Sunday, July 20, 2025

खुद का डॉक्टर बने

 

 डॉक्टर खुद बने
1= नमक केवल सेन्धा प्रयोग करें।थायराइड, बी पी, पेट ठीक होगा।

2=कुकर स्टील का ही काम में लें। एल्युमिनियम में मिले lead से होने वाले नुकसानों से बचेंगे

3=तेल कोई भी रिफाइंड न खाकर केवल तिल, सरसों, मूंगफली, नारियल प्रयोग करें। रिफाइंड में बहुत केमिकल होते हैं जो शरीर में कई तरह की बीमारियाँ पैदा करते हैं ।

4=सोयाबीन बड़ी को 2 घण्टे भिगो कर, मसल कर ज़हरीली झाग निकल कर ही प्रयोग करें।

5= रसोई में एग्जास्ट फैन जरूरी है, प्रदूषित हवा बाहर करें।

6= काम करते समय स्वयं को अच्छा लगने वाला संगीत चलाएं।खाने में अच्छा प्रभाव आएगा और थकान कम होगी।

7= देसी गाय के घी का प्रयोग बढ़ाएं।अनेक रोग दूर होंगे, वजन नहीं बढ़ता।

8=ज्यादा से ज्यादा मीठा नीम/कढ़ी पत्ता खाने की चीजों में डालें, सभी का स्वास्थ्य ठीक करेगा।

9=ज्यादा चीजें लोहे की कढ़ाई में ही बनाएं। आयरन की कमी किसी को नहीं होगी।

10=भोजन का समय निश्चित करें, पेट ठीक रहेगा। भोजन के बीच बात न करें, भोजन ज्यादा पोषण देगा।

11=नाश्ते में अंकुरित अन्न शामिल करें। पोषक विटामिन, फाइबर मिलेंगें।

12=सुबह के खाने के साथ देशी गाय के दूध का बना ताजा दही लें, पेट ठीक रहेगा।

13=चीनी कम से कम प्रयोग करें, ज्यादा उम्र में हड्डियां ठीक रहेंगी।

14=चीनी की जगह बिना मसले का गुड़ या देशी शक्कर लें।

15= छौंक में राई के साथ कलौंजी का भी प्रयोग करें, फायदे इतने कि लिख ही नहीं सकते।

16= चाय के समय, आयुर्वेदिक पेय की आदत बनाएं व निरोग रहेंगे.

17- डस्ट बिन एक रसोई में एक बाहर रखें, सोने से पहले रसोई का कचरा बाहर के डस्ट बिन में डालें।

18- रसोई में घुसते ही नाक में घी या सरसों तेल लगाएं, सर और फेफड़े स्वस्थ रहेंगें।

19- करेले, मैथी, मूली याने कड़वी सब्जियां भी खाएँ, रक्त शुद्ध रहेगा।

20- पानी मटके वाले से ज्यादा ठंडा न पिएं, पाचन व दांत ठीक रहेंगे।

21- प्लास्टिक, एल्युमिनियम रसोई से हटाये, केन्सर कारक हैं।

22- माइक्रोवेव ओवन का प्रयोग केन्सर कारक है।

23- खाने की ठंडी चीजें कम से कम खाएँ, पेट और दांत को खराब करती हैं।

24- बाहर का खाना बहुत हानिकारक है, खाने से सम्बंधित ग्रुप से जुड़कर सब घर पर ही बनाएं।

25- तली चीजें छोड़ें, वजन, पेट, एसिडिटी ठीक रहेंगी।

26- मैदा, बेसन, छौले, राजमां, उड़द कम खाएँ, गैस की समस्या से बचेंगे।

27- अदरक, अजवायन का प्रयोग बढ़ाएं, गैस और शरीर के दर्द कम होंगे।

28- बिना कलौंजी वाला अचार हानिकारक होता है।

29- पानी का फिल्टर R O वाला हानिकारक है। U V वाला ही प्रयोग करें, सस्ता भी और बढ़िया भी।

30- रसोई में ही बहुत से कॉस्मेटिक्स हैं, इस प्रकार के ग्रुप से जानकारी लें।

31- रात को आधा चम्मच त्रिफला एक कप पानी में डाल कर रखें, सुबह कपड़े से छान कर इस जल से आंखें धोएं, चश्मा उतर जाएगा। छान कर जो पाउडर बचे उसे फिर एक गिलास पानी में डाल कर रख दें। रात को पी जाएं। पेट साफ होगा, कोई रोग एक साल में नहीं रहेगा।

32- सुबह रसोई में चप्पल न पहनें, शुद्धता भी, एक्यू प्रेशर भी।

33- रात का भिगोया आधा चम्मच कच्चा जीरा सुबह खाली पेट चबा कर वही पानी पिएं, एसिडिटी खतम।

34- एक्यूप्रेशर वाले पिरामिड प्लेटफार्म पर खड़े होकर खाना बनाने की आदत बना लें तो भी सब बीमारी शरीर से निकल जायेगी।

35- चौथाई चम्मच दालचीनी का कुल उपयोग दिन भर में किसी भी रूप में करने पर निरोगता अवश्य होगी।

36- रसोई के मसालों से बना चाय मसाला स्वास्थ्यवर्धक है।

37- सर्दियों में नाखून बराबर जावित्री कभी चूसने से सर्दी के असर से बचाव होगा।

38- सर्दी में बाहर जाते समय 2 चुटकी अजवायन मुहं में रखकर निकलिए, सर्दी से नुकसान नहीं होगा.

