Thursday, October 19, 2023

पारे की गोली

 पारद गोली

पारे की गोली (पारद गोली) स्तम्भन का बड़ा अच्छा काम करती है ।जब तक इस को आप अपने मुंह में रखेगे आप का वीर्य पात नही होगा,जब आप इस गोली को अपने मुंह से बाहर निकालेगे तब आप का वीर्य पात होगा।इस पारद गोली का यह कमाल होता है।

इस गोली को आप चमत्कारी गोली भी कह सकते है क्योंकि यह गोली जो काम करती है वोह किसी चमत्कार से कम नही होता।

इस के इलावा पारद गोली रसायनिक रूप में लाभ देती है। धीरे धीरे शरीर के सभी रोगों को दूर कर देती है।शरीर में चुस्ती फुर्ती पैदा करती हैं और शरीर को शक्तिशाली बनाती है। वात, पित और कफ आदि सब प्रकीर्ति और सभी मौसम में आप इस का इस्तमाल कर सकते है। जवान, बिर्ध,मर्द औरते सभी इस का इस्तमाल कर सकते है और यह गोली सभी को लाभ देती है। दमा,खांसी,बवासीर, मन्द अगन,वात रोग, अतिसार,बहु मूत्र, मूत्र दाह, परमेह,मधुमेह, मोटापा टी. बी.मास सॉस,रक्त विकार,चमड़ी रोग सब प्रकार के दर्द आदि रोगों में लाभ करती है।

पारे की गोली का प्रयोग सभी प्रकार के रोगों को दूर और शरीर को मजबूत करने के लिए क्या जाता है।

अगर आप मुंह में रखने के लिए गोली बनाना चाहते है तो टिक्की समान बनाए अगर दूध में उबालन समय दूध में रखनी हो तो गोल गोली बनाए।

पारद गोली(पारे की गोली) बनाने के लिए हमेशा शुद्ध पारद ही लिया जाता है,,इस लिए सब से पहले आप पर को शुद्ध करे।पारे को शुद्ध करने की बहुत सी विद्या है जैसे पहले चुने के पानी से सात दिन तक खरल करे बाद में घर का धुया,हल्दी,पुरानी ईट का चूर्ण।इस के बाद कांझी,कपड़े की तीन चार यह आदि में छान कर शुद्ध क्या जाता है।

पारद गोली - शुद्ध पारद 2 तोला और चांदी के असली वर्क 80 से 90 ले।शुद्ध पारद में एक एक वर्क डाल कर खरल करते जाए,इसी प्रकार सभी वर्क डाल कर गोली बना के,,,पारद गोली में आप एक सुराख जरूर रखे क्योंकि उस में धागा डाला जा सके।गोली बनाने के बाद इस गोली को आप पहले सफेद धतूरे के 6 तोला तेल में सत दिन तक लटका के रखे,इस के बाद शुद्ध अहेफिम के पानी में सत दिन तक लटका के रखे।इस के बाद यह गोली इस्तमाल करने योग हो जायेगी

पारद गोली को इस्तमाल करने के बाद हर बार धतूरे के तेल में लटका दिया करे।
आप को कोई भी रोग में इस्तमाल करना चाहते है तो आप सत दिन बाद गोली को दूध में उबाल कर पी लिया करे और अगर आप इस गोली को स्तंभन का लिए इस्तमाल करना चाहते है तो आप संभोग समय गोली को मुंह में रख कर संभोग कर आप का वीर्य जब तक नही निकलेगा जब तक आप गोली को मुंह से बाहर नही निकालेगे।
नोट-
अनजान लोग इस गोली को खुद बनाने की कोशिश नही करे. किसी अच्छे वेद हकीम से ही बनाएं

शरीर को कायाकल्प (स्वर्ण लोह वटी )

 स्वर्ण लोह वटी

स्वर्ण लोह वटी बहुत ही ज्यादा गुणकारी,शरीर की कायाकल्प करने वाली वटी है। यह वटी कमजोर व्यक्ति को शक्तिवान, नामर्द को मर्द बनाने की पूरी समता रखती है।यह अनुभूत योग है। स्वर्ण लोह वटी खाने में बहुत गुणकारी है। यह वटी स्वप्नदोष,प्रमेह,शीघ्रपतन, वीर्य विकार,वीर्य में शुक्राणु की कमी,वीर्य में पतलापन आदि रोगी को कुछ दिनों में ही दूर कर देती है और स्तम्भन शक्ति को बढ़ाती है।इस वटी में बहुत से और भी गुण है जो आप को खा कर ही पता चलेगा।
इस को बनाने की विधि
नारंगी का रस 50 ग्राम
संतरे का रस 50 ग्राम
जामुन का रस 50 ग्राम

