी,शीघ्रपतन,इच्छा में कमी, वीर्य की कमी,शुगर की समस्या, घुटनो में दर्द आदि बहुत से रोगों को जड़ से खत्म करने की ताकत रखता है।
जिन को कोई समस्या या परेशानी नही है या वोह लोग जो एक से ज्यादा औरतों में रुचि रखते है।इस योग का इस्तमाल कर सकते है।
इस योग से आप लम्बा समय तक जवानी की मौज मान सकते हो।

इस योग को कुछ दिन ही लेने से नया जोश,जवानी,चेहरे पर नूर,शरीर में चुस्ती फुर्ती लोट आती है,,आखों में अजीव सी चमक दिखती है।

रसेन्द्र चूड़ामणि रस योग को आप जितनी मेहनत,और लगन से बनायेगे यह उतना ही प्रभावशाली होगा।
इस योग को आप किसी अच्छे भारोसेयोग वैद,हकीम से बना सकते हो।
इस योग की बनाने की विधि इस प्रकार है।

शुद्ध पारद भस्म 1 भाग
स्वर्ण भस्म 2 भाग
नाग भस्म 100 पुत्ती 3 भाग
अभ्रक भस्म 1000 पुत्ती 4 भाग
बंग भस्म 5 भाग
अतुल शक्ति दाता योग 164 पुती 6 भाग
चांदी भस्म 7 भाग
स्वर्ण माक्षिक 8 भाग

इन सब को मिला कर धतूरे के पतों के रस और भांग के पतों के रस में तीन दिन खरल करें!। फिर मघाँ, गिलोय, भड़िंगी, अंबरबेल, खस, नागरमोथा, शुद बचनाग, मुलठी, शतावर, कौंच के रस जा काड़े की सात- सात भावना देवें। जब सारी दवाई सूख जाये तो इसके कुल वजन की आधी शुद्ध अफीम मिला कर । तुलसी और पान के पत्तो के रस में घोटकर 1-1 रत्ती की गोलियां बना कर छाया में सुखा लें I सूखने के बाद इन गोलियों को किसी कांच की शीशी में भर कर रख ले। आप का महाशक्तिशाली अक्सिरी रसेन्द्र चूड़ामणि रस त्यार है।

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The harder you make Rasendra Chudamani Ras Yoga, the more effective it will be.
You can make this yoga with any good Bharoseyoga Vaid, Hakeem.
The method of making this yoga is as follows.

Pure Parad Bhasma 1 part
Swarna Bhasma 2 parts
Nag Bhasma 100 Putti 3 parts
Abhrak Bhasma 1000 Putti 4 parts
Bang Bhasma 5 parts
Atul Shakti Data Yoga 164 Puti 6 Parts
Chandi Bhasma 7 parts
Swarna Makshik 8 parts

Mix all these and mix it with the juice of datura leaves and the juice of hemp leaves for three days. Then go to the juice of Maghan, Giloy, Bhadingi, Amberbell, Khas, Nagarmotha, Shud Bachnag, Multhi, Shatavar, Kaunch and give seven spirits of Kada. When all the medicine dries up, add half of its total weight to pure opium. Make 1-1 ratti tablets by mixing them in the juice of basil and betel leaves and dry them in the shade. After drying, keep these tablets in a glass vial. Your superpowerful Aksiri Rasendra Chudamani Ras is ready.  (GB)

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Saturday, July 2, 2022

चश्मा हटाने का उपचा

 चश्मा हटाने का उपचार
ज्यादा देर तक कंप्यूटर पर काम करते हुए या किताब, टीवी देखते हुए आंखे दर्द करने लगती है तो यह खतरे की घंटी हो सकती है। ऎसे में आंखों की रोशनी कमजोर होने से आपकी आंखों पर चश्मा चढ़ जाता है।
चश्में से छुटकारा पाने के लिये कुछ घरेलू उपाय जिनसे आसानी से चश्मे से छुटकारा मिलेगा।
हथेली
अपनी दोनों हथेलियों को आपस में रगड़े, जिससे गर्मी पैदा होगी।
फिर आंखे बंद करके हथेलियों को आंखों पर रखें।
ध्यान रहें आंखों पर हाथ रखते पर रोशनी बिल्कुल ना आएं।
दिन में ऎसा 3-4 बार करें।