39. रस निकले नीबू के चौथाई टुकड़े में जरा सी हल्दी, नमक, फिटकरी रख कर दांत मलने से दांतों का कोई भी रोग नहीं रहेगा

40- कभी-कभी नमक-हल्दी में 2 बून्द सरसों का तेल डाल कर दांतों को उंगली से साफ करें, दांतों का कोई रोग टिक नहीं सकता।

41- बुखार में 1 लीटर पानी उबाल कर 250 ml कर लें, साधारण ताप पर आ जाने पर रोगी को थोड़ा थोड़ा दें, दवा का काम करेगा।

42- सुबह के खाने के साथ घर का जमाया देशी गाय के ताजा दही जरूर शामिल करें

यूरिक एसिड रोगों का घर


 यूरिक एसिड हमारे जीवन में रोगों का घर

यूरिक एसिड का बढ़ने की समस्या बडी तेजी से बढ़ रही है। आयु बढ़ने के साथ-साथ यूरिक एसिड " गाउट " आर्थराइटिस समस्या का होना तेजी से आंका गया है। जोकि लाईफ स्टाईल, खान-पान, दिनचर्या के बदलाव से भोजन पाचन प्रक्रिया के दौरान बनने वाले ग्लूकोज प्रोटीन से सीधे यूरिन एसिड में बदलने की प्रक्रिया को यूरिक एसिड कहते हैं।
 

यूरिक एसिड के लक्षण 
पैरो-जोड़ों में दर्द होना।
पैर , एडियों में दर्द रहना।
गांठों में सूजन
जोड़ों में सुबह शाम तेज दर्द कम-ज्यादा होना।
एक स्थान पर देर तक बैठने पर उठने में पैरों एड़ियों में सहनीय दर्द। फिर दर्द सामlन्य हो जाना।
पैरों, जोड़ो, उगलियों, गांठों में सूजन होना।
शर्करा लेबल बढ़ना। 
इस तरह की कोई भी समस्या होने पर तुरन्त यूरिक एसिड जांच करवायें।

 यूरिक एसिड नियत्रंण करने के तरीके
1. यूरिक एसिड बढ़ने पर हाई फाइबर युक्त आहार खायें। जिसमें पालक, ब्रोकली, ओट्स, दलिया, इसबगोल भूसी फायदेमंद हैं।
2. आंवला रस और एलोवेरा रस मिश्रण कर सुबह शाम खाने से 10 मिनट पहले पीने से यूरिक एसिड कम करने में सक्षम है।
3. टमाटर और अंगूर का जूस पीने से यूरिक एसिड तेजी से कम करने में सक्षम है।
4. तीनो वक्त खाना खाने के 5 मिनट बाद 1 चम्मच अलसी के बीज का बारीक चबाकर खाने से भोजन पाचन क्रिया में यूरिक ऐसिड नहीं बनता।
5. 1 चम्मच शहद और 1 चम्मच अश्वगन्धा पाउडर को 1 कप गर्म पानी के साथ घोल कर पीने से यूरिक एसिड नियत्रंण में आता है।
6. यूरिक एसिड बढ़ने के दौरान जैतून तेल का इस्तेमाल खाने तड़के-खाना बनाने में करें। जैतून तेल में विटामिन-ई एवं मिनरलस मौजूद हैं। जोकि यूरिक एसिड नियत्रंण करने में सहायक हैं।
7. यूरिक एसिड बढ़ने पर खाने से 15 पहले अखरोट खाने से पाचन क्रिया शर्करा को ऐमिनो एसिड नियत्रंण करती है। जोकि प्रोटीन को यूरिक एसिड़ में बदलने से रोकने में सहायक है।
8. विटामिन सी युक्त चीजें खाने में सेवन करें। विटामिन सी यूरिक एसिड को मूत्र के रास्ते विसर्ज करने में सहायक है।
9. रोज 2-3 चैरी खाने से यूरिक एसिड नियत्रंण में रखने में सक्षम है। चेरी गांठों में एसिड क्रिस्टल नहीं जमने देती।
10. सलाद में आधा नींबू निचैlड कर खायें। दिन में 3 बार 2 गिलास पानी में 1 नींबू निचैंlड कर पीने से यूरिक एसिड मूत्र के माध्यम से निकलने में सक्षम है। चीनी, मीठा न मिलायें।
11. तेजी से यूरिक एसिड घटाने के लिए रोज सुबह शाम 45-45 मिनट तेज पैदल चलकर पसीना बहायें। तेज पैदल चलने से एसिड क्रिस्टल जोड़ों गांठों पर जमने से रोकता है। साथ में रक्त संचार को तीब्र कर रक्त संचार सुचारू करने में सक्षम है। पैदल चलना से शरीर में होने वाले सैकड़ों से आसानी से छुटकारा पाया जा सकता है। तेज पैदल चलना एसिड एसिड को शीध्र नियत्रंण करने में सक्षम पाया गया है।
12. बाहर का खाना पूर्ण रूप से बन्द कर दें। घर पर बना सात्विक ताजा भोजन खायें। खाने में ताजे फल, हरी सब्जियां, सलाद, फाइबर युक्त संतुलित पौष्टिक आहर लें।
13. रोज योगा , आसान , व्यायाम करें। योग आसान व्यायाय यूरिक एसिड को घटाने में मद्दगार है। साथ में योगा-आसान-व्यायाम करने से मोटापा वजन नियत्रंण रहेगा।
14. ज्यादा सूजन दर्द में आराम के लिए गर्म पानी में सूती कपड़ा भिगो कर सेकन करें।
15. यूरिक एसिड समस्या शुरू होने पर तुरन्त जांच उपचार करवायें। यूरिक एसिड ज्यादा दिनों तक रहने से अन्य रोग आसानी से घर बना लेते हैं। 


