आयुर्वेद शक्ति (Ayurveda Power)
इस ब्लॉग में आप आयुर्वेद के बारे में पढ़ेंगे और आयुर्वेद के द्वारा हम कैसे बड़ी से बड़ी बीमारी का इलाज कर सकते है और अपने और अपने परिवार के स्वस्थ का ध्यान रख सकते है ! हमें कब क्या खाना चाहिए क्या नहीं खाना चाइये, किस वस्तु के साथ क्या इस्तेमाल करना है और क्या नहीं ! हमें आशा है की आप को हमारे द्वारा दी गयी जानकारियाँ पसन्द आयेगी ! धन्यवाद
Sunday, September 7, 2025
कुछ रामबाण घरेलू नुक्से
1. कान दर्द - प्याज पीसकर उसका रस कपड़े से छान लें। फिर उसे गरम करके 4 बूंद कान में डालने से कान का दर्द समाप्त हो जाता है।
2. दांत दर्द - हल्दी एवं सेंधा नमक महीन पीसकर, उसे शुद्ध सरसों के तेल में मिलाकर सुबह-शाम मंजन करने से दांतों का दर्द बंद हो जाता है
3. दांतों के सुराख - कपूर को महीन पीसकर दांतों पर उंगली से लगाएं और उसे मलें। सुराखों को भली प्रकार साफ कर लें। फिर सुराखों के नीचे कपूर को कुछ समय तक दबाकर रखने से दांतों का दर्द निश्चित रूप से समाप्त हो जाता है।
4. बच्चों के पेट के कीड़े - छोटे बच्चों के पेट में कीड़े हों तो सुबह एवं शाम को प्याज का रस गरम करके 1 तोला पिलाने से कीड़े अवश्य मर जाते हैं। धतूरे के पत्तों का रस निकालकर उसे गरम करके गुदा पर लगाने से चुन्ने (लघु कृमि) से आराम हो जाता है।
5. गिल्टी का दर्द - प्याज पीसकर उसे गरम कर लें। फिर उसमें गो-मूत्र मिलाकर छोटी-सी टिकरी बना लें। उसे कपड़े के सहारे गिल्टी पर बांधने से गिल्टी का दर्द एवं गिल्टी समाप्त हो जाती है।
6. पेट के केंचुए एवं कीड़े - 1 बड़ा चम्मच सेम के पत्तों का रस एवं शहद समभाग मिलाकर प्रात:, मध्यान्ह एवं सायं को पीने से केंचुए तथा कीड़े 4-5 दिन में मरकर बाहर निकल जाते हैं।
7. छोटे बच्चों को उल्टी दस्त - पके हुए अनार के फल का रस कुनुकुना गरम करके प्रात:, मध्यान्ह एवं सायं को 1-1 चम्मच पिलाने से शिशु-वमन अवश्य बंद हो जाता है।
8. कब्ज दूर करने हेतु - 1 बड़े साइज का नींबू काटकर रात्रिभर ओस में पड़ा रहने दें। फिर प्रात:काल 1 गिलास चीनी के शरबत में उस नींबू को निचोड़कर तथा शरबत में नाममात्र का काला नमक डालकर पीने से कब्ज निश्चित रूप से दूर हो जाता है।
9. आग से जल जाने पर - कच्चे आलू को पीसकर रस निकाल लें, फिर जले हुए स्थान पर उस रस को लगाने से आराम हो जाता है। इसके अतिरिक्त इमली की छाल जलाकर उसका महीन चूर्ण बना लें, उस चूर्ण को गो-घृत में मिलाकर जले हुए स्थान पर लगाने से आराम हो जाता है।
10. कान की फुंसी - लहसुन को सरसों के तेल में पकाकर, उस तेल को सुबह, दोपहर और शाम को कान में 2-2 बूंद डालने से कान के अंदर की फुंसी बह जाती है अथवा बैठ जाती है तथा दर्द समाप्त हो जाता है।
11. कुकुर खांसी - फिटकरी को तवे पर भून लें और उसे महीन पीस लें। तत्पश्चात 3 रत्ती फिटकरी के चूर्ण में समभाग चीनी मिलाकर सुबह, दोपहर और शाम को सेवन करने से कुकुर खांसी ठीक हो जाती है।
12. पेशाब की जलन - ताजे करेले को महीन-महीन काट लें। पुन: उसे हाथों से भली प्रकार मल दें। करेले का पानी स्टील या शीशे के पात्र में इकट्ठा करें। वही पानी 50 ग्राम की खुराक बनाकर 3 बार (सुबह, दोपहर और शाम) पीने से पेशाब की कड़क एवं जलन ठीक हो जाती है।
13. फोड़े - नीम की मुलायम पत्तियों को पीसकर गो-घृत में उसे पकाकर (कुछ गरम रूप में) फोड़े पर हल्के कपड़े के सहारे बांधने से भयंकर एवं पुराने तथा असाध्य फोड़े भी ठीक हो जाते हैं।
14. सिरदर्द - सोंठ को बहुत महीन पीसकर बकरी के शुद्ध दूध में मिलाकर नाक से बार-बार खींचने से सभी प्रकार के सिरदर्द में आराम होता है।