कालीमिर्च
दो चुटकी कालीमिर्च पाउडर में एक चम्मच शहद मिलाकर मिश्रण तैयार कर लें और रोजाना इसका सेवन करें।
इससे आंखों की रोशनी बेहतर होती है और चश्मे से छुटकारा मिलता है।

चीनी और धनिया की आई ड्रॉप
तीन भाग धनिया के साथ एक भाग चीनी मिक्स करें।
दोनों को पीसकर पेस्ट बना लें।
फिर इसे पानी में गर्म करें और एक घंटे के लिए कवर करके रख दें।
फिर एक साफ कॉटन का कपड़ा लेकर इस मिश्रण को छान लें और आंखों में आई ड्रॉप की तरह इस्तेमाल करें।

भरपूर नींद
आधुनिक लाइफस्टाइल में अनिद्रा की समस्या बहुत कॉमन है।
अगर पूरी नींद नहीं लेंगे तो इसका असर आंखों पर भी पड़ेगा।
जिससे आंखों के नीचे डार्क सर्कल्स तो होंगे ही, साथ ही आंखों की रोशनी भी कम होगी। इसलिए एक दिन में 7-9 घंटे की नींद बहुत जरूरी है।

एक्सरसाइज
चश्मा हटाने का सबसे कारगर उपाय है आंखों की एक्सरसाइज।
रोज आंखों की एक्सरसाइज करने से आंखे मजबूत होती है और आंखों की रोशनी भी बेहतर होती है।
अगर रोज आंखों की एक्सरसाइज करें तो इससे आपका चश्मा भी हट सकता है।

तांबे के बर्तन में रखा पानी
एक लीटर पानी को तांबे के जग में रात भर के लिए रख दें और सुबह उठकर इस पानी को पीएं।
तांबे में रखा पानी शरीर विशेषकर आंखों को बहुत फायदा पहुंचाता है।

शहद
बादाम को गर्म पानी में कुछ देर रखें, फिर गल जाने पर इसके छिलके उतार दें और इसमें एक चम्मच शहद मिला लें।
इस मिश्रण को रोज खाएं, इससे कमजोर आंखे ठीक होती है और आंखों की रोशनी बढ़ती है।

सूर्य की रोशनी
सूर्य की रोशनी आंखों के लिए बहुत लाभदाक है।
इससे आंखों के लेंस और सिलिअरी मांसपेशियों को रिएक्टिवेट होती है।
इसके लिए रोज कुछ मिनट बंद आंखों पर धूप सेंके। इससे आंखों की रोशनी तेज होती है।

ड्राई फ्रूट्स
रातभर 6-7 बादाम, 15 किशमिश और दो अंजीर पानी में भिगोकर रखें और फिर अगली सुबह इन्हें खाली पेट खा लें।
इसमें पाए जाने वाले फाइबर और विटामिन से आंखों की रोशनी तेज होती है।

सौंफ का शर्बत

 सौंफ का शर्बत
पेट की समस्याओं के लिए पिएं एक्सपर्ट का बताया ये सौंफ का शर्बत
अगर आपको पेट ठंडा करने के लिए कुछ अच्छी ड्रिंक पीनी है तो सौंफ का शर्बत बहुत अच्छा साबित हो सकता।
 

गर्मियों का मौसम शुरू हो गया है और इस मौसम में जितना पेट को ठंडा रखा जाए उतना ही अच्छा होता है। गर्मियों के मौसम में अक्सर हम पेट से जुड़ी कई समस्याओं से दो-चार होते हैं। अगर देखा जाए तो ये मौसम कई लोगों को काफी समस्याएं दे देता है।
गैस, अपच, उल्टी, दस्त आदि बहुत सारी समस्याएं सिर्फ पेट में गर्मी बढ़ने के कारण हो सकती हैं।
ऐसे में क्यों न पेट को ठंडा करने के लिए कोई उपाय कर लिया जाए?