इन तीनों रसों की की कांच के बर्तन में भर दे और अब इस में 60 ग्राम उत्तम लोह चूर्ण डाल दे ।बाद में इस बर्तन को अच्छे से बंद करके 5 दिन तक धूप में रखे,,,रात को अंदर रख लिया करे।
इस के बाद इमली के बीज 250 ग्राम ले कर 3 दिन तक पानी में भिगोके रखे ,तीन दिन के बाद इमली के बीजों को हाथ से मसल कर छिलका उतार दे कर बीजों को साया में सुखा ले।जब बीज सुख जाए तो अब इन बीजों को तीन किलो दूध में डाल कर उबाले,जब उबलते उबलते दूध का खोया जैसा बन जाए तो उतार कर ठंडा होने दे और बीजों को दूध से बाहर निकाल कर अच्छे से सुखा ले,,,सूखने के बाद इन बीजों को अच्छे से कूट कर कपडे छान कर ले। अब इस चूर्ण को उपरोक्त रसों में खरल करे के सारा रस घोटते घोटते जजब हो जाए।अब इस में 60 ग्राम शुद्ध शिलाजीत सूर्यतापी डाल कर कम से कम तीन घंटे खरल करे। फिर इस की 2-2 रत्ती की गोलियां बना लें।इन गोलियों को साया में सुखा कर कांच की शीशी में रख ले।
एक एक गोली सुबह और रात को दूध के साथ खाए,,,कुछ ही दिनों के इस के गुण आप को अपने चेहरे,सारे शरीर पर नजर आएंगे।

दवा के सेवनकाल में ब्रह्मचर्य का पालन जरूर करे।
अगर कबज हो तो पहले उस को दूर करे।
स्वर्ण लोह वटी किसी भाई कोई चाहिए तो हमारे पास भी मिल जाएगी।
Cont. & Whatsapp no.9729510363

कामदेव वटी अनुभूत योग

 

कामदेव वटी सभी यौन रोगों में अच्छे से और बहुत जल्दी काम करने वाली वटी है।कामशक्ति,इच्छा,जोश,वीर्य विकार,इंद्री में जोश,तनाव की कमी, विषेस रूप में यह हर प्रकार की नपुंसकता में बहुत अच्छा काम तो करती ही है इस के साथ साथ आप को यह मानसिक और शारीरिक तौर से भी मजबूत बनाती है।काम इच्छा तो इतनी पैदा करेगी की सहन करना मुस्कल होगा।इस के साथ साथ कामदेव वटी सेवन करने से शरीर की सुंदरता, तीव्र पाचन-शक्ति, अतुल बल और प्रखर बुद्धि की प्राप्ति होती है। हृदय की दुर्बलता एवं रक्तचाप वृद्धि रोगों में भी बहुत लाभकर है।