15. पेशाब में चीनी (शकर)- जामुन की गुठली सुखाकर महीन पीस डालें और उसे महीन कपड़े से छान लें। अठन्नीभर प्रतिदिन 3 बार (सुबह, दोपहर और शाम) ताजे जल के साथ लेने से पेशाब के साथ चीनी आनी बंद हो जाती है। इसके अतिरिक्त ताजे करेले का रस 2 तोला नित्य पीने से भी उक्त रोग में लाभ होता है।
16. मस्तिष्क की कमजोरी - मेहंदी का बीज अठन्नीभर पीसकर शुद्ध शहद के साथ प्रतिदिन 3 बार (सुबह, दोपहर और शाम) सेवन करने से मस्तिष्क की कमजोरी दूर हो जाती है और स्मरण शक्ति ठीक होती है तथा सिरदर्द में भी आराम हो जाता है।
17. अधकपारी का दर्द - 3 रत्ती कपूर तथा मलयागिरि चंदन को गुलाब जल के साथ घिसकर (गुलाब जल की मात्रा कुछ अधिक रहे) नाक के द्वारा खींचने से अधकपारी का दर्द अवश्य समाप्त हो जाता है।
18. खूनी दस्त - 2 तोला जामुन की गुठली को ताजे पानी के साथ पीस-छानकर, 4-5 दिन सुबह 1 गिलास पीने से खूनी दस्त बंद हो जाता है। इसमें चीनी या कोई अन्य पदार्थ नहीं मिलाना चाहिए।
19. जुकाम - 1 पाव गाय का दूध गरम करके उसमें 12 दाना कालीमिर्च एवं 1 तोला मिश्री- इन दोनों को पीसकर दूध में मिलाकर सोते समय रात को पी लें। 5 दिन में जुकाम बिलकुल ठीक हो जाएगा अथवा 1 तोला मिश्री एवं 8 दाना कालीमिर्च ताजे पानी के साथ पीसकर गरम करके चाय की तरह पीयें और 5 दिन तक स्नान न करें।
20. मंदाग्नि - अदरक के छोटे-छोटे टुकड़े करके नींबू के रस में डालकर और नाममात्र का सेंधा नमक मिलाकर शीशे के बर्तन में रख दें। 5-7 टुकड़े नित्य भोजन के साथ सेवन करें, मंदाग्नि दूर हो जाएगी।
21. उदर विकार - अजवाइन, कालीमिर्च एवं सेंधा नमक- इन तीनों को एक में ही मिलाकर चूर्ण बना लें। ये तीनों बराबर मात्रा में होने चाहिए। इस चूर्ण को प्रतिदिन नियमित रूप से रात को सोते समय गरम जल के साथ सेवन करने से (मात्रा अठन्नीभर) सभी प्रकार के उदर रोग दूर हो जाते हैं।
Wednesday, August 20, 2025
नॉर्मल डेलीवेरी करवाने हेतु उपाये
नॉर्मल डेलीवेरी करवाने हेतु उपाये
जब स्त्री को हल्का हल्का दर्द होने लगे और लगे की डेलीवेरी का समय हो चुका है उसे ये पीला दें
नुस्खा नंबर 1
16 बादाम
8 मुनक्का
8 काली मिर्च
50 ग्राम देशी घी में फ्राई करें
250 से 400 ग्राम में गरम गरम पिलाना है
नुस्खा नंबर 1
Sunday, July 20, 2025
खुद का डॉक्टर बने
डॉक्टर खुद बने
1= नमक केवल सेन्धा प्रयोग करें।थायराइड, बी पी, पेट ठीक होगा।
2=कुकर स्टील का ही काम में लें। एल्युमिनियम में मिले lead से होने वाले नुकसानों से बचेंगे
3=तेल कोई भी रिफाइंड न खाकर केवल तिल, सरसों, मूंगफली, नारियल प्रयोग करें। रिफाइंड में बहुत केमिकल होते हैं जो शरीर में कई तरह की बीमारियाँ पैदा करते हैं ।
4=सोयाबीन बड़ी को 2 घण्टे भिगो कर, मसल कर ज़हरीली झाग निकल कर ही प्रयोग करें।
5= रसोई में एग्जास्ट फैन जरूरी है, प्रदूषित हवा बाहर करें।
6= काम करते समय स्वयं को अच्छा लगने वाला संगीत चलाएं।खाने में अच्छा प्रभाव आएगा और थकान कम होगी।
7= देसी गाय के घी का प्रयोग बढ़ाएं।अनेक रोग दूर होंगे, वजन नहीं बढ़ता।
8=ज्यादा से ज्यादा मीठा नीम/कढ़ी पत्ता खाने की चीजों में डालें, सभी का स्वास्थ्य ठीक करेगा।
9=ज्यादा चीजें लोहे की कढ़ाई में ही बनाएं। आयरन की कमी किसी को नहीं होगी।
10=भोजन का समय निश्चित करें, पेट ठीक रहेगा। भोजन के बीच बात न करें, भोजन ज्यादा पोषण देगा।
11=नाश्ते में अंकुरित अन्न शामिल करें। पोषक विटामिन, फाइबर मिलेंगें।
12=सुबह के खाने के साथ देशी गाय के दूध का बना ताजा दही लें, पेट ठीक रहेगा।
13=चीनी कम से कम प्रयोग करें, ज्यादा उम्र में हड्डियां ठीक रहेंगी।
14=चीनी की जगह बिना मसले का गुड़ या देशी शक्कर लें।
15= छौंक में राई के साथ कलौंजी का भी प्रयोग करें, फायदे इतने कि लिख ही नहीं सकते।
16= चाय के समय, आयुर्वेदिक पेय की आदत बनाएं व निरोग रहेंगे.