आयुर्वेद में पेट को ठंडा करने के लिए सौंफ का शर्बत पीने को कहा गया है। आयुर्वेदिक डॉक्टर दीक्षा भावसार (BAMS) ने भी इसके बारे में जानकारी दी है। डॉक्टर दीक्षा ने इस शर्बत के फायदे के बारे में बताया कि पेट की गर्मी को शांत करने के लिए ये शर्बत काफी उपयोगी साबित हो सकता है।


सौंफ के शर्बत से होते हैं ये फायदे-
सौंफ के शर्बत से आप पेट की गर्मी शांत कर सकते हैं
सौंफ में फ्लैवोनॉइड्स होते हैं जो सलाइवा का फ्लो ठीक रखते हैं जिससे मुंह नहीं सूखता।
ये मुंह की दुर्गंध को भी ठीक करता है।

सौंफ का शर्बत

सौंफ को अक्सर खाना खाने के बाद इस्तेमाल किया जाता है और इसे माउथ फ्रेशनर का काम लिया जाता है, लेकिन यकीन मानिए सौंफ का काम बहुत हद तक मुंह के स्वास्थ्य को ठीक रखना है।
ये काफी अरोमैटिक होती है और इसलिए ये मुंह की दुर्गंध से काफी अच्छे से लड़ती है। इसे आप दिन में कई बार ऐसे ही खा सकते हैं, लेकिन सौंफ का शर्बत खासतौर पर आपके पेट के लिए होता है जो पेट की कई समस्याओं का इलाज बन सकता है।

पर आखिर ये सौंफ का शर्बत बनाया कैसे जाए?
इसके लिए भी डॉक्टर दीक्षा ने रेसिपी बताई है.!


सामग्री-
2 चम्मच सौंफ का पाउडर
थोड़ी सी मिश्री
2 ग्लास पानी
पुदीना, इलाइची (ऑप्शनल)
बस इस शर्बत को बनाना इतना ही आसान है।
आपको मिश्री अपने स्वादानुसार लेनी होगी।
आप इन सभी चीज़ों को अच्छे से मिलाएं और आपकी ड्रिंक तैयार है।
अगर आपके पास पहले से ही सौंफ का पाउडर मौजूद है तो इसे पूरा बनाने में आपको सिर्फ 5 मिनट ही लगेंगे!
पानी ठंडा लीजिए तो ज्यादा राहत मिलेगी और इसे दोपहर के खाने के बाद गर्मियों में लिया जा सकता है।

Friday, July 1, 2022

मोमिया सिंगरफ (बिल्कुल नामर्द हो...)

 मोमिया सिंगरफ

मोमिया सिंगरफ बहुत ही शक्तिवर्धक योग है ,,जिस की कुछ खुराक ही बिल्कुल नामर्द हो चुके व्यक्ति को मर्द बना देती है,,,,यह योग एक चमत्कारी योग है।जो बिल्कुल निराश हो गए मानुष की जिन्दगी में खुशी की लहरे भर देती है।
मोमिया सिंगरफ बहुत ही उत्तेजक , काम वर्धक है , दूध , घी को पाचाती है।
इस बनाने की विधि --
सब से पहले सिंगरफ 2 तोला और 250 ग्राम आक का दूध ले।
इस आक के दूध को कड़छी में डाल दे और सिंगरफ को भी इस आक के दूध वाली कड़छी में डाल कर मंद मंद आग पर पकाए कि सारा दूध जजब हो जाए।

इसी प्रकार आप को आक के दूध की 100 पुठ देनी है।
इस के बाद आप को सिंगरफ को एक चीनी के कप में रात भर रख देना है।सुबह आप को कप में सिंगरफ मोम की जैसे गाड़ा लेप येहा मिलेगा,,,इसी को मोमिया सिंगरफ कहते है जिस को ठरकी,सेक्स के सोकीन व्यक्ति दूढते फिरते है।
इस की ताकत का तो आप को इस की बनाने की कड़ी मेहनत से ही मालूम हो जाता है।।।इस को बनाना आसान नही,,इसी कारण यह दुर्लभ ही है।।लेकिन जो कडी मेहनत कर सकता है वोह बना ले तो उस को और किसी भी दवा की कभी भी जरूरत नही पड़ती।
यह आयुर्वेद का चमत्कारी योगों में से एक प्रसिद्ध योग है।यो मानुष के शरीर को चट्टान की तरह शक्ति शाली बना देता है।चेहरे का रंग रूप हो बदल जाता है ,,चेहरा में नूर,लाली टपकती है,,,कभी भी शरीर में दर्द, गठिया,बलगम,सास की समस्या,सर्दी,जुकाम, थकावट आदि नही होगा।
इस की खुराक एक चावल है ,,7 दिन के बाद दूसरी खुराक इसी प्रकार आप को कुछ खुराक खानी है,,माखन, मलाई,दूध के साथ।
इस सर्दी में यह हमारे पास मिल जायेगा ।
For More Information +91-9729510363