कामदेव वटी को कैसे बनाया जाता है
सब से पहले शिग्रफ दो तोला की एक डली को 50 धतूरे जो ताजे ,हरे और जो बीजों से भर जाते है उन को लेना है ।इस के बाद एक धतूरे में सुराख कर के पहले शिग्रफ की डाली को उस में रख दे और धतूरे के बुरादे से ही सुराख बन्द करके कपड़ मिट्टी करके के,जब अच्छे से सुख जाए तब एक किलो बकरी की मेगन की आग दे,,जब आग ठंडी हो जाए तो शिग्रफ की डाली को सावधानी से निकल ले।बस इसी प्रकार आप को 50 धातुरो में रख कर आग देते जाए।आप की शुद्ध उग्र शिग्रफ त्यार है ।इस के बाद आप एक तोला सफेद संखिया को पहले 3 किलो दूध में डोला जंतर में शुद्ध करे । संखिया बहुत खुस्क होता है इस लिए शुद्ध करने के बाद संखिया को दो दिन तक देसी घी में बालू जंतर से पकाए तो आप की संखिया खुसकी रहित बन जायेगी।
अब शुद्ध शिग्रफ और शुद्ध संखिया को 10 तोला काले धतूरे के बीजों के रस में खरल करे ( काला धतूरा न मिले तो सफेद धतूरा भी आप ले सकते है) इस के बाद 4 तोला सफेद आक के दूध में खरल करे टिकिया बना कर साया में सुखा कर नक छिकनी के 20 नुग्दे में रख कर कपरोटी करके 5 किलो पथिया की आग दे।आप की उग्र,काम वर्धक भस्म त्यार है।इस को अच्छे से खरल कर ले।अब इस भस्म से हीरक भस्म 200 मिलीग्राम,स्वर्ण भस्म 1ग्राम, छोटी इलाइची बीज 2 तोला,नेपाली कस्तूरी 3 मासे, जुंदबेदास्त 1 तोला, केसर 6 मासे वर्क चांदी या चांदी भस्म 3 मासे सभ को अच्छे से पान के 200 ताजे पत्तों के रस में खरल करे एक एक रत्ती की गोलियां बना कर साया में सुखा कर कांच की शीशी में रख ले।आप की महा उत्तेजक,महा कामिक,महा शक्ति शाली,वीर्य वर्धक वटी त्यार है।
इस से कम कामशक्ति आप के सिर चढ़ कर बोलेगी।
एक एक गोली सुबह और रात को एक छटाक मलाई में रख कर खाए और उपर से आधा किलो दूध पिए।आप इस का कोर्स कम से कम एक महीना तो जरूर लेना चाहिए। फिर देखे इस वटी का कमाल।
वटी लेने से पहले अपने पेट को अच्छे से साफ करे।
इतनी उग्र दवा अगर आप को खानी है तो थोड़ा परहेज भी रखना होगा,,जैसे खताई,लाल मिर्च,आचार,शराब,मीट,ज्यादा मसालेदार भोजन,फास्ट फूड आदि का जरूर परहेज रखे,अभी आप को अच्छा और ज्यादा समय तक रहने वाला रिजल्ट मिलेगा जी ।
धन्यवाद
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जुलाब के जादूई योग

 जुलाब के अद्भुत जादूई योग

यह जुलाब के दो योग आयुर्वेद की महान शक्ति का एहसास करवाते है।
1.
अरणड बीज, जमालगोटा किं गिरी और सरसो यह सब बराबर मात्रा ले कर ,कूट कर गोली बना कर पाताल यंत्र से तेल निकल कर शीशी में भर कर रख ले। जरूरत समय हाथ की जितनी अंगुलियों पर आप इस तेल की एक एक बूद मलोगे उतने ही जुलाब होगे।
2️⃣ एक बड़ी हरड़ लेकर उसको इंद्रायण के पके फल के अन्दर छेड़कर के 24 घण्टे रखे,फिर निकाल कर दूसरे फल में 24 घण्टे रखे इसी प्रकार आप को 20 इंद्रायण के फ्लो में रखना है।बस आप की दवा तैयार है। यह बहुत ही काम की चीज है। खासकर सख्त रोगी और बच्चो को जुलाब देने के लिए बहुत ही गुणकारी है।जिस किसी को भी जुलाब लेना हो वह इस हरड़ को हाथ में लेकर मुठ्ठी बन्द कर ले,5 मिनट के अन्दर जुलाब लग जायेगे,जब तक हरड़ हाथ में रहेगी जुलाब आते रहेंगे।,,,यह दोनो योग अनुभूत है।

अतुल शक्ति दाता योग ( संन्यासी योग)

 अतुल शक्ति दाता योग( संन्यासी योग)

वीर्य में एक दम शुक्राणुओं की फौज बनाने और कमज़ोर हो गई इंद्री को माजबूत, ताक़तवर बनाने वाला अतुल शक्ति दाता योग,,,,जो के बनाने में बहुत ही मुश्किल है,,,इसे कोई आम आदमी नही बना सकता और ना ही कभी बनाने की कोशिस करे क्यों के यह बहुत ही सावधानी और मेहनत से बनता है,,,,बनाने में एक साल लग जाता है,,,इसे अनजान व्याक्ति तो बनाने के बारे में सोचे भी नहीं।