 यूरिक ऐसिड बढ़ने पर खान-पान  
 यूरिक एसिड बढ़ने पर मीट मछली सेवन तुरन्त बंद कर दें। नॉनवेज खाने से यूरिक एसिड तेजी से बढ़ता है। औषधि दवाईयां असर कम करती है।

 यूरिक एसिड बढ़ने पर अण्डा का सेवन पूर्ण रूप से बंद कर दें। अण्डा रिच प्रोटीन वसा से भरपूर है। जोकि यूरिक एसिड को बढ़ता है।

बेकरी से बनी खाद्य सामग्री बंद कर दें। बेकरी फूड प्रीजरवेटिव गिला होता है। जैसेकि पेस्ट्री, केक, पैनकेक, बंन्न, क्रीम बिस्कुट इत्यादि।

यूरिक एसिड बढ़ने पर तुरन्त जंकफूड, फास्ट फूड, ठंडा सोडा पेय, तली-भुनी चीजें बन्द कर दें। जंकफूड, फास्टफूड, सोडा ठंडा पेय पाचन क्रिया को और भी बिगाड़ती है। जिससे एसिड एसिड तेजी से बढता है।

चावल, आलू, तीखे मिर्चीले, चटपटा, तले पकवानों का पूरी तरह से खाना बन्द कर दें। यह चीजें यूरिक एसिड बढ़ाने में सहायक हैं।

बन्द डिब्बा में मौजूद हर तरह की सामग्री खाना पूरी तरह से बंद कर दें। बन्द डब्बे की खाने पीने की चीजों में भण्डारण के वक्त कैम्किल रसायन मिलाया जाता है। जैसे कि तरह तरह के प्लास्टिक पैक चिप्स, फूड इत्यादि। हजारों तरह के बन्द डिब्बों और पैकेट की खाद्य सामग्री यूरिक एसिड तेजी बढ़ाने में सहायक है।

एल्कोहन का सेवन पूर्ण रूप से बन्द कर दें। बीयर, शराब यूरिक एसिड तेजी से बढ़ती है। शोध में पाया गया है कि जो लोग लगातार बीयर शराब नशीली चीजों का सेवन करते हैं, 70 प्रतिशत उनको सबसे ज्यादा यूरिक एसिड की समस्या होती है। यूरिक एसिड बढ़ने पर तुरन्त बीयर, शराब पीना बन्द कर दें। बीयर शराब स्वस्थ्य व्यक्ति को भी रोगी बना देती है। बीयर, शराब नशीली चीजें स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
इसके साथ प्रतिदिन चार - पांच लीटर पानी पीने से बहुत अच्छा असर आता है

यूरिक एसिड बढ़ने का उपाय:-

बहुत कारगर एवं शानदार उपाय है
उपाय:-
1- छोटी हरड का पावडर 100 ग्राम
2- बड़ी हरड का पावडर 100 ग्राम
3- आवंला का पावडर 100 ग्राम
4- जीरा का पावडर  100 ग्राम
5- गिलोय का पावडर  200 ग्राम

इन सभी को आपस में मिला लीजिये, प्रतिदिन 5 ग्राम सुबह और 5 ग्राम शाम को पानी से लीजिये।

लाल मिर्च का पावडर और किसी भी अन्य खटाई, अचार का सेवन बिल्कुल नहीं करना है। 

Thursday, July 17, 2025

बुद्धि वर्धक चूरन (स्मरणशक्ति)


  बुद्धि वर्धक चूरन (स्मरणशक्ति)

बुद्धिर्यस्य बलं तस्य' अर्थात् जिसमें बुद्धि है वही बलवान है। 

अगर आप को लगता है के आप के बच्चे की यादशक्ति कम है,पढ़ाई में मन नही लगता ,कोई भी बात भूल जाता है।हमेसा थकावट महसूस करता है,सिर दर्द करता है। तो आप के बच्चो और आप को यह चूर्ण बहुत लाभदायल सिद्ध होगा।

चूर्ण के घटक

शंखपुष्पी 100 ग्राम
ब्राह्मी 50 ग्राम
शतावर 50 ग्राम
बादाम 100 ग्राम
अखरोट गिरी 50 ग्राम
सोंफ 50 ग्राम
मगज 50 ग्राम
कालीमिर्च 10 ग्राम
छोटी इलायची बीज 10 ग्राम
तरबुज बीज गिरी 20 ग्राम
अश्वगंधा 50 ग्राम
आवला 50 ग्राम
जटामांशी 20ग्राम
तुलसी पंचाग 10 ग्राम
मिश्री 100 ग्राम

आप चाहे तो इस मे 3 ग्राम चांदी भस्म भी।मिला सकते हो।
इस सभी समाग्री को कुट पीस कर चूर्ण बना ले और सुबह शाम आधा आधा चमच्च दूध के साथ बच्चों को चौथाई चमच्च दूध के साथ हर रोज दे।

यह चूर्ण दिमागी रूप से सशक्त बनाता है दिमाग तेज़ करता है । अनिद्रा के रोगों में लाभदायक है। मानसिक परेशानी और तनाव दूर करता है । थाइरोइड के रोग को भी कम करता है । शरीर में सुस्ती नही आने देता हरदम तरोताज़ा रखता है ।

यो बच्चे दिमागी कमज़ोर और जिन बच्चों का पढ़ाई में मन नही लगता उन के लिए बहुत ही लाभदायक चूर्ण है!