Thursday, June 30, 2022

गैस,बदहजमी, कब्ज आदि का चूर्ण

 गैस,बदहजमी, कब्ज आदि का चूर्ण

(1) इंद्रायण, हरड़ और नमक काला सब हमवजन ले कर अच्छे से कूट छान कर मिला कर रख ले। सुबह और रात को गुनगुने पानी से 2 से 3 ग्राम भोजन के बाद ले।इस से आप का खाया भोजन पचेगा और सुबह पेट भी अच्छे से साफ होगा।गैस आदि की समस्या भी ठीक होगी।

(2) हींग,सोंठ, अजवाइन नमक काला और मिश्री सभी बराबर मात्रा ले के अच्छे से कूट छान कर मिला ले ।इस चूर्ण को सुबह और रात को 2-2 ग्राम गुनगुने पानी से ले।
यह चूर्ण पुरानी कब्ज,गैस आदि में बहुत लाभकारी चूर्ण है।


तेजस्वी वटी (Sexual disease)

 अक्सीरी तेजस्वी वटी

अगर आप नीचे दिए गई किसी भी समस्या से प्रेषण हो तो आप।बिना किसी भी झिजक से तेजस्वी वटी ले सकते हो।तेजस्वी वटी गर्मी और सर्दी दोनो मौसमों के लिए त्यार की जाती है।

👉1. सेक्स की इच्छा ही न होना |
👉 2. सम्भोग करते-करते बीच में ही उत्तेजना समाप्त होकर लिंग का बिना वीर्य निकले ही ढीला पड़ जाना और पत्नी का असंतुष्ट रह जाना?
👉 3. सेक्स क्रिया शुरू करते ही वीर्य निकल जाना और पत्नी के सामने शर्मिंदा होना पड़े?
👉 4. एक बार यदि सेक्स कर लिया तो कई-कई दिनों तक लिंग में सेक्स करने लायक उत्तेजना का ही न आना जिस कारण यदि पत्नी कमउम्र है तो अकारण काम का बहाना करना पड़ता है?
👉 5. वीर्य में शुक्राणुओं की कमी, वीर्य का पानी की तरह पतला होना?
👉 6. सेक्स के बाद भयंकर कमजोरी महसूस होना जैसे बरसों से बीमार हों?
👉 7. कठोरता का न आना और इच्छा होने पर भी थोड़ा सा उत्तेजित होकर पिलपिला बना रहना?
👉 8. जवानी शुरू होते ही हस्तमैथुन करके वीर्य का सत्यानाश करा और लिंग को भी बीमार बना डाला है?
9👉. सेक्स के दौरान दम फूलने लगना जैसे अस्थमा का दौरा पड़ गया हो?
ऐसी तमाम समस्याएं हैं जिनके कारण वैवाहिक जीवन का सत्यानाश होता रहता है और कई बार तो साथी के कदम बहक जाने से परिवार तक टूट जाते हैं। ऐसे में पति बाजारू दवाओं का सेवन करके या नीम-हकीमों के चक्कर में अपनी मेहनत का पैसा लुटाते रहते हैं लेकिन ऐसी दवाओं से स्थायी समाधान हाथ नहीं आकर बस कुछ देर के लाभ का छलावा महसूस होता है। ऐसे में चाहिये कि शरीर का भली प्रकार पोषण करके शक्ति प्रदान करने वाली औषधि आपके पास हों न कि क्षणिक उत्तेजना देकर आँखों, किडनी व मस्तिष्क यानि दिमाग का नाश करे । पुरातन आयुर्वेद ने गहरे गहन अध्ययन और अनुभव के बाद एक परिपूर्ण तेजवस्वी वटी त्यार की है। जो कि शरीर की समस्त आवश्यकताओं को पूरा कर न सिर्फ़ कमजोरी दूर करता है बल्कि अतिरिक्त सेक्स पावर भी प्रदान करती है।
अगर अपने चेहरे पर सूरज जैसी चमक चाहते है तो एक बार जरूर परखे।
बिजली जैसी ताकत प्रदान करने वाली महाशक्तिशाली वटी में पड़ने वाले घटक



