आमाशय और आंतों के कई दोषो में कृमियों का योगदान होता है देर से हजम होने वाली चीजें, आदि खाने से भी पेट में कीडे़ पड़ जाते हैं
*रोग की पहचान*
1. मलद्वार तथा नाक में खुजली होती है, जी मिचलाता है, पेट में मीठा-मीठा दर्द होता है।
2. भुख बहुत कम लगती है, शरीर में कमजोरी आ जाती है, कुछ भी खाया- पिया शरीर में नही लगता।
3. पेट में कब्ज, पतले सफेद दस्त, नींद में पेशाब निकल जाना स्वभाव में चिड़चिड़ापन आदि लक्षण नजर आते हैं।
4. कृमि रोग अत्याधिक बढ़ जाता है तो व्यक्ति का कोइ विशेष अंग कांपने लगता है, दौरे पड़ने लगते हैं।
5. बच्चों की गुदा में चुन्ने होने पर खुजली होती है। बच्चा दांत किटकिटता है, नाक खुजलाता है या नोचता है और हर पल बेचैन रहता है।
6. अगर पेट में केंचुए होते हैं तो पेट का फूलना, पित्ती उछलना, आमाशय में दर्द, दांत पीसना, पेट में दर्द, त्वचा पर लाल धब्बे पड़ना, सांस लेने में परेशानी, दस्त आदि लक्षण प्रकट हो जाते हैंl कृमियों का प्रभाव अत्यधिक प्रबल हो जाने पर यकृत का फोड़ा, पीलिया तथा आमाशय की सूजन आदि खतरनाक बीमारियां भी हो सकती है।
*भोजन से उपचार*
नारियल का पानी दिनभर में चार बार पीने से आंतकृमि मेंलाभ होता है, लेकिन यह प्रयोग एक दिन करने से कोइ खास लाभ नहीं होता है! अत: कुछ दिन तक लगातार इसका सेवन करने पर ही लाभ होता है।तीखे, कसैले तथा कड़वे पदार्थ बार- बार खाने से विशेष लाभ होता है।
पुदीना, अदरक, जीरा तथा काला नमक की चटनी भोजन के साथ खाने से आंत कृमि नष्ट होते है! पका अमरूद,पपीता, पपीते के बीज
पीसकर , चीकू, आलूबुखारा, खूबानी, केला आदि आंत कृमि की शिकायत वाले बच्चों को खाने को दें।
*घरेलु उपचार*
*पहला तरीका*
अजवायन का चूर्ण आधा ग्राम लेकर समभाग गुड़ में गोली बनाकर दिन में तीन बार खिलाने से सभी प्रकार के पेट की कीड़े नष्ट होते है
*दूसर तरीका*
सुबह उठते ही बड़े़ 25 ग्राम और बच्चे 10 ग्राम गुड़ खाकर दस- पंद्रह मिनट आराम करें। इससे आंतों में चिपके सब कीड़े एक जगह आकर जमा हो जाते हैं! पंद्रह मिनट के बाद बच्चे आधा ग्राम और बड़े दो या एक ग्राम अजवायन का चूर्ण बासी पानी के साथ खाएं इस औषधि के सेवन से आंतो के साथ शीघ्र ही कीड़े बाहर निकल जाते हैं।
*तीसरा तरीका*
आधा ग्राम अजवायन चूर्ण में चुटकी काला नमक मिलाकर रात के समय रोजाना गर्म जल से देने से बालकों के कृमि नष्ट होते हैंl बड़े व्यक्ति अजवायन के चूर्ण के चार भाग में काला नमक एक भाग मिलाकर दो ग्राम की मात्रा से गर्म पानी से साथ फांकें।
उपरोक्त औषधि को तीन दिन से एक सप्ताह तक आवश्यकतानुसार लेना चाहिए। इससे पेट के कीड़े नष्ट होकर बच्चों को सोते समय दांत किटकिटाना और चबाना दूर होता है।
*विषेश*
इस औषधि का सेवन करते समय मिठाई, गरिष्ठ पदार्थ, बासी भोजन, सडे़-गले पदार्थो का सेवन बंद कर देंl बच्चों को टॉफी, चाकलेट और मीठी वस्तुओं से दूर रखें।जिन लोगों केा रात में बार-बार पेशाब करने की आदत होती है, उन्हें भी इस औषधि के सेवन से लाभ होता है।
1. जैतुन का तेल गुदा में नित्य सात- आठ बार लगाने से पेट के कीड़े मर जाते हैं।
2. एंरड का तेल या उसके पत्तो का रस बालक की गुदा में चार-पांच बार लगाने से कृमि में लाभ मिलेगा
3. प्याज के रस में थोड़ा सा सेंधा नमक डालकर आधे चम्मच की मात्रा में नित्य चार बार पीने से आंत-कृमि नष्ट हो जाते हैं।
4. आंतों में सूत जैसे कृमि पड़ गए हों और मल के साथ भी दिखाई देते हों तो कच्चे आम की गुठली का चूर्ण 2-4 रत्ती की मात्रा में दही या पानी के साथ सुबह-शाम सेवन करें।
5. आडू के पत्तों का 50 ग्राम रस लें और उसमें जरा सी हींग मिलाकर पिलाएं तथा आडू के पत्तों को पीसकर उदर पर लेप करेंl इससे उदर कृमि नष्ट हो जाते हैं।
6. लहसुन तथा गुड़ को बराबर मात्रा में मिलाकर गोली बनालें, बच्चों को तीन ग्राम और बड़ों को 10 ग्राम की गोली सुबह खाली पेट तीन दिन खिलाने से उदर कृमि मर कर निकल जाती है
7. अनार की छाल को दो गिलास पानी में उबालें और जब आधा गिलास पानी रह जाए तो उसे गुनगुना ही एक ग्राम तिल को तेल मिलाकर पी जाएंl इससे आंत कृमि नष्ट होते हैं।
8. टमाटरों का सूप बनाएं और उसमें वायविडगं का चूर्ण मिलाकर सुबह- शाम पिंए। कुछ रोज पीने से आंत के कीड़े नष्ट होकर मल के साथ बाहर निकल जाते हैं।
9. अन्नास के 20 ग्राम रस में अजवायन, वायविडगं का चूर्ण दो- दो ग्राम मिलाकर सेवन करने से आंत कृमि
समूल नष्ट हो जाते है।
10. वायविडगं और अजवायन का चूर्ण दो ग्राम खाली पेट खाने से पेट की सफाई हो जाती है, छोटे या लम्बे कीड़े मर जाते है
No comments:
Post a Comment