यह योग दूध,घी,माखन मलाई सब को हजम कर के आप के शरीर को फौलादी ताकतवर बनाने के लिये बहुत ही बढ़िया योग है।
अतुल शक्ति योग कैसे बनता है,,इस के पीछे का इतिहास क्या है,,,हम इस सब की जानकारी आप को दे रहे है जरा ध्यान से पढ़े।।।
महाशक्तिशाली योग जो अतुल शक्ति दाता योग नाम से मशहूर है। मै उस की बात नहीं कर रहा जो कंपनियां,या जो बहुत सी फार्मेसी बनाती है , जो 80,100 रुपए मे मिल जाता है। मै उस योग की बात कर रहा हूं जो कि अनलोम है। जो आयुर्वेदिक शास्त्रों के अनुसार बनता है जिस को बनाने मे कड़ी मेहनत, समय, श्रद्धा लगती है।जिस को बनाने में कम से कम भी एक साल लग जाता है।जिस की एक चावल की खुराक खाने से ही पता चल जाता है के इस को बनाने में कितनी मेहनत लगी है। पाच सात खुराक तो आदमी के अंदर ताकत का तूफान पैदा कर देती है।जिस को सहन करना भी बड़ा मुश्किल हो जाता है।जिस को कड़ाके की ठंड, सर्द दिनों मे खाया जाता है। इस के साथ हम खूब दूध, घी,माखन,मलाई,ड्राई फ्रूट आदि खाने बहुत ही ज़रूरी है और वह योग उन को आप के शरीर मे हज़म भी कर देता है।
इस योग की प्रशंसा हम लफ्जो मे नहीं कर सकते,खा कर ही महसूस कर सकते है।कुछ दिन खाने से ही चेहरा लाल सुर्ख,चमकदार हो जाता है,70,80 साल का आदमी भी अपने आप को जवान महसूस करने लगता है। नस नस मे जवानी की लेहरे दौड़ने लगती है।
नपुंसकत आदमी भी पूरा मर्द बन जाता है।
अतुलशक्ति दाता योग के साथ एक कहानी भी जुड़ी हुई है।
हिमाचल प्रदेश की पहाड़िया मे के सनियासी स्वामी रत्नागिरी जी रहते थे। वाहा प्र के ग्वाला भी आया करता था जो कि स्वामी जी की बहुत सेवा करता था।ग्वाला बहुत ही दुबला पतला,शरीर पखो बहुत ही कमज़ोर था।एक दिन स्वामी जी ने ग्वाले को पांच पुड़िया दी और कहा के एक एक पुडी मुखन के साथ मिला कर खा ले।एक पूड़ी मे एक चावल जितनी ही भस्म थी।ग्वाले ने सोचा के इतनी की खुराक मुझे क्या करेगी इस कारण उस ने एक साथ ही पांच पुड़िया मखन मे मिला कर खा ली।
पांचों पुड़िया खाने ले बाद 70,80 साल के ग्वाले के इतनी काम शक्ति उत्पन हुई की हव अपनी पत्नी कर साथ एक दिन मे ही काफी सम्भोग करने के बाद भी उस की इंद्री सिथल नहीं हुई।
दूसरे दिन ग्वाला स्वामी की के पास गया और अपनी सारी समस्या बताई की काफी बार सम्भोग करने के बाद भी उस की लिंग की उतेजना खतम नही हुई इस का कोई समाधान करे तो स्वामी जी ने कहा के एड का एक ही समाधान है के एक दो,जवान लड़कियों से शादी कर ले ।ग्वाले ने बाद में दो शादी भी की।
इस के बाद उस समय के राजे के पास भी यह खबर पाउच गई ले इस प्रकार ग्वाले ने दो शादी की।इस के बाद राजे ने स्वामी जी को अपना राजवैध भी बनाया। राजा स्वामी की को यह योग बना कर और राजो को भेजता और उन से हीरे, जवारात लेता।