    • स्वर्ण वर्क - 15 mg
    • हीरा भस्म - 15 mg
    • माणिक्य पिष्टी - 15 mg
    • पन्ना पिष्टी - 15 mg
    • नागभस्म - 1.35 mg
    • कज्जली - 1.35 mg
    • चाँदी वर्क - 1.35 mg
    • अभ्रक भस्म - 1.35 mg
    • तालमखाना - 4 mg
    • सालम मिश्री - 4 mg
    • लौंग - 4 mg
    • केसर - 4 mg
    • सौंठ - 4 mg
    • जायफल - 4 mg
    • जावित्री - 4 mg
    • विजया बीज - 4 mg
    • कौंच बीज - 4 mg
    • दालचीनी - 4 mg
    • तेजपत्र - 4 mg
    • छोटी इलायची - 4 mg
    • अकरकरा - 4 mg
    • सफ़ेद जीरा - 4 mg
    • खुरासानी अजवायन - 4 mg
    • पीपर - 4 mg
    • रूमी मस्तंगी - 4 mg
    • मालकांगनी - 4 mg
    • शुद्ध धत्तूर बीज - 4 mg
    • शुद्ध वत्सनाभ - 4 mg
    • सफ़ेद मूसली. - 4 mg
    • शुद्ध शिलाजीत - 4 mg
    • लाल बहमन - 4 mg
वटी 2 : त्रिबंग भस्म, मुक्ताशुक्ति भस्म, कज्जली, अभ्रक भस्म, लोह भस्म, ताम्र भस्म, चाँदी भस्म, स्वर्ण भस्म, शुद्ध हिंगुल, शुद्ध हरताल, वैक्रान्त भस्म, शुद्ध कुचला, शुद्ध वत्सनाभ, विजया बीज, शुद्ध शिलाजीत, तोदरी, अश्वगंधा, शतावर, काला जीरा, सफ़ेद जीरा, केसर, जायफल, जावित्री, विदारीकंद, छोटी इलायची, सफ़ेद मिर्च, अकरकरा, दालचीनी, पीपर, सफ़ेद मूसली, काली मूसली, खुरासानी अजवायन, लौंग, सौंठ, वंशलोचन, जुन्दबेदस्त, गोखरू, सालमपंजा, मालकांगनी, काले तिल, मुलहठी।
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GB

सेहत का राज़

 यूरीन (पेशाब) के  रंग से जानें अपनी "सेहत  का  राज़"     ????

 

अगर यूरीन (पेशाब) का रंग हल्‍का पीला हो तो चिंता की कोई बात नहीं होती है, लेकिन ज्‍यादा पीलापन आपके स्‍वास्‍थ्‍य के लिए अच्‍छा नहीं होता है।
यूरीन का रंग हमारे स्‍वास्‍थ्‍य पर क्‍या असर करता है, यह बताने के लिए यहां पर यूरीन के कुछ रंग दिये गये हैं।

यूरीन (पेशाब) का रंग बता सकता है आपकी सेहत का राज़
यूरीन किडनी के माध्यम से रक्त से अतिरिक्त पानी और अपशिष्ट उत्पादों को निकालने का प्राकृतिक तरीका है। सामान्य मूत्र का रंग हल्‍के पीले से थोड़ा गहरा पीला हो सकता है। अगर यूरीन (पेशाब) का रंग पीला हो तो ज्‍यादा चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है लेकिन एक दिन से ज्‍यादा ऐसा होने पर स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍या होने का डर रहता है।
ऐसे में खूब सारा पानी पीने की हिदायत दी जाती है, लेकिन अगर फिर भी यूरीन का पीलापन नहीं जा रहा हो तो तुरंत चिकित्‍सक के पास जाये।
यहां पर यूरीन के कुछ  रंग दिये गये हैं जो बताते हैं कि यूरीन का रंग हमारे स्‍वास्‍थ्‍य पर क्‍या असर करता है।

"हल्का पीला"
आदर्श यूरीन का रंग स्पष्ट या पीले रंग का होता है।
यह रंग बताता है कि आप बिल्कुल स्वस्थ हैं, और अपने स्‍वयं को अच्‍छी तरह से हाइड्रेटेड कर रहे हैं और आपका शरीर बहुत अच्छे से काम कर रहा।