असाध्य रोगों का ईलाज

 


यह दवा कैंसर से लेकर सभी असाध्य रोगों को ठीक करेगा जो ला ईलाज हैं !
गिलोय चूर्ण 200 ग्राम
हल्दी चूर्ण -100 ग्राम
सतावरी चूर्ण 100 ग्राम
घृतकुमारी रस 100ग्राम,
सालममिश्री 100 ग्राम
तुलसी पंचांग 50 ग्राम
नीम पंचांग 20 ग्राम
नीम का रस 200 ML

सभी को मिलाकर चूर्ण बना लें घृतकुमारी  रस के कारण गीला होगा यह छाया मे सुखा ले । उसके बाद नीम रस मे भिगोकर सूखा लीजिये (ऐसा 2 बार करना है) आपकी दवा तैयार है।

सेवन विधि-

मात्रा - 4 से 5 ग्राम

सुबह शाम खाली पेट सेवन करने से कैंसर से लेकर सभी असाध्य रोगों में कार्य करता है जिन्हे अलौपैथिक डॉक्टर भी ठीक नही कर पाते यह पंचामृत शरीर की शुद्धि व् रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए अत्यंत लाभकारी है...

नोट -: आप अगर कोई एलोपैथिक दवा ले रहे है तो यह दवा भी साथ मे जरूर शुरू करे यह दवा अग्रेजी दवा के साईड इफेक्ट को बिल्कुल ख़त्म कर देगा जिससे आपकी किडनी तथा लीवर लंबे समय तक अंग्रेजी दवाइयां लेने की वजह से बिल्कुल भी क्षतिग्रस्त नहीं होंगे।