17- डस्ट बिन एक रसोई में एक बाहर रखें, सोने से पहले रसोई का कचरा बाहर के डस्ट बिन में डालें।
18- रसोई में घुसते ही नाक में घी या सरसों तेल लगाएं, सर और फेफड़े स्वस्थ रहेंगें।
19- करेले, मैथी, मूली याने कड़वी सब्जियां भी खाएँ, रक्त शुद्ध रहेगा।
20- पानी मटके वाले से ज्यादा ठंडा न पिएं, पाचन व दांत ठीक रहेंगे।
21- प्लास्टिक, एल्युमिनियम रसोई से हटाये, केन्सर कारक हैं।
22- माइक्रोवेव ओवन का प्रयोग केन्सर कारक है।
23- खाने की ठंडी चीजें कम से कम खाएँ, पेट और दांत को खराब करती हैं।
24- बाहर का खाना बहुत हानिकारक है, खाने से सम्बंधित ग्रुप से जुड़कर सब घर पर ही बनाएं।
25- तली चीजें छोड़ें, वजन, पेट, एसिडिटी ठीक रहेंगी।
26- मैदा, बेसन, छौले, राजमां, उड़द कम खाएँ, गैस की समस्या से बचेंगे।
27- अदरक, अजवायन का प्रयोग बढ़ाएं, गैस और शरीर के दर्द कम होंगे।
28- बिना कलौंजी वाला अचार हानिकारक होता है।
29- पानी का फिल्टर R O वाला हानिकारक है। U V वाला ही प्रयोग करें, सस्ता भी और बढ़िया भी।
30- रसोई में ही बहुत से कॉस्मेटिक्स हैं, इस प्रकार के ग्रुप से जानकारी लें।
31- रात को आधा चम्मच त्रिफला एक कप पानी में डाल कर रखें, सुबह कपड़े से छान कर इस जल से आंखें धोएं, चश्मा उतर जाएगा। छान कर जो पाउडर बचे उसे फिर एक गिलास पानी में डाल कर रख दें। रात को पी जाएं। पेट साफ होगा, कोई रोग एक साल में नहीं रहेगा।
32- सुबह रसोई में चप्पल न पहनें, शुद्धता भी, एक्यू प्रेशर भी।
33- रात का भिगोया आधा चम्मच कच्चा जीरा सुबह खाली पेट चबा कर वही पानी पिएं, एसिडिटी खतम।
34- एक्यूप्रेशर वाले पिरामिड प्लेटफार्म पर खड़े होकर खाना बनाने की आदत बना लें तो भी सब बीमारी शरीर से निकल जायेगी।
35- चौथाई चम्मच दालचीनी का कुल उपयोग दिन भर में किसी भी रूप में करने पर निरोगता अवश्य होगी।
36- रसोई के मसालों से बना चाय मसाला स्वास्थ्यवर्धक है।
37- सर्दियों में नाखून बराबर जावित्री कभी चूसने से सर्दी के असर से बचाव होगा।
38- सर्दी में बाहर जाते समय 2 चुटकी अजवायन मुहं में रखकर निकलिए, सर्दी से नुकसान नहीं होगा.