"पीला पेशाब"
शरीर को अच्छी तरह से हाइड्रेट नहीं करने पर यूरीन का रंग पीला हो जाता है।
शरीर में अत्यधिक पसीना आने या कम हाइड्रेशन के कारण भी यूरीन का रंग पीला हो सकता है।
इससे बचने के लिए आपको तरल पदार्थ अधिक से अधिक मात्रा में लेने की सलाह दी जाती है।

"गहरा पीला पेशाब"
दवाओं के कारण भी यूरीन का रंग गहरे पीले रंग में बदल सकता है। यूरीन का रंग गहरा पीला होने पर जितनी जल्‍दी हो सके अपने डॉक्‍टर से मिलना चाहिए क्‍योंकि यह लीवर विकारों या हैपेटाइटिस में से किसी एक का लक्षण हो सकता है।

"दूधिया सफेद पेशाब"
यूरीन (पेशाब) का दूधिया सफेद रंग यूरीन मार्ग, यूरीन मार्ग के संक्रमण या किडनी की पथरी में बैक्‍टीरिया की उपस्थिति में वृद्धि का संकेत हैं।
अगर आप यूरीन दूधिया सफेद रंग में बदल गया है तो तुरंत अपने डॉक्‍टर के पास जाये।

"लाल या गुलाबी पेशाब"
यूरीन (पेशाब) का रंग लाल या गुलाबी रंग में तब बदलता है।
जब आपने लाल रंग से बने भोजन या चुकंदर और ब्लैकबेरी जैसे प्राकृतिक लाल रंग का उपभोग किया हो।
अगर इस तरह के खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं किया है, तो यह यूरीन से रक्त के आने का संकेत होता है।
आपके यूरेनरी सिस्टम, किडनी में पथरी या बहुत ज्यादा एक्‍सरसाइज के कारण लाल रक्त कोशिकाओं के टूटने का कारण भी हो सकता है।

"नारंगी पेशाब"
यूरीन (पेशाब) समस्‍या को कम करने के लिए इस्‍तेमाल की जा रही दवाओं के कारण भ यूरीन का रंग नारंगी हो सकता है।
इसके अलावा गाजर या गाजर के रस को लेने से भी यूरीन का रंग बदल कर नारंगी हो जाता है।  

"नीला या हरा पेशाब"
यूरीन (पेशाब) का रंग नीला या हरा खाने में पड़े कृत्रिम रंग के कारण होता है।
इसमें चिंता करने की कोई बात नहीं होती, हालांकि चिंता बनी रहती है।
दुर्लभ मामलों में आनुवांशिक बीमारी के कारण भी यूरीन का रंग नीला और हरा हो जाता है।

यूरीन के रंग को प्रभावित करने वाले कारक
खाद्य पदार्थों के कारण यूरीन का रंग बदल सकता है।
दवाओं, कीमोथैरेपी दवाओं, यूरीन मार्ग में संक्रमण के निदान के लिए ली गई दवाओं से भी यूरीन का रंग प्रभावित होता है।
अगर आप इसमें से किसी को भी ले रहे हैं तो आपके यूरीन का रंग बदल सकता है।

चिकित्सा सलाह की जरूरत
अगर आप इस बारे में सुनिश्चित नहीं हो पा रहे हैं कि यूरीन के रंग में परिवर्तन का कारण क्‍या हैं तो आपको अपने डॉक्‍टर से मिलना चाहिए।
इसके अलावा यूरीन में ब्‍लड का आना भी एक गंभीर संकेत है, इसके लिए आपको तुरंत चिकित्‍सक की सलाह लेनी चाहिए।
नियमित स्‍वास्‍थ्‍य जांच से आपको इसके कारणों के बारे में जानकारी मिल सकती है।

Tuesday, March 8, 2022

स्वस्थ रहें जीवन भर

 1. सुबह उठते ही एक लीटर पानी पी लें .

 पानी बासी मुंह ही पीएं , बिना कुल्ला किये . सुबह की वह लार आपके पेट में जाकर पूरा पेट साफ कर देगी . जिस व्यक्ति का सुबह सुबह पेट साफ हो गया, उसके जीवन में कभी जल्दी से बीमारी नही आती .

सुबह की लार औषधि का काम करती हैं . इसे आज के वैज्ञानिकों ने अपनी भाषा मेंपानी चिकित्सा (वॉटर थेरेपी) नाम दे दिया हैं .