Wednesday, July 16, 2025

वात पित्त कफ के दोष तीनों को संतुलित करे इस आयुर्वेदिक उपाय से

 इसे सेव कर सुरक्षित कर लें, ऐसी पोस्ट कम ही आती है..
वात पित्त कफ के दोष तीनों को संतुलित करे इस आयुर्वेदिक उपाय से...अंत तक जरुर पढ़े
वात पित्त और कफ के दोष:-
पोस्ट को धयान से 2 बार पढ़े
शरीर 3 दोषों से भरा है
#वात(GAS) -लगभग 80 रोग
#पित्त(ACIDITY)- लगभग 40 रोग
#कफ(COUGH) -लगभग 28 रोग
यहां सिर्फ त्रिदोषो के मुख्य लक्षण बतये जायेगे और वह रोग घरेलू चिकित्सा से आसानी से ठीक होते है
सभी परहेज विधिवत रहेंगे जैसे बताती हूं
💙जिस इंसान की बड़ी आंत में कचड़ा होता है बीमार भी केवल वही होता है
💙एनीमा एक ऐसी पद्धति है जो बड़ी आंत को साफ करती है और किसी भी रोग को ठीक करती है
💚संसार के सभी रोगों का कारण इन तीन दोष के बिगड़ने से होता है
वात(#GAS) अर्थात वायु:-💛
--शरीर मे वायु जहां भी रुककर टकराती है, दर्द पैदा करती है, दर्द हो तो समझ लो वायु रुकी है
--पेट दर्द, कमर दर्द, सिर दर्द, घुटनो का दर्द ,सीने का दर्द आदि
--डकार आना भी वायू दोष है
--चक्कर आना,घबराहट और हिचकी आना भी इसका लक्षण है
कारण:-
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--गैस उत्तपन्न करने वाला भोजन जैसे कोई भी दाल आदि गैस और यूरिक एसिड बनाती ही है
--यूरिक एसिड जहां भी रुकता है उन हड्डियों का तरल कम होता जाता है हड्डियां घिसना शुरू हो जाती है ,उनमे आवाज आने लगती है, उसे डॉक्टर कहते है कि ग्रीस ख़त्म हो गई, या फिर स्लिप डिस्क या फिर स्पोंडलाइटिस, या फिर सर्वाइकल आदि
--प्रोटीन की आवश्यकता सिर्फ सेल्स की मरम्मत के लिए है जो अंकुरित अनाज और सूखे मेवे कर देते है
--मैदा औऱ बिना चोकर का आटा खांना
--बेसन की वस्तुओं का सेवन करना
--दूध और इससे बनी वस्तुओं का सेवन करना
-आंतो की कमजोरी इसका कारण व्यायाम न करना
निवारण:-
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--अदरक का सेवन करें,यह वायु खत्म करता है, रक्त पतला करता है कफ भी बाहर निकालता है, सोंठ को लेकर रात में गुनगने पानी से आधा चम्मच खायेँ
--लहसुन किसी भी गैस को बाहर निकालता है,
यदि सीने में दर्द होने लगे तो तुरन्त 8-10 कली लहसुन खा ले, ब्लॉकेज में तुरंत आराम मिलता है
--लहसुन कफ के रोग और टीबी के रोग भी मारता है
--सर्दी में 2-2 कली सुबह शाम, और गर्मी में 1-1 कली सुबह शाम ले, और अकेला न खायेँ सब्जी या फिर जूस , चटनी आदि में कच्चा काटकर डालकर ही खायेँ
--मेथीदाना भी अदरक लहसुन की तरह ही कार्य करता है
प्राकृतिक उपचार:-
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गर्म ठंडे कपड़े से सिकाई करे, अब उस अंग को पहले छुएं यदि वो गर्म है तो ठंडे सिकाई करे और वह अंग अगर ठंडा है तो गर्म सिकाई करे औऱ अगर न गर्म है और न ठंडा तो गर्म ठंडी सिकाई करे एक मिनट गर्म एक मिनट ठंडा
कफ(#COUGH):-
--मुंह नाक से आने वाला बलगम इसका मुख्य लक्षण है
--सर्दी जुखाम खाँसी टीबी प्लूरिसी निमोनिया आदि इसके मुख्य लक्षण है
--सांस लेने में तकलीफ अस्थमा आदि या सीढी चढ़ने में हांफना
कारण:-
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--तेल एव चिकनाई वाली वस्तुओं का अधिक सेवन
--दूध और इससे बना कोई भी पदार्थ
--ठंडा पानी औऱ फ्रिज की वस्तुये खांना
--धूल ,धुंए आदि में अधिक समय रहना
--धूप का सेवन न करना
निवारण:-
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--विटामिन C का सेवन करे यह कफ का दुश्मन है यह संडास के रास्ते कफ निकालता है, जैसे आवंला
--लहसुन, यह पसीने के रूप में कफ को गलाकर निकालता है
--Bp सामान्य हॉगा
--ब्लड सर्कुलेशन ठीक हॉगा
--नींद अच्छी आएगी
--अदरक भी सर्वश्रेष्ठ कफ नाशक है
प्राकृतिक उपचार
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--एक गिलास गुनगने पानी मे एक चम्मच नमक डालकर उससे गरारे करे
--गुनगने पानी मे पैर डालकर बैठे, 2 गिलास सादा।पानी पिये और सिरर पर ठंडा कपड़ा रखे, रोज 10 मिनट करे
--रोज 30-60 मिनट धूप ले
पित्त(#ACIDITY):-पेट के रोग
--वात दोष और कफ दोष में जितने भी रोग है उनको हटाकर शेष सभी रोग पित्त के रोग है, BP, शुगर, मोटापा, अर्थराइटिस, आदि
--शरीर मे कही भी जलन हो जैसे पेट मे जलन, मूत्र त्याग करने के बाद जलन ,मल त्याग करने में जलन, शरीर की त्वचा में कही भी जलन,
--खट्टी डकारें आना
--शरीर मे भारीपन रहना
कारण:-
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--गर्म मसाले, लाल मिर्च, नमक, चीनी, अचार
--चाय ,काफी,सिगरेट, तम्बाकू, शराब,
--मांस ,मछली ,अंडा
--दिनभर में सदैव पका भोजन करना
--क्रोध, चिंता, गुस्सा, तनाव
--दवाइयों का सेवन
--मल त्याग रोकना
--सभी 13 वेग को रोकना जैसे छींक, पाद, आदि
निवारण
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--फटे हुए दूध का पानी पिये, गर्म दूध में नीम्बू डालकर दूध को फाड़े, वह पानी छानकर पिए, पेट का सभी रोग में रामबाण है, सभी प्रकार का बुखार भी दूर करता है
--फलो व सब्जियों का रस, जैसे अनार का रस, लौकी का रस, पत्ता गोभी का रस आदि
--निम्बू पानी का सेवन
प्राकृतिक उपचार
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--पेट को गीले कपड़े से ठंडक दे
--रीढ़ की हड्डी को ठंडक देना, लकवा इसी रीढ़ की हड्डी की गर्मी से होता है, गीले कपड़े से रीढ़ की हड्डी पर पट्टी रखें
--व्यायाम ,योग करे
--गहरी नींद ले

दिनांक - 17.07.2025


 

Thursday, July 10, 2025

खून साफ करने के लिए चमत्कारिक दवा


 खून साफ करने के लिए चमत्कारिक दवा:-

रक्त हमारे शरीर में पोषक तत्वों की पूर्ति करने एवं शरीर के निर्माण में सहयोग का कार्य करता है , लेकिन दूषित रक्त शरीर में विकृति फैलता है

इसका पहला असर हमारी त्वचा पर दिखाई देता है , जैसे चेहरे पर फोड़े – फुंसियाँ होना , त्वचा पर खुजली , दाद आदि ,  इन सभी समस्याओं को दूर करने के लिए आयुर्वेदिक दवा , स्किन क्रीम आदि का प्रयोग करते है लेकिन फिर भी ये जल्दी से ठीक नहीं होते 

रक्त शोधक क्वाथ 

चोपचीनी – 50 ग्राम
उन्नाव – 50 ग्राम
आंवला – 50 ग्राम
हरड – 50 ग्राम
बहेड़ा – 50 ग्राम
सफ़ेद चन्दन – 50 ग्राम
लाल चन्दन – 50 ग्राम
ब्रह्मदंडी – 50 ग्राम