39. रस निकले नीबू के चौथाई टुकड़े में जरा सी हल्दी, नमक, फिटकरी रख कर दांत मलने से दांतों का कोई भी रोग नहीं रहेगा
40- कभी-कभी नमक-हल्दी में 2 बून्द सरसों का तेल डाल कर दांतों को उंगली से साफ करें, दांतों का कोई रोग टिक नहीं सकता।
41- बुखार में 1 लीटर पानी उबाल कर 250 ml कर लें, साधारण ताप पर आ जाने पर रोगी को थोड़ा थोड़ा दें, दवा का काम करेगा।
42- सुबह के खाने के साथ घर का जमाया देशी गाय के ताजा दही जरूर शामिल करें
यूरिक एसिड रोगों का घर
यूरिक एसिड हमारे जीवन में रोगों का घर
यूरिक एसिड का बढ़ने की समस्या बडी तेजी से बढ़ रही है। आयु बढ़ने के साथ-साथ यूरिक एसिड " गाउट " आर्थराइटिस समस्या का होना तेजी से आंका गया है। जोकि लाईफ स्टाईल, खान-पान, दिनचर्या के बदलाव से भोजन पाचन प्रक्रिया के दौरान बनने वाले ग्लूकोज प्रोटीन से सीधे यूरिन एसिड में बदलने की प्रक्रिया को यूरिक एसिड कहते हैं।
यूरिक एसिड के लक्षण
पैरो-जोड़ों में दर्द होना।
पैर , एडियों में दर्द रहना।
गांठों में सूजन
जोड़ों में सुबह शाम तेज दर्द कम-ज्यादा होना।
एक स्थान पर देर तक बैठने पर उठने में पैरों एड़ियों में सहनीय दर्द। फिर दर्द सामlन्य हो जाना।
पैरों, जोड़ो, उगलियों, गांठों में सूजन होना।
शर्करा लेबल बढ़ना।
इस तरह की कोई भी समस्या होने पर तुरन्त यूरिक एसिड जांच करवायें।
यूरिक एसिड नियत्रंण करने के तरीके
1. यूरिक एसिड बढ़ने पर हाई फाइबर युक्त आहार खायें। जिसमें पालक, ब्रोकली, ओट्स, दलिया, इसबगोल भूसी फायदेमंद हैं।
2. आंवला रस और एलोवेरा रस मिश्रण कर सुबह शाम खाने से 10 मिनट पहले पीने से यूरिक एसिड कम करने में सक्षम है।
3. टमाटर और अंगूर का जूस पीने से यूरिक एसिड तेजी से कम करने में सक्षम है।
4. तीनो वक्त खाना खाने के 5 मिनट बाद 1 चम्मच अलसी के बीज का बारीक चबाकर खाने से भोजन पाचन क्रिया में यूरिक ऐसिड नहीं बनता।
5. 1 चम्मच शहद और 1 चम्मच अश्वगन्धा पाउडर को 1 कप गर्म पानी के साथ घोल कर पीने से यूरिक एसिड नियत्रंण में आता है।
6. यूरिक एसिड बढ़ने के दौरान जैतून तेल का इस्तेमाल खाने तड़के-खाना बनाने में करें। जैतून तेल में विटामिन-ई एवं मिनरलस मौजूद हैं। जोकि यूरिक एसिड नियत्रंण करने में सहायक हैं।
7. यूरिक एसिड बढ़ने पर खाने से 15 पहले अखरोट खाने से पाचन क्रिया शर्करा को ऐमिनो एसिड नियत्रंण करती है। जोकि प्रोटीन को यूरिक एसिड़ में बदलने से रोकने में सहायक है।
8. विटामिन सी युक्त चीजें खाने में सेवन करें। विटामिन सी यूरिक एसिड को मूत्र के रास्ते विसर्ज करने में सहायक है।
9. रोज 2-3 चैरी खाने से यूरिक एसिड नियत्रंण में रखने में सक्षम है। चेरी गांठों में एसिड क्रिस्टल नहीं जमने देती।
10. सलाद में आधा नींबू निचैlड कर खायें। दिन में 3 बार 2 गिलास पानी में 1 नींबू निचैंlड कर पीने से यूरिक एसिड मूत्र के माध्यम से निकलने में सक्षम है। चीनी, मीठा न मिलायें।
11. तेजी से यूरिक एसिड घटाने के लिए रोज सुबह शाम 45-45 मिनट तेज पैदल चलकर पसीना बहायें। तेज पैदल चलने से एसिड क्रिस्टल जोड़ों गांठों पर जमने से रोकता है। साथ में रक्त संचार को तीब्र कर रक्त संचार सुचारू करने में सक्षम है। पैदल चलना से शरीर में होने वाले सैकड़ों से आसानी से छुटकारा पाया जा सकता है। तेज पैदल चलना एसिड एसिड को शीध्र नियत्रंण करने में सक्षम पाया गया है।
12. बाहर का खाना पूर्ण रूप से बन्द कर दें। घर पर बना सात्विक ताजा भोजन खायें। खाने में ताजे फल, हरी सब्जियां, सलाद, फाइबर युक्त संतुलित पौष्टिक आहर लें।
13. रोज योगा , आसान , व्यायाम करें। योग आसान व्यायाय यूरिक एसिड को घटाने में मद्दगार है। साथ में योगा-आसान-व्यायाम करने से मोटापा वजन नियत्रंण रहेगा।
14. ज्यादा सूजन दर्द में आराम के लिए गर्म पानी में सूती कपड़ा भिगो कर सेकन करें।