 ध्यान देने योग्य बातें स्वस्थ रहें  जीवन भर

  एक लीटर का मतलब दो लोटा . अगर  इतना नही पी सकते तो शुरुआत में एक लोटा (दो गिलास) पानी पीने की आदत डालें .

 1- सुबह उठते ही अगर जोर से पेशाब आयी हुई हो , तो पहले मूत्र त्याग लें . उसके बाद आराम से शांत चित्त के साथ नीचे बैठकर पानी पियें .

2- हर बार पानी पीने के साथ पानी को मुंह में हिलाये , ताकी मुंह की लार (थूक) पूरा पेट में जा सके .

3- भोजन करने के डेढ़ घण्टे बाद पानी पियें .

खाना खाने के बाद हमारे पेट में जठराग्नि (आग) जलती है , वह आग उस भोजन को पचाती है . जब आप खाना खाते ही तुरंत बाद पानी पीते हो तो वह आग बूझ जाती हैं, और फिर वह भोजन पेट में सड़ता हैं . और फिर बहुत सारी बीमारियां होती हैं .

4- भोजन करने के पाँच या दस मिनट बाद पानी पीना शुरू करें , फिर कुछ दिनों बाद भोजन के आधा घंटे बाद पानी पीने की आदत को ले जायें और फिर धीरे धीरे एक घंटा से डेढ़ घंटे तक इस अंतराल को ले जायें .

5- यह सबसे महत्वपूर्ण बात है , जो मैंने अपने अनुभव से सीखी है . भोजन करने के बाद एक बार एक  दो गिलास पानी से अच्छे से कुल्ला अवश्य कर लें इससे आपको पानी पीने का मन नही करेगा .

6- या फिर थोड़ा काला देशी गुड़ खा लीजिए , जिससे सब्जी का तीखापन खत्म हो जाएगा . फलों का ज्यूस भी पी सकते हैं .

7. हमेशा घूंट-घूंट पानी पियें .स्वस्थ रहें जीवन भर

आप जो खड़े -खड़े गटागट पानी पीते हो , एक ही बार में पूरा लोटा पेट में खाली कर देते हो ये तरीका बिल्कुल सही नही हैं . घूंट घूंट पानी पीने से आपको कभी भी मोटापा नहीं आयेगा . आप हमेशा स्लिम फिट रहोगे .

 यह नियम आपको तीस से ज्यादा बीमारियों से बचायेगा . पूरे दिन में जितनी बार पानी पियो , थोड़ा-थोड़ा , घूँट घूँट मुंह में अच्छे से हिलाकर पिओ .

 इस बात का ध्यान रखें , जितनी बार पानी पिओ, आपकी मुँह की लार शरीर के अंदर जानी चाहिए . यह लार (थूक) बहुत कीमती है इसमे 18 प्रकार के सूक्ष्म पोषक तत्व मौजूद रहते हैं .

 8-जीवन में कितनी भी जोर से प्यास क्यों लगे ठंडा पानी कभी पियेंस्वस्थ रहें जीवन भर

 फ्रीज का पानी कभी भी पियें . अगर आप पाँच- दस साल लगातार ठंडा पानी पीते हो तो, आपको लकवा ( पैरालिसिस) , दिल का दौरा ( हार्ट- अटैक) शत प्रतिशत आयेगा .

इस नियम को विज्ञान की भाषा में समझाता हूँ . हमारा शरीर हैं गर्म , औऱ जब हम ठंडा पानी पीते हैं , तो शरीर का सारा खून उस ठंडे पानी को गर्म करने में लग जाता हैं . और इस तरह आप लगातार ठंडा पानी पीते जाओगे , तो एक दिन आपके किसी भी अंग में  खून (ब्लड) की कमी हो जायेगी और वो अंग आपका काम करना बंद कर देगा . इसी को लकवा कहते हैं .

हाँ , घर के मिट्टी के बर्तन (मटके) का ठंडा पानी पी सकते हो , वह प्राकृतिक ठंडा जल हैं .

बाजार में मिलने वाली पानी की बोतलों का पानी भी कभी पियें .

या फिर घर से मिट्टी की बोतल या स्टील की बोतल में पानी भरकर लेकर जायें , खाली होने पर कही प्याऊ से भर लें .