इस कहानी मे कितनी सचाई है यह तो नहीं पता लेकिन योग मे 100% सच्चाई है।योग इस प्रकार ही अपना असर दिखाता है।इस मे कोई सांका नहीं।
योग इस प्रकार है -
100 पुटी लौह भस्म 200 ग्राम ले।इस मे एक तोला सफेद संख्या और डेढ़ ग्राम भीमसेन कपूर मिला कर कम से कम तीन चार घंटे घी कवार के रस में खरल करने के बाद एक टिकी बना कर धूप मे सूखा कर पांच किलो उपलों की आग से ।ऐसी प्रकार आप ने एक तोला संख्या और डेढ़ ग्राम कपूर मिला कर 41आग देनी है।
इसके बाद एक तोला वरकिया हरताल और डेढ़ ग्राम कपूर को क्वार के रस में खरल करके धूप मे सूखा कर पांच किलो उपलों की 41 ही आग देनी है।
इस के बाद एक तोला शुद्ध पारद और डेढ़ ग्राम भीमसेन कपूर मिला कर ,पांच किलो उपलों की 41आग देनी है।
इस के बाद आखिर मे एक तोला शुद्ध गंधक और डेढ़ ग्राम कपूर मिला कर 41 आग देनी है।
41आग देनी है तो 41बार ही एक तोला तोला संख्या, हर्ताल,पारद,गंधक मिलना है इसी प्रकार भीमसेन कपूर डेढ़ डेढ़ ग्राम हर बार मिलते जाना है।
आप देख ले के टोटल 164 आग। हो गई।सभी आग देने के बाद आप का अतुल शक्ति दाता योग त्यार है।आप इस की खुराक एक चावल से तीन चावल तक ले सकते है।
164 आग देने के बाद आप इस को किसी कांच की शीशी में भरकर ,अच्छे से बंद करके एक महीना धरती के नीचे दबा देने से इस की शक्ति कई गुना बढ जाती है।
Note=
इस मे जो हम ने संखिय डाला है यह संख्या आक के 250ग्राम दूध मे बना हुए है।जिस से यह योग और भी बहुत शक्तशाली बन जाता है।

यह योग नामर्दी,शीघ्रपतन,उटेजना की कमी,खून की कमी,शरीरिक कमजोरी को दूर करने के लिए जादू की तरह काम करता है।इस के साथ दूध,घी,मखन,मलाई आदि पोष्टिक आहार ले।
कम से कम आप यह योग 30से 40दिन तक लेने के बाद आप 100 औरतों के साथ भी सम्भोग करके की नहीं थकेगे।
जब तक आप ने यह योग खाना है तब आप ने गरम,खटाई,ज्यादा मिर्च मसालेदार भोजन,शराब आदि नसिले पदार्थो का सेवन नहीं करे।
अतुल शक्ति दाता योग बन कर त्यार हो गया है।164आग पूरी हो गई है।जिस किसी भाई को जरूरत हो हम से मगवाह सकते है। contact ya whatsapp +91-9729510363