15. यूरिक एसिड समस्या शुरू होने पर तुरन्त जांच उपचार करवायें। यूरिक एसिड ज्यादा दिनों तक रहने से अन्य रोग आसानी से घर बना लेते हैं।
यूरिक ऐसिड बढ़ने पर खान-पान
यूरिक एसिड बढ़ने पर मीट मछली सेवन तुरन्त बंद कर दें। नॉनवेज खाने से यूरिक एसिड तेजी से बढ़ता है। औषधि दवाईयां असर कम करती है।
यूरिक एसिड बढ़ने पर अण्डा का सेवन पूर्ण रूप से बंद कर दें। अण्डा रिच प्रोटीन वसा से भरपूर है। जोकि यूरिक एसिड को बढ़ता है।
बेकरी से बनी खाद्य सामग्री बंद कर दें। बेकरी फूड प्रीजरवेटिव गिला होता है। जैसेकि पेस्ट्री, केक, पैनकेक, बंन्न, क्रीम बिस्कुट इत्यादि।
यूरिक एसिड बढ़ने पर तुरन्त जंकफूड, फास्ट फूड, ठंडा सोडा पेय, तली-भुनी चीजें बन्द कर दें। जंकफूड, फास्टफूड, सोडा ठंडा पेय पाचन क्रिया को और भी बिगाड़ती है। जिससे एसिड एसिड तेजी से बढता है।
चावल, आलू, तीखे मिर्चीले, चटपटा, तले पकवानों का पूरी तरह से खाना बन्द कर दें। यह चीजें यूरिक एसिड बढ़ाने में सहायक हैं।
बन्द डिब्बा में मौजूद हर तरह की सामग्री खाना पूरी तरह से बंद कर दें। बन्द डब्बे की खाने पीने की चीजों में भण्डारण के वक्त कैम्किल रसायन मिलाया जाता है। जैसे कि तरह तरह के प्लास्टिक पैक चिप्स, फूड इत्यादि। हजारों तरह के बन्द डिब्बों और पैकेट की खाद्य सामग्री यूरिक एसिड तेजी बढ़ाने में सहायक है।
एल्कोहन का सेवन पूर्ण रूप से बन्द कर दें। बीयर, शराब यूरिक एसिड तेजी से बढ़ती है। शोध में पाया गया है कि जो लोग लगातार बीयर शराब नशीली चीजों का सेवन करते हैं, 70 प्रतिशत उनको सबसे ज्यादा यूरिक एसिड की समस्या होती है। यूरिक एसिड बढ़ने पर तुरन्त बीयर, शराब पीना बन्द कर दें। बीयर शराब स्वस्थ्य व्यक्ति को भी रोगी बना देती है। बीयर, शराब नशीली चीजें स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
इसके साथ प्रतिदिन चार - पांच लीटर पानी पीने से बहुत अच्छा असर आता है
यूरिक एसिड बढ़ने का उपाय:-
बहुत कारगर एवं शानदार उपाय है
उपाय:-
1- छोटी हरड का पावडर 100 ग्राम
2- बड़ी हरड का पावडर 100 ग्राम
3- आवंला का पावडर 100 ग्राम
4- जीरा का पावडर 100 ग्राम
5- गिलोय का पावडर 200 ग्राम
इन सभी को आपस में मिला लीजिये, प्रतिदिन 5 ग्राम सुबह और 5 ग्राम शाम को पानी से लीजिये।
लाल मिर्च का पावडर और किसी भी अन्य खटाई, अचार का सेवन बिल्कुल नहीं करना है।
Thursday, July 17, 2025
बुद्धि वर्धक चूरन (स्मरणशक्ति)
बुद्धि वर्धक चूरन (स्मरणशक्ति)
बुद्धिर्यस्य बलं तस्य' अर्थात् जिसमें बुद्धि है वही बलवान है।
अगर आप को लगता है के आप के बच्चे की यादशक्ति कम है,पढ़ाई में मन नही लगता ,कोई भी बात भूल जाता है।हमेसा थकावट महसूस करता है,सिर दर्द करता है। तो आप के बच्चो और आप को यह चूर्ण बहुत लाभदायल सिद्ध होगा।
चूर्ण के घटक
शंखपुष्पी 100 ग्राम
ब्राह्मी 50 ग्राम
शतावर 50 ग्राम
बादाम 100 ग्राम
अखरोट गिरी 50 ग्राम
सोंफ 50 ग्राम
मगज 50 ग्राम
कालीमिर्च 10 ग्राम
छोटी इलायची बीज 10 ग्राम
तरबुज बीज गिरी 20 ग्राम
अश्वगंधा 50 ग्राम
आवला 50 ग्राम
जटामांशी 20ग्राम
तुलसी पंचाग 10 ग्राम
मिश्री 100 ग्राम
आप चाहे तो इस मे 3 ग्राम चांदी भस्म भी।मिला सकते हो।
इस सभी समाग्री को कुट पीस कर चूर्ण बना ले और सुबह शाम आधा आधा चमच्च दूध के साथ बच्चों को चौथाई चमच्च दूध के साथ हर रोज दे।
यह चूर्ण दिमागी रूप से सशक्त बनाता है दिमाग तेज़ करता है । अनिद्रा के रोगों में लाभदायक है। मानसिक परेशानी और तनाव दूर करता है । थाइरोइड के रोग को भी कम करता है । शरीर में सुस्ती नही आने देता हरदम तरोताज़ा रखता है ।
यो बच्चे दिमागी कमज़ोर और जिन बच्चों का पढ़ाई में मन नही लगता उन के लिए बहुत ही लाभदायक चूर्ण है!
असाध्य रोगों का ईलाज
यह दवा कैंसर से लेकर सभी असाध्य रोगों को ठीक करेगा जो ला ईलाज हैं !
