च्यवनप्राश खुद बनाया हुआ
➖बेल की छाल, अरणीमूल, सोनापाठा , छाल, खम्भारी छाल, पाटला-छाल, मुद्गपर्णी, भाषपर्णी, शालिपर्णी, पृश्निपर्णी, पीपल, गोखरू, छोटी-बड़ी कटेरी, काकड़ा- सिंगी, भुई आँवला, मनुक्का, जीवन्ती, पुष्करमूल , अगर, गिलोय, बड़ी हरें, खरेंटी , ऋद्धि-वृद्धि , जीवक, ऋषभक, कचूर, नागरमोथा, पुनर्नवा, मेदा, महामेदा , इलायची, कमल का फूल, सफेदचन्दन, विदारीकन्द, अडूसा की जड़, काकोली, क्षीरकाकोली , काकनासा— प्रत्येक 50-50 ग्राम।
➖पीपल 100 ग्राम , दालचीनी 5 ग्राम , इलायची छोटी 5 ग्राम, तेजपात 5 ग्राम, नाग- केशर 5 ग्राम, लौंग 20 ग्राम - इन सबका महीन चूर्ण बनाकर मिलावें
➖वंशलोचन चूर्ण 80 ग्राम , शुक्तिभस्म 80 ग्राम, अभ्रक भस्म 100 ग्राम , शृङ्गभस्म 100 ग्राम।
➖आंवलों को उबाल कर उसकी पिष्टी बनाकर बाकी जड़ी बूटियों का क्वाथ इसमें डालकर पकाना होता है।
➖फिर मिश्री या गुड क़ी चाशनी मेँ पकाकर तैयार हो जाता है।
➖चाशनी मेँ डालकर ये बहुत देर तक खराब नहीं होता।
➖➖लाभ ➖➖
➖अग्नि और बल का विचार कर क्षीण व्यक्ति को इस रसायन का सेवन करना चाहिए।
➖ इसके सेवन से खांसी, श्वास, प्यास, वातरक्त, छाती का जकड़ना, वातरोग, पित्तरोग, शुक्रदोष और मूत्रदोष नष्ट हो जाते हैं।
➖यह स्मरण शक्तिवर्द्धक तथा मैथुन में आनन्द देने वाला है।
➖इससे मनुष्य बुढ़ापा से रहित हो जाता है।
➖ च्यवन ऋषि इसे खाकर बूढ़े से जवान हो गए थे, अतः इसका नाम च्यवनप्राश हुआ।
➖यह फेफड़े को मजबूत करता है, दिल को ताकत देता है, पुरानी खांसी और दमा में बहुत फायदा करता तथा दस्त साफ लाता है।
➖अम्लपित्त में यह बड़ा फायदेमन्द है, वीर्य- विकार और स्वप्नदोष नष्ट करता है, राजयक्ष्मा में लाभकारी है एवं बल, वीर्य, कान्ति, शक्ति और बुद्धि को बढ़ाता है।
➖बच्चों के अंगों-प्रत्यंगों को बढ़ाता है दुबले और कमजोर बच्चों को हृष्ट-पुष्ट एवं मोटा-ताजा बना देता है, उनका वजन भी बढ़ा देता है ।
➖ च्यवनप्राश केवल बीमारों की ही दवा नहीं है, बल्कि स्वस्थ मनुष्यों के लिए उत्तम खाद्य भी है। जवानों की अपेक्षा वृद्ध इसका उपयोग अधिक करते हैं। ऐसा करने से उनका पेट साफ रहता है तथा भूख लगती है। रस रक्तादि धातुएँ पुष्ट होने से शरीर में शक्ति का संचय होता है।
➖किसी-किसी की धारणा है कि च्यवनप्राश शीत ऋतु में ही सेवन करना चाहिए। परन्तु यह सर्वथा भ्रान्त है इसका सेवन सब ऋतुओं में किया जा सकता है। ग्रीष्म ऋतु में भी गरम नहीं करता, क्योंकि इसका प्रधान द्रव्य आँवला है, जो शीतवीर्य होने से पित्तशामक है।
🥫जो मित्र हमारे संस्थान के द्वारा बनाए गए च्यवनप्राश को लेना चाहता है वो मंगवा सकता है।
🥫इसका मूल्य केवल 850/- है।
🥫आप खाकर खुद समझ जाएंगे कि बाजार के औऱ खुद सामने बनाए च्यवनप्राश मेँ क्या अंतर होता है औऱ कितनी जल्दी लाभ करता है।
R. चौहान
BEST INFORMATION HAME BHI CHAIYE
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