Wednesday, October 18, 2023

ऋषि मुनियों के चमत्कारी सिद्ध योग

 ऋषि मुनियों के चमत्कारी सिद्ध योग

हमारे हिन्दु धर्म के अगनि पुराण जैसे ग्रंथों मे हजरों चम्तकारिक जडी बूटियों का वर्नण मिलता है जो चम्तकार करती है व मान्व जीवन मे उपयोगी साबित हुई है इनमें से कुछ जडी बूटीओ का वर्नण किया है जो आप के काम आएगी।
म्रत्युन्जय-योग
1🌱. 300 वर्ष की आयु प्राप्त करने व सभी रोगों से छुटकारा पाने के लिए : मधु , त्रिफला, घृत , गिलोय। का इसतेमाल करें।
2🌳. 500 साल तक आयु प्राप्त करने के लिए : बिल्व-तैल का नस्य/नसवार आयु 500साल तक बढ़ाता है|
3 🌲.त्रिफला 4 तोले , 2 तोले , या 1 तोले
4 🌴. 500 वर्ष की आयु: बिल्व तैल का नस्य एक मास तक लेने से 500 वर्ष की आयु प्राप्त होती है।
5 🌱. अपमृत्यु और वृद्धावास्था :भिलावा और तिल का सेवन रोग, अपमृत्यु और वृद्धावास्था को दूर करता है।
6 ☘.वाचुकी के पञ्चांग के चूर्ण को खैर क्वाथ के साथ 6 माह तक प्रयोग करने से कुष्ठ पर काबू हो जाता है।
7 🌵 .100 साल की आयु: खांड युक्त दूध पीने से।
सौ वर्ष की आयु शर्करा, सैन्धव और सौंठ के साथ अथवा पीपल, मधु, एवं गुड़ के साथ प्रति दिन दो हर्रे का सेवन करें।
8 🌾 मृत्यु पर विजय : 4 तोले मधु , घी ,सोंठ की 4 तोले की मात्रा का प्रति दिन प्रातः काल उपयोग करने से व्यक्ति मृत्यु पर विजय प्राप्त करता है।
9 .🍃 .झुर्रियां व बाल सफ़ेद पर रोक : ब्राह्मी चूर्ण के साथ दूध का सेवन करने चेहरे पर झुर्रियां नहीं पड़तीं और बाल सफ़ेद नहीं होते व आयु वृद्धि होती है।
10 🍁 .मृत्यु पर विजय : मधु के साथ उच्चटा (भुईं आंवला ) को एक तोले की मात्रा में खाकर दुग्धपान करने वाला मनुष्य मृत्यु पर विजय प्राप्त करता है।
5 सौ वर्ष आयु : पलाश -तैल का मधु के साथ,1 तोले, दूध के साथ प्रति दिन 6 मास तक सेवन करने से आयु 5 सौ वर्ष हो जाती है।
कांगनी के पत्तों का रस या त्रिफला दूध के साथ लेने से 1 हजार वर्ष की आयु प्राप्त होती है।
हजारों वर्ष की आयु : 4 तोले शतावरी-चूर्ण , घृत व मधु के साथ लेने से हजारों वर्ष की आयु प्राप्त होती है।
मृत्यु का नाश : मेउड़ की जड़ का चूर्ण या पत्र स्वरस रोग एवं मृत्यु का नाश करता है ।
अमर होने के लिए: नीम के पंचांग-चूर्ण को ख़ैर के क्वाथ (काढ़ा) की भावना देकर भृंगराज के रस साथ एक तोला भर सेवन करने से मनुष्य सभी रोगों से जीत कर अमर हो सकता है।
मृत्यु विजय : रुदन्तिका चूर्ण घृत और मधु के साथ सेवन करने से या केवल दुग्धाहार से मनुष्य मृत्यु को जीत लेता है।
हरीतकी चूर्ण भृंगराज रस की भावना देकर एक तोले की मात्रा में घृत और मधु के साथ सेवन करने वाला रोगमुक्त होकर तीन सौ साल की उम्र तक जीता है।
पाँच सौ साल की आयु : ताम्र भस्म, गिलोय, शुद्ध गंधक को सामान भाग घी कुंवार के रस में घोंट कर दो-दो रत्ती की गोलियां बनायें। इनका सेवन घृत के साथ करने से पाँच सौ साल की आयु प्राप्त होती है।
पांच सौ वर्ष की आयु : गेठी, लोह चूर्ण, शतावरी को समान भाग से भृंगराज रस तथा घी के साथ लेने से पांच सौ वर्ष की आयु प्राप्त होती है।
तीन सौ वर्ष की आयु : लौह भस्म व शतावरी को भृंगराज रसमें भावना देकर मधु व घी के साथ लेने से तीन सौ वर्ष की आयु प्राप्त होती है।