इन सभी को ऊपर बताई गई मात्रा में ले आएं अब इनको हल्का दरदरा कूटकर तुलसी रस तथा मकोय रस की दो भावना देकरसुरक्षित रख लें  अब इस दर्दरे चूर्ण में से एक बड़ा चम्मच एक ग्लास पानी में रात भर के लिए भिगों दे , सुबह पानी को आग पर गरम करे , जब पानी आधा ग्लास बचे तो इसे उतार कर ठंडा करले , इस क्वाथ को छान कर पीना है|

सेवन की विधि

 इस क्वाथ का प्रयोग सुबह के समय करना चाहिए ,अगर आप क्वाथ को सीधा न पी सके तो इसमें 10 ग्राम शहद मिलाकर सेवन कर सकते है

लाभ

खून की खराबी अर्थात रक्त अशुद्धि मे इस क्वाथ का प्रयोग करने से जल्द ही रक्त शुद्ध होने लगता है , रक्त की अशुद्धि के कारण होने वाली खुजली, चेहरे की फोड़ा – फुंसी, दाद, पिम्पले आदि सभी विकार दूर होते है , साथ ही खून शुद्ध होने से कब्ज, चर्म रोग, शारीर में बढ़ा हुआ पीत, कमजोर शरीर एवं चक्कर आना आदि समस्याएँ जड़ से खत्म हो जाती है।

बरसात के मौसम जहां प्रकृति के लिए जीवनदायी होता है, वहीं हो सकता अनेक बीमारियों का कारण । सर्वश्रेष्ठ आयुर्वेदिक स्वास्थ्य नियम -


बरसात का मौसम जहां प्रकृति के लिए जीवनदायी होता है, वहीं हमारे शरीर के लिए अनेक बीमारियों का कारण भी बन सकता है। इस समय वात और पित्त दोष में असंतुलन आता है, और पाचन शक्ति (अग्नि) कमजोर हो जाती है।
आयुर्वेद कहता है – "ऋतु के अनुसार जीवनशैली ही रोगों से रक्षा का उपाय है।"
इसलिए प्रस्तुत हैं वर्षा ऋतु के लिए 20 सर्वश्रेष्ठ आयुर्वेदिक स्वास्थ्य नियम, जिन्हें अपनाकर आप इस मानसून को स्वस्थ और ऊर्जावान बना सकते हैं।

Sunday, June 29, 2025

माजून अक्सीर - यह 2 महीने सेवन जरूर करें

 माजून अक्सीर

मेरे सभी पुरुष मित्रों से आग्रह है यह 2 महीने सेवन जरूर करें आपको आने वाले समय में भी किसी चीज की आवश्यकता नहीं रहेगी, 


कुलजन                    20 ग्राम

शतावर                     20 ग्राम

तालमखाना               20 ग्राम

मूसली काली              20 ग्राम

मूसली सफेद              20 ग्राम

सत गिलोय                 20 ग्राम

अश्वगंधा निगौरी           20 ग्राम

गोद सहजना               20 ग्राम

मोचरस                      20 ग्राम

समंदरसोख                 20 ग्राम

रूमी मस्तंगी असली     20 ग्राम

बहमन सफेद               20 ग्राम

स्काकुल                      20 ग्राम

सालम मिस्री                20 ग्राम

इलाइची दाना (छोटी)    20 ग्राम

लाल चन्दन                  20 ग्राम

दारचीनी                      20 ग्राम

काली मिर्च                   20 ग्राम

अतुलशक्तिदाता            10 ग्राम

केशर                           2 ग्राम

 मकरध्वज                    5 ग्राम

रजतसिन्दूर                   5 ग्राम

चांदी के वर्क                 5 नग 


इन सब के बराबर शहद।

100 ग्राम शुद्ध देसी घी।

सब से पहले इन सब का अच्छे से कुटछान कर चूर्ण बना लें।अब इस चूर्ण को देशी घी में पका कर ठंडा होने दे।ठंडा होने के बाद आप इसमे शहद अच्छे से मिलाकर साथ ही चांदी के वर्क मिलकर अच्छे से घोट दे ।आप का माजून बन का त्यार है।सुबह और रात को 1-1 चमच दूध के साथ 2 महीना ले।आप की शीघ्रपतन की समस्या को हमेशा के लिए जड़ से खत्म करेगा,,,वीर्य को गाढ़ा और शुद्ध पुष्ट करेगा, तथा इरेक्शन की समस्या को जड़ से खत्म कर देगा वीर्य में शुक्राणु की गिनती को बहुत तेजी से बढ़ाता है।तनाव की कमी को दूर करके इंद्री को पुष्ट करता है।खाने में भी बहुत स्वाद।यह हमारा शीघ्रपतन पर सिद्ध अक्सीरी योग है।

Tuesday, December 24, 2024

सर्दी स्पेशल

 1-          कामोत्तेजक व स्तंभक योग व बाजीकरण योग

सफेद मूसली 40 ग्राम

काली मूसली 40 ग्राम

गिलोयसत्व 40 ग्राम

सोंठ 40 ग्राम

छोटी पीपल 40 ग्राम

मुलेहठी40 ग्राम

ईसबगोल 40 ग्राम

तालमखाना 40 ग्राम

बबूल का गोंद 40 ग्राम

रूमी मस्तगी 40 ग्राम

बीजबन्द 40 ग्राम

लौंग 20 ग्राम

जायफल 20 ग्राम

केसर 1 ग्राम

शुद्ध भांग 20 ग्राम

सलाम पंजा – 40 ग्राम

सलाम मिस्री 40 ग्राम

खसखस – 25 ग्राम  

खरबूजे के बीज़ – 50 ग्राम  

मिश्री धागे वाली - 300 ग्राम

निमार्ण विधि -  भांग और मिश्री को छोड़ कर सभी बूटियों को कूट- पीस लें। इसमें धुली भांग 100 ग्राम तथा मिश्री 700 ग्राम पीसकर मिला लें। और किसी हवा बंद बर्तन में रख ले बस दवा तैयार हुआ