गिलोय चूर्ण 200 ग्राम
हल्दी चूर्ण -100 ग्राम
सतावरी चूर्ण 100 ग्राम
घृतकुमारी रस 100ग्राम,
सालममिश्री 100 ग्राम
तुलसी पंचांग 50 ग्राम
नीम पंचांग 20 ग्राम
नीम का रस 200 ML
सभी को मिलाकर चूर्ण बना लें घृतकुमारी रस के कारण गीला होगा यह छाया मे सुखा ले । उसके बाद नीम रस मे भिगोकर सूखा लीजिये (ऐसा 2 बार करना है) आपकी दवा तैयार है।
सेवन विधि-
मात्रा - 4 से 5 ग्राम
सुबह शाम खाली पेट सेवन करने से कैंसर से लेकर सभी असाध्य रोगों में कार्य करता है जिन्हे अलौपैथिक डॉक्टर भी ठीक नही कर पाते यह पंचामृत शरीर की शुद्धि व् रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए अत्यंत लाभकारी है...
नोट -: आप अगर कोई एलोपैथिक दवा ले रहे है तो यह दवा भी साथ मे जरूर शुरू करे यह दवा अग्रेजी दवा के साईड इफेक्ट को बिल्कुल ख़त्म कर देगा जिससे आपकी किडनी तथा लीवर लंबे समय तक अंग्रेजी दवाइयां लेने की वजह से बिल्कुल भी क्षतिग्रस्त नहीं होंगे।
Wednesday, July 16, 2025
वात पित्त कफ के दोष तीनों को संतुलित करे इस आयुर्वेदिक उपाय से




Thursday, July 10, 2025
खून साफ करने के लिए चमत्कारिक दवा
खून साफ करने के लिए चमत्कारिक दवा:-
रक्त हमारे शरीर में पोषक तत्वों की पूर्ति करने एवं शरीर के निर्माण में सहयोग का कार्य करता है , लेकिन दूषित रक्त शरीर में विकृति फैलता है
इसका पहला असर हमारी त्वचा पर दिखाई देता है , जैसे चेहरे पर फोड़े – फुंसियाँ होना , त्वचा पर खुजली , दाद आदि , इन सभी समस्याओं को दूर करने के लिए आयुर्वेदिक दवा , स्किन क्रीम आदि का प्रयोग करते है लेकिन फिर भी ये जल्दी से ठीक नहीं होते
रक्त शोधक क्वाथ
चोपचीनी – 50 ग्राम
उन्नाव – 50 ग्राम
आंवला – 50 ग्राम
हरड – 50 ग्राम
बहेड़ा – 50 ग्राम
सफ़ेद चन्दन – 50 ग्राम
लाल चन्दन – 50 ग्राम
ब्रह्मदंडी – 50 ग्राम
इन सभी को ऊपर बताई गई मात्रा में ले आएं अब इनको हल्का दरदरा कूटकर तुलसी रस तथा मकोय रस की दो भावना देकरसुरक्षित रख लें अब इस दर्दरे चूर्ण में से एक बड़ा चम्मच एक ग्लास पानी में रात भर के लिए भिगों दे , सुबह पानी को आग पर गरम करे , जब पानी आधा ग्लास बचे तो इसे उतार कर ठंडा करले , इस क्वाथ को छान कर पीना है|
सेवन की विधि
इस क्वाथ का प्रयोग सुबह के समय करना चाहिए ,अगर आप क्वाथ को सीधा न पी सके तो इसमें 10 ग्राम शहद मिलाकर सेवन कर सकते है
लाभ
खून की खराबी अर्थात रक्त अशुद्धि मे इस क्वाथ का प्रयोग करने से जल्द ही रक्त शुद्ध होने लगता है , रक्त की अशुद्धि के कारण होने वाली खुजली, चेहरे की फोड़ा – फुंसी, दाद, पिम्पले आदि सभी विकार दूर होते है , साथ ही खून शुद्ध होने से कब्ज, चर्म रोग, शारीर में बढ़ा हुआ पीत, कमजोर शरीर एवं चक्कर आना आदि समस्याएँ जड़ से खत्म हो जाती है।
बरसात के मौसम जहां प्रकृति के लिए जीवनदायी होता है, वहीं हो सकता अनेक बीमारियों का कारण । सर्वश्रेष्ठ आयुर्वेदिक स्वास्थ्य नियम -
बरसात का मौसम जहां प्रकृति के लिए जीवनदायी होता है, वहीं हमारे शरीर के लिए अनेक बीमारियों का कारण भी बन सकता है। इस समय वात और पित्त दोष में असंतुलन आता है, और पाचन शक्ति (अग्नि) कमजोर हो जाती है।
आयुर्वेद कहता है – "ऋतु के अनुसार जीवनशैली ही रोगों से रक्षा का उपाय है।"
इसलिए प्रस्तुत हैं वर्षा ऋतु के लिए 20 सर्वश्रेष्ठ आयुर्वेदिक स्वास्थ्य नियम, जिन्हें अपनाकर आप इस मानसून को स्वस्थ और ऊर्जावान बना सकते हैं।