सौ साल तक आयु : असगन्ध, त्रिफला,चीनी,तैल, घृत में सेवन करने वाला सौ साल तक जिन्दा रह सकता है।
शतायु : गदहपूर्ना का चूर्ण एक पल मधु, घृत और दुग्ध के साथ खाने वाला शतायु होता है।
अशोक की छाल का एक पल चूर्ण मधु और घृत के साथ दुग्धपान करने से रोग नाश होता है।
सौ साल तक आयु :निम्ब के तैल की मधु सहित नस्य लेने से मनुष्य सौ साल जीता है और उसके बाल हमेशां काले बने रहते हैं।
सौ साल तक आयु :बहेड़े के चूर्ण को एक तोला मात्रा में शहद , घी और दूध के साथ पीने वाला शतायु होता है।
सौ साल तक आयु :बहेड़े के चूर्ण को एक तोला शहद, घी, और दूध पीने वाला शतायु होता है ।
सौ वर्ष तक की आयु :पिप्पली युक्त त्रिफला, मधु और घृत के साथ।
एक सहस्त्र वर्ष की आयु : पथे के एक पल चूर्ण को मधु घृत और दूध के साथ सेवन करते हुए दुग्धान्न का भोजन करने वाला निरोग रहकर एक सहस्त्र वर्ष की आयु का उपभोग करता है।
सौ वर्ष की आयु : कमल गन्ध का चूर्ण भांगरे के रस की भावना देकर मधु और घृत की साथ लेने पर सौ वर्ष की आयु प्रदान करता है।
दो सौ वर्ष की आयु : कड़वी तुम्बी के एक तोले भर तैल का नस्य दो सौ वषों की आयु प्रदान करता है ।
तीन सौ वर्ष की आयु :- त्रिफला,पीपल और सौंठ का प्रयोग तीन सौ वर्ष की आयु प्रदान करता है।
सहस्त्र वर्ष की आयु :शतावरी का त्रिफला, पीपल और सौंठ का प्रयोग सहस्त्र वर्ष की आयु व अत्यधिक बल प्रदान करता है।
तीन सौ वर्ष की आयु :- त्रिफला, पीपल और सौंठ का चित्रक के साथ प्रयोग भी तीन सौ वर्ष की आयु प्रदान करता है।
सौंठ का चित्रक व विडंग के साथ प्रयोग भी लम्बी आयु दायक है।
त्रिफला, पीपल, सौंठ का लोह, भृंगराज, खरेटी, निम्ब-पञ्चांग, ख़ैर, निर्गुण्डी, कटेरी, अडूसा और पुनर्नवा के साथ या इनके रस की भावना देकर या इनके संयोग से बटी या चूर्ण बनाकर उसका घृत, मधु, गुड़ और जलादि के साथ सेवन करने से लम्बी उम्र की प्राप्ति होती है।
वात ज्वर : बिल्वादि पंचमूल-बेल, सोनापाठा, गम्भार, पाटन, एवं अरणी का काढ़ा प्रयोग करें।
पाचन : पिप्पली मूल, गिलोय और सोंठ का क्वाथ प्रयोग करें।
ज्वर : आंवला, अभया (बडी हरड ), पीपल और चित्रक-यह आमल क्यादि क्वाथ सब प्रकार के ज्वर का नाश करता है।
खांसी, ज्वर , अपाचन, पार्श्व शूल, और कास (खाँसी ) : दश मूल – बिल्वमूल, अरणी, सोनापाठा, गम्भारी, पाटल, शालपर्णी, गोखुरू, पृष्टपर्णी, बृहती, (बड़ी कटेरी) का क्वाथ व कुश के मूल का क्वाथ-प्रयोग करें।
वात और पित्त ज्वर :- गिलोय, पित्त पापड़ा, नगर मोथा, चिरायता, सौंठ-यह पञ्च भद्र क्वाथ, वात और पित्त ज्वर में देना चाहिये।
विरेचक व सम्पूर्ण ज्वर नाष्क :- निशोथ, इंद्राय्ण (इंद्र वारुणी ), कुटकी, त्रिफला, अमलतास का क्वाथ यवक्षार मिला कर पिलायें।
सभी प्रकार के कास रोग : देवदारु,खरेठी, अडूसा, त्रिफला, व्योष (सौंठ,काली मिर्च, पीपल), पद्मकाष्ठ वाय विडंग और मिश्री सभी सामान भाग में ले।
ह्रदय रोग, गृहणी, हिक्का, श्र्वाष, पार्श्व रोग व कास रोग : दशमूल,कचूर, रास्ना, पीपल, बिल्व, पोकर मूल, काकड़ा सिंगी, भुई आंवला, भार्गी, गिलोय और पान इनसे विधि वत सिद्ध किया हुआ क्वाथ या यवागू का पान करें।