 आयुर्वेद के अनुसार खान-पान

 1- भोजन हमेशा चबा चबा कर खाएं . रोटी के एक ग्रास (टुकड़े) को मुँह में पूरा रस बनाएं , इस नियम का पालन करने से बहुत सारे अद्भुत लाभ मिलेंगे .

2- गाय का दूध अमृत है . हर दिन शाम को गाय का दूध पीये . गाय का मतलब मैं भारतीय देशी गाय (गौमाता) के दूध की बात कर रहा हूँ .

3-  प्यास भूख को मत रोकियेस्वस्थ रहें जीवन भर

4-  शाम को बिना तकिये सोने से हृदय और मस्तिष्क मजबूत होता हैं .

5- रात्रि को बाँयी करवट सोने से दांयाँ स्वंर चलता हैं, जो भोजन पचाने में सहायक हैं .

6- शक्कर और नमक का विकल्प - सेंधा नमक और देशी शक्कर बूरा (खांड) देशी काला/भूरा गुड !!!

7- मिट्टी के बर्तन में बनी कोई भी चीज खाने से कई प्रकार के रोग खत्म होते हैं . आपको जानकर हैरानी होगी, घर में उपयोग होने वाले सभी मिट्टी के बर्तन आपके गांव शहर के बाजारों में , कुम्हारों के पास और ऑनलाइन उपलब्ध हैं . हमारे पूर्वज सभी मिट्टी के बर्तन/हांडी में ही सबकुछ पकाकर खाते थे .

8-  भोजन करने से 40 मिनट पहले पानी पी सकते हो .

9- भोजन करने से पहले , बीच में , बाद में पीया पानी आरोग्य की दृष्टि से सही नही है . इस नियम का पालन करने से 50 से 100 बीमारियों से आप हमेशा के लिए बचे रहेंगे

किन चीजों के साथ क्या नहीं खाना चाहिए ?...

  दूध के साथदही , नमक , मूली , मूली के पत्ते , अन्य कच्चे सलाद , सहिजन , इमली , खरबूजा , बेलफल , नारियल , नींबू , करौंदा ,जामुन , अनार , आँवला , गुड़ , तिलकुट ,उड़द , सत्तू , तेल तथा अन्य प्रकार के खट्टे फल या खटाई , मछली आदि चीजें ना खाएं .

 दही के साथखीर , दूध , पनीर , गर्म पदार्थ , गर्म भोजन , खीरा , खरबूजा आदि ना खाएं .

 खीर के साथकटहल , खटाई (दही , नींबू , आदि), सत्तू , शराब आदि ना खाएं .

 शहद के साथ: घी (समान मात्रा में पुराना घी), वर्षा का जल , तेल , वसा , अंगूर , कमल का बीज , मूली , ज्यादा गर्म जल , गर्म दूध या अन्य गर्म पदार्थ , शार्कर (शर्करा से बना शरबत) आदि चीजं ना खाएं . शहद को गर्म करके सेवन करना भी हानिकारक है .

 ठंडे जल के साथ- घी , तेल , गर्म दूध या गर्म पदार्थ , तरबूज , अमरूद , खीरा , ककड़ी , मूंगफली , चिलगोजा आदि चीजें ना खाएं .

 गर्म जल या गर्म पेय के साथ- शहद , कुल्फी , आइसक्रीम अन्य शीतल पदार्थ का सेवन ना करें .

 घी के साथ समान मात्रा में शहद , ठंडे पानी का सेवन ना करें .

 खरबूजा के साथ- लहसुन , दही , दूध , मूली के पत्ते , पानी आदि का सेवन ना करें .

 तरबूज के साथ  ठण्डा पानी , पुदीना आदि विरुद्ध हैं .

 चावल के साथ  सिरका ना खाएं .

 नमक- अधिक मात्रा में अधिक समय तक खाना हानिकारक है .

 उड़द की दाल के साथ मूली ना खाएंस्वस्थ रहें जीवन भर

 केला के साथ- मट्ठा पीना हानिकारक है .

 घी - काँसे के बर्तन में दस दिन या अधिक समय तक रखा हुआ घी विषाक्त ( जहरीला ) हो जाता है



सर्दी स्पेशल

  1-           कामोत्तेजक व स्तंभक योग व बाजीकरण योग सफेद मूसली 40 ग्राम काली मूसली 40 ग्राम गिलोयसत्व 40 ग्राम सोंठ 40 ग्राम छोटी...