सेवन विधि -  10 ग्राम रात को गर्म दूध के साथ लें।

लाभ - यह अपूर्व बाजीकरण योग है। इसके सेवन से उतेजना एवं स्तम्भन दोनों प्राप्त होते हैं। अधेड़ आयु के पुरुषों के लिये यह बड़े काम की चीज है। अधिक विषय - भोग के कारण जिन पुरुषों को शीघ्रपतन हो जाता है और लिंग में पूरी उतेजना नहीं आती है तथा लिंग शिथिल रहता है, उन्हें इसका अवश्य सेवन करना चाहिये। मैथुन में पूरा आनन्द देता है। मैंने इसे कई रोगियों पर आजमाया है।

मैं एक ऐसे वैद्य राज  जी को जानता हूँ जो इसमें खोवा मिलाकर 20 20 ग्राम के पेड़े बनकर उन्हें मदनमोदक के नाम से बेचते हैं। सम्भोग से दो. घण्टे पूर्व के साथ लेने को कहते हैं। अधेड़ आयु के बहुत से लोग उनसे यह मोदक खरीदते हैं। मैंने कई बार उनसे योग पूछा तो उन्होंने नहीं बतलाया। मैंने योग जानने की तरकीब सोंची। उनके नौकर को लालच देकर उससे योग तथा उसे बनाने का तरीका ज्ञात किया तो पता चला कि यह चूर्ण है जिसमें वह खोवा बराबर मात्रा में मिलाकर मोदक तैयार करते हैं!

 2-  सर्दी स्पेशल

सफेद मूसली पाउडर  150 G

ब्लैक मूसली पाउडर 150 G

सतावरी पाउडर 30 G

अश्वगंधा पाउडर 100 G

कौच के बीज़ 100 G

शिलाजीत - 100 G

खरबूजे के बीज़ - 100 G

खोपरा - 100 G

जावीत्री - 50 G

जायफल - 10 PC

बड़ी ईलायची - 50 G

छोटी ईलायची - 10 G

लोंग - 10 G

 Chakki se piswa kar ..

 Kaju, Kishmish, Badam, Akhrot as you wish..

 Besan ki Laddoo bana k kha sakte ho... Sardi m

 

सामग्री का उपयोग आयुर्वेदिक और औषधीय दृष्टिकोण से किया जाता है। यह सामग्री आमतौर पर शरीर के विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं के समाधान के लिए तैयार की जाती है। इनका उपयोग करने के फायदे और नुकसान इस प्रकार हो सकते हैं:

फायदे:

    सफेद मूसली (40 ग्राम) - यह शरीर को शक्ति प्रदान करने वाली औषधि है। इससे मांसपेशियों की मजबूती और ताकत मिलती है। यह पुरुषों के लिए कामोत्तेजक और ऊर्जा वर्धक होती है।

    काली मूसली (40 ग्राम) - यह भी शरीर को ऊर्जा देने वाली होती है और यौन शक्ति को बढ़ाने के लिए उपयोगी मानी जाती है।

    गिलोय सत्व (40 ग्राम) - गिलोय शरीर की रोग प्रतिकारक क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है। यह इन्फेक्शन, बुखार और इन्फ्लेमेशन को कम करने में सहायक है।

    सोंठ (40 ग्राम) - सोंठ पाचन तंत्र को सुधारने, अपच, गैस, और सूजन को कम करने में मदद करती है। यह इम्यून सिस्टम को भी मजबूत करती है।

    छोटी पीपल (40 ग्राम) - यह आयुर्वेद में पाचन क्रिया को सुधारने और शारीरिक ऊर्जा को बढ़ाने के लिए इस्तेमाल होती है।

    मुलेठी (40 ग्राम) - मुलेठी गले की सूजन, खांसी और सर्दी के इलाज में प्रभावी है। यह शरीर में बल और ताजगी लाती है।

    ईसबगोल (40 ग्राम) - यह पेट के लिए बहुत फायदेमंद होता है, खासकर कब्ज और आंतों की समस्याओं के लिए।

    तालमखाना (40 ग्राम) - यह शरीर को शांति और ताजगी देने के लिए उपयोगी है। यह मानसिक तनाव को कम करने और शरीर की ऊर्जा को बढ़ाने में सहायक है।

    बबूल का गोंद (40 ग्राम) - बबूल का गोंद शरीर को शारीरिक ताकत प्रदान करता है और पाचन में सहायक है। यह खून की सफाई में भी मदद करता है।

    रूमी मस्तगी (40 ग्राम) - यह मानसिक थकान, तनाव और चिंता को कम करने में सहायक है। यह यौन शक्ति को भी बढ़ाता है।

    बीजबन्द (40 ग्राम) - यह पाचन तंत्र को मजबूत करता है और शरीर की रोग प्रतिकारक क्षमता को बढ़ाता है।