Sunday, June 29, 2025
माजून अक्सीर - यह 2 महीने सेवन जरूर करें
माजून अक्सीर
मेरे सभी पुरुष मित्रों से आग्रह है यह 2 महीने सेवन जरूर करें आपको आने वाले समय में भी किसी चीज की आवश्यकता नहीं रहेगी,
कुलजन 20 ग्राम
शतावर 20 ग्राम
तालमखाना 20 ग्राम
मूसली काली 20 ग्राम
मूसली सफेद 20 ग्राम
सत गिलोय 20 ग्राम
अश्वगंधा निगौरी 20 ग्राम
गोद सहजना 20 ग्राम
मोचरस 20 ग्राम
समंदरसोख 20 ग्राम
रूमी मस्तंगी असली 20 ग्राम
बहमन सफेद 20 ग्राम
स्काकुल 20 ग्राम
सालम मिस्री 20 ग्राम
इलाइची दाना (छोटी) 20 ग्राम
लाल चन्दन 20 ग्राम
दारचीनी 20 ग्राम
काली मिर्च 20 ग्राम
अतुलशक्तिदाता 10 ग्राम
केशर 2 ग्राम
मकरध्वज 5 ग्राम
रजतसिन्दूर 5 ग्राम
चांदी के वर्क 5 नग
इन सब के बराबर शहद।
100 ग्राम शुद्ध देसी घी।
सब से पहले इन सब का अच्छे से कुटछान कर चूर्ण बना लें।अब इस चूर्ण को देशी घी में पका कर ठंडा होने दे।ठंडा होने के बाद आप इसमे शहद अच्छे से मिलाकर साथ ही चांदी के वर्क मिलकर अच्छे से घोट दे ।आप का माजून बन का त्यार है।सुबह और रात को 1-1 चमच दूध के साथ 2 महीना ले।आप की शीघ्रपतन की समस्या को हमेशा के लिए जड़ से खत्म करेगा,,,वीर्य को गाढ़ा और शुद्ध पुष्ट करेगा, तथा इरेक्शन की समस्या को जड़ से खत्म कर देगा वीर्य में शुक्राणु की गिनती को बहुत तेजी से बढ़ाता है।तनाव की कमी को दूर करके इंद्री को पुष्ट करता है।खाने में भी बहुत स्वाद।यह हमारा शीघ्रपतन पर सिद्ध अक्सीरी योग है।
Tuesday, December 24, 2024
सर्दी स्पेशल
1- कामोत्तेजक व स्तंभक योग व बाजीकरण योग
सफेद मूसली 40 ग्राम
काली मूसली 40 ग्राम
गिलोयसत्व 40 ग्राम
सोंठ 40 ग्राम
छोटी पीपल 40 ग्राम
मुलेहठी40 ग्राम
ईसबगोल 40 ग्राम
तालमखाना 40 ग्राम
बबूल का गोंद 40 ग्राम
रूमी मस्तगी 40 ग्राम
बीजबन्द 40 ग्राम
लौंग 20
ग्राम
जायफल 20 ग्राम
केसर 1 ग्राम
शुद्ध भांग 20
ग्राम
सलाम पंजा – 40 ग्राम
सलाम मिस्री 40 ग्राम
खसखस – 25 ग्राम
खरबूजे के बीज़ – 50 ग्राम
मिश्री धागे वाली - 300 ग्राम
निमार्ण विधि - भांग और मिश्री को छोड़ कर सभी बूटियों को कूट- पीस लें। इसमें धुली भांग 100 ग्राम तथा मिश्री 700 ग्राम पीसकर मिला लें। और किसी हवा बंद बर्तन में रख ले बस दवा तैयार हुआ
सेवन विधि -
10 ग्राम रात को गर्म दूध के साथ लें।
लाभ - यह अपूर्व बाजीकरण योग है। इसके सेवन से
उतेजना एवं स्तम्भन दोनों प्राप्त होते हैं। अधेड़ आयु के पुरुषों के लिये यह बड़े
काम की चीज है। अधिक विषय - भोग के कारण जिन पुरुषों को शीघ्रपतन हो जाता है और
लिंग में पूरी उतेजना नहीं आती है तथा लिंग शिथिल रहता है, उन्हें इसका अवश्य सेवन करना चाहिये। मैथुन में पूरा आनन्द
देता है। मैंने इसे कई रोगियों पर आजमाया है।
मैं एक ऐसे वैद्य राज जी को जानता हूँ जो इसमें खोवा मिलाकर 20 20
ग्राम के पेड़े बनकर उन्हें मदनमोदक के नाम से बेचते हैं। सम्भोग से दो. घण्टे
पूर्व के साथ लेने को कहते हैं। अधेड़ आयु के बहुत से लोग उनसे यह मोदक खरीदते
हैं। मैंने कई बार उनसे योग पूछा तो उन्होंने नहीं बतलाया। मैंने योग जानने की
तरकीब सोंची। उनके नौकर को लालच देकर उससे योग तथा उसे बनाने का तरीका ज्ञात किया
तो पता चला कि यह चूर्ण है जिसमें वह खोवा बराबर मात्रा में मिलाकर मोदक तैयार करते हैं!
सफेद मूसली पाउडर 150 G
ब्लैक मूसली पाउडर 150 G
सतावरी पाउडर 30 G
अश्वगंधा पाउडर 100 G
कौच के बीज़ 100 G
शिलाजीत - 100 G
खरबूजे के बीज़ - 100 G
खोपरा - 100 G
जावीत्री - 50 G
जायफल - 10 PC
बड़ी ईलायची - 50 G
छोटी ईलायची - 10 G
लोंग - 10 G
Besan ki Laddoo bana k kha sakte ho... Sardi m
सामग्री का उपयोग आयुर्वेदिक और औषधीय दृष्टिकोण से किया जाता है। यह सामग्री आमतौर पर शरीर के विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं के समाधान के लिए तैयार की जाती है। इनका उपयोग करने के फायदे और नुकसान इस प्रकार हो सकते हैं:
फायदे:
सफेद
मूसली (40 ग्राम) - यह शरीर को शक्ति प्रदान करने वाली
औषधि है। इससे मांसपेशियों की मजबूती और ताकत मिलती है। यह पुरुषों के लिए
कामोत्तेजक और ऊर्जा वर्धक होती है।
काली
मूसली (40 ग्राम) - यह भी शरीर को ऊर्जा देने वाली होती
है और यौन शक्ति को बढ़ाने के लिए उपयोगी मानी जाती है।
गिलोय सत्व (40 ग्राम) - गिलोय शरीर की रोग प्रतिकारक क्षमता को बढ़ाने
में मदद करता है। यह इन्फेक्शन, बुखार और
इन्फ्लेमेशन को कम करने में सहायक है।
सोंठ (40 ग्राम) - सोंठ पाचन तंत्र को सुधारने, अपच, गैस, और सूजन को कम करने में मदद करती है। यह इम्यून सिस्टम को भी मजबूत करती है।
छोटी
पीपल (40 ग्राम) - यह आयुर्वेद में पाचन क्रिया को
सुधारने और शारीरिक ऊर्जा को बढ़ाने के लिए इस्तेमाल होती है।
मुलेठी
(40 ग्राम) - मुलेठी गले की सूजन, खांसी और सर्दी के इलाज में प्रभावी है। यह शरीर में बल और
ताजगी लाती है।
ईसबगोल
(40 ग्राम) - यह पेट के लिए बहुत फायदेमंद होता है, खासकर कब्ज और आंतों की समस्याओं के लिए।
तालमखाना (40 ग्राम) - यह शरीर को शांति और ताजगी देने के लिए उपयोगी
है। यह मानसिक तनाव को कम करने और शरीर की ऊर्जा को बढ़ाने में सहायक है।
बबूल का गोंद (40 ग्राम) - बबूल का गोंद शरीर को शारीरिक ताकत प्रदान करता
है और पाचन में सहायक है। यह खून की सफाई में भी मदद करता है।
रूमी मस्तगी (40 ग्राम) - यह मानसिक थकान, तनाव और चिंता को कम करने में सहायक है। यह यौन शक्ति को भी बढ़ाता है।
बीजबन्द (40 ग्राम) - यह पाचन तंत्र को मजबूत करता है और शरीर की रोग प्रतिकारक क्षमता को
बढ़ाता है।
लौंग (40 ग्राम) - लौंग का उपयोग गैस, कब्ज, और अपच के लिए किया जाता है। यह शरीर में गर्मी पैदा करता
है और इन्फेक्शन को भी कम करता है।
जायफल (40 ग्राम) - जायफल पाचन शक्ति को मजबूत करता है, मानसिक तनाव को कम करता है और नींद में सुधार करता है।
केसर (40 ग्राम) - केसर त्वचा, पाचन और मानसिक स्थिति को सुधारने में सहायक
होता है। यह रक्त संचार को बढ़ाता है और शरीर को ताजगी प्रदान करता है।
शुद्ध भांग (100 ग्राम) - शुद्ध भांग का उपयोग दर्द, मानसिक तनाव और मांसपेशियों के दर्द के लिए किया जाता है।
यह स्फूर्ति और शांति प्रदान करता है।
मिश्री धागे वाली (700 ग्राम) - यह मिठास के रूप में उपयोग की जाती है, जो शरीर को ऊर्जा देती है और पाचन क्रिया को सुधारने में
सहायक है।
नुकसान:
अत्यधिक सेवन: इन सामग्रियों का अत्यधिक सेवन शरीर में हानिकारक प्रभाव डाल
सकता है। जैसे कि अधिक सोंठ से पेट में जलन हो सकती है, और अधिक मुलेठी से रक्तचाप बढ़ सकता है।
शुद्ध भांग: शुद्ध भांग का अत्यधिक सेवन
मानसिक स्थिति पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है, जिससे भ्रम और मानसिक कमजोरी हो सकती है।
सावधानी: कुछ लोगों को इन सामग्रियों से एलर्जी हो सकती है, जैसे कि लौंग, जायफल, या भांग। इनका सेवन किसी योग्य चिकित्सक की सलाह
से करना चाहिए।
मधुमेह और उच्च रक्तचाप: मिश्री और अन्य मीठे
पदार्थ मधुमेह और उच्च रक्तचाप वाले व्यक्तियों के लिए हानिकारक हो सकते हैं, इसलिए इनका सेवन सीमित करना चाहिए।
निष्कर्ष:
इन सामग्रियों का सेवन आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से फायदेमंद हो सकता है, लेकिन उचित मात्रा और सावधानी के साथ किया जाना चाहिए। इन्हें किसी विशेषज्ञ या आयुर्वेदाचार्य की सलाह के अनुसार ही सेवन करना बेहतर होता है।
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