    लौंग (40 ग्राम) - लौंग का उपयोग गैस, कब्ज, और अपच के लिए किया जाता है। यह शरीर में गर्मी पैदा करता है और इन्फेक्शन को भी कम करता है।

    जायफल (40 ग्राम) - जायफल पाचन शक्ति को मजबूत करता है, मानसिक तनाव को कम करता है और नींद में सुधार करता है।

    केसर (40 ग्राम) - केसर त्वचा, पाचन और मानसिक स्थिति को सुधारने में सहायक होता है। यह रक्त संचार को बढ़ाता है और शरीर को ताजगी प्रदान करता है।

    शुद्ध भांग (100 ग्राम) - शुद्ध भांग का उपयोग दर्द, मानसिक तनाव और मांसपेशियों के दर्द के लिए किया जाता है। यह स्फूर्ति और शांति प्रदान करता है।

    मिश्री धागे वाली (700 ग्राम) - यह मिठास के रूप में उपयोग की जाती है, जो शरीर को ऊर्जा देती है और पाचन क्रिया को सुधारने में सहायक है।

नुकसान:

    अत्यधिक सेवन: इन सामग्रियों का अत्यधिक सेवन शरीर में हानिकारक प्रभाव डाल सकता है। जैसे कि अधिक सोंठ से पेट में जलन हो सकती है, और अधिक मुलेठी से रक्तचाप बढ़ सकता है।

    शुद्ध भांग: शुद्ध भांग का अत्यधिक सेवन मानसिक स्थिति पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है, जिससे भ्रम और मानसिक कमजोरी हो सकती है।

    सावधानी: कुछ लोगों को इन सामग्रियों से एलर्जी हो सकती है, जैसे कि लौंग, जायफल, या भांग। इनका सेवन किसी योग्य चिकित्सक की सलाह से करना चाहिए।

    मधुमेह और उच्च रक्तचाप: मिश्री और अन्य मीठे पदार्थ मधुमेह और उच्च रक्तचाप वाले व्यक्तियों के लिए हानिकारक हो सकते हैं, इसलिए इनका सेवन सीमित करना चाहिए।

निष्कर्ष:

इन सामग्रियों का सेवन आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से फायदेमंद हो सकता है, लेकिन उचित मात्रा और सावधानी के साथ किया जाना चाहिए। इन्हें किसी विशेषज्ञ या आयुर्वेदाचार्य की सलाह के अनुसार ही सेवन करना बेहतर होता है।

Thursday, September 5, 2024

मस्सा का इलाज

 
 मस्सा हटाने की दवा
इसे जाता है। बहुधा इनकी उत्पत्ति हाथों की अंगुलियों, कुहनी, घुटनों, चेहरे पर होती है। अधिसंख्यक वार्ट्स बिनाइन होते हैं। लेकिन जिन लोगों में रोगों से लड़ने की क्षमता कम होती है, उनमें भी इनके कैंसर-युक्त होने की सम्भावनाएं बढ़ जाती हैं। आयुर्वेद में इन्हें चर्मकील भी कहा गया है। यह रोग त्वचा में रहने वाली वायु के विकृत होने पर होता है।
उपचार

स्वर्णवंग-1 ग्राम

शुद्ध गंधक-10 गाम प्रवाल पिष्टी 10 गाम गिलोय सत्व-20 ग्राम

इन सब औषधियों को एक साथ मिलाकर साठ पुड़िया बनालें तथा एक एक पुड़िया सवेरे सायं शहद के साथ खाली पेट सेवन करें। सायंकाल औषधि सेवन करने के आधा घंटा पहले एवं आधे घंटे बाद तक कुछ भी न खाएं।

आरोग्यवर्धनी वटी दो दो गोली सवेरे सायं भोजन के बाद मेदोहर गूगल दो दो गोली सवेरे सायं, भोजन के बाद पंचतिक्तघृत गूगल दो दो गोली सवेरे सायं भोजन के बाद त्रिफला चूर्ण-एक एक ग्राम की मात्रा मे पानी के साथ सवेरे एवं रात को। थोड़ी सी पिसी हुई हल्दी, थोड़ा-सा दशांग लेप तथा थोड़ा सा पंचगुण तेल मिलाकर लेप तैयार करें। इसे वार्ट्स पर लगाएं तथा दो दो गोलियां कैशोर गूगल दिन में तीन बार पानी के साथ सेवन करते रहें।

मस्सों पर लगाने हेतु दवा

सज्जीखार-10 ग्राम

चूना (बिन बुझा)-10 ग्राम सोड़ा (वाशिंग) 10 ग्राम हलदी- 2 ग्राम

इन सबको बारीक पीसकर थोड़ा-सा पानी मिलाकर पेस्ट जैसा बनालें। माचिस की तीली पर रुई लगाकर फुरैरी से मस्से या कॉर्न्स पर लगाएं। नियमित रूप से लगाने से लाभ हो जाता है।

(2) ऐलोवेरा जैल को वार्ट्स पर लगाने से भी लाभ मिलता है। (3) वार्ट्स पर लहसुन की एक कली को धीमे-धीमे मसलने से भी ये विलुप्त होने लगते हैं।

खुद का डॉक्टर बने

   डॉक्टर खुद बने 1= नमक केवल सेन्धा प्रयोग करें।थायराइड, बी पी, पेट ठीक होगा। 2=कुकर स्टील का ही काम में लें। एल्युमिनियम में मिले lead से ...