हिक्का -हिचकी रोग : मुलहठी(चूर्ण), के साथ पीपल, गुड के साथ नागर, और तीनों नमक (सैं धा नमक, विड नमक, काला नमक)।
अरुचि रोग: कारवी अजाजी (काला जीरा-सफ़ेद जीरा), काली मिर्च, मुन्नका, वृक्षाम्ल (इमली), अनारदाना, काला नमक और गुड़, इन्हें सामान भाग में मिला कर चूर्ण को शहद के साथ निर्मित कारव्यादी बटी का सेवन करें।
कास रोग (खांसी ), श्र्वाष, प्रति श्याय (जुकाम) और कफ विकार : अदरक के रस के साथ मधु इनका का नाश करते हैं।
प्यास और वमन -उल्टी : वट-वटा ङ्कुर, काकड़ा सींगी, शिलाजीत, लोध, अनारदाना और मुलहटी के चूर्ण में सामान भाग में मिश्री मिला कर मधु के साथ अवलेह (चटनी) बनायें तथा चावल के पानी के साथ लें।
कफ युक्त रक्त, प्यास, खांसी एवं ज्वर : गिलोय, अडूसा, लोध और पीपलको शहद के साथ प्रयोग करें।
कास (बल्गमी खांसी) अदुसे का रस, मधु और ताम्र भस्म सामान मात्र में लें।
सर्प विष व कास : शिरीष पुष्प के स्वर रस में भावित सफेद मिर्च लाभ प्रद हैं।
वेदना-दर्द-पीड़ा : मसूर सभी प्रकार की वेदना को नष्ट करता है।
पित्त दोष : चौंराई का साग सभी प्रकार के पित दोश को नाश करता है।
विष नाशक : मेउड़, शारिवा, सेरू और अङ्कोल।
मूर्छा, मदात्यय रोग (बेहोशी) : सौंठ, गिलोय, छोटी कटेरी, पोकर मूल, पीपला मूल और पीपल का क्वाथ।
उन्माद : हींग, काला नमक एवं व्योष (सौंठ,मिर्च,पीपल), ये सब दो दो पल लेकर 4 सेर घृत और घृत से 4 गुनी मात्रा में गौ मूत्र में सिद्ध करने पर प्रयोग करें।
उन्मादऔर अपस्मार रोग का नाश व मेधा वर्धक : शंख पुष्पी, वच, और मीठा कूट से सिद्ध ब्राह्मी रस को मिला कर इनकी गुटिका बना लें
कुष्ठ रोग कुष्ठ रोग मर्दन : परवल की पत्ती , त्रिफला, नीम की छाल, गिलोय, पृश्र्निपर्णी, अडूसे के पत्ते के साथ तथा करज्ज -इनको सिद्ध करने वाला घृत। यह वज्रक कहलाता है।
कुष्ठ नाशक: हर्रे के साथ पंचगव्य या घृत का प्रयोग।
कुष्ठ नाशक, अस्सी प्रकार के वात रोग, चालीस प्रकार के पित्त रोग,और बीस प्रकार के क़फ़ रोग ,खांसी, पीनस (बिगड़ा जुकाम ), बबासीर और व्रण रोगों का नाश यह योगराज करता है : नीम की छाल, परवल, कंटकारी-पंचांग, गिलोय और अडूसा-इन सबको दस दस पल लेकर कूट लें । 16 सेर पानी में क्वाथ बनाकर उसमें सेर भर घृत और 2 0 तोले त्रिफला चूर्ण का कल्क बनाकर डाल दें और चतुर्थांश शेष रहने तक पकाएं।
अर्श रोग :त्रिकुट युक्त घृत को तिगुने पलाश भस्म -युक्त जल में सिद्ध करके पीना है।
उपदंश की शांति : त्रिफला के क्वाथ या भ्रंग राज के रस से व्र णों को धोयें। परवल की पत्ती के चूर्ण के साथ अनार की छाल या गज पीपर या त्रिफला का चूर्ण उस पर छोड़ें ।
वमन(उल्टी) : त्रिफला, लोह्चूर्ण, मुलहटी, आर्कव, (कुकुरमांगरा ), नील कमल, कालि मिर्च और सैन्धव नमक सहित पकाये हुए तैल के मर्दन से वमन की शांति होती है ।
वमन कारक : मुलहठी, बच, पिप्पली-बीज, कुरैया की छाल का कल्क और नीम का क्वाथ घौंट देने वमन कारक होता है।
बाल पकने-सफ़ेद होने से रोकना : दूध, मार्कव-रस, मुलहटी और नील कमल, इनकी दो सेर मात्रा को पका कर एक पाव तैल में बदल कर नस्य का प्रयोग करे।
ज्वर, कुष्ठ, फोड़ा, फुंसी, चकत्ते: नीम की छाल, परवल की पत्ती , गिलोय, खैर की छाल , अडूसा या चिरायता, पाठा , त्रिफला और लाल चन्दन।
ज्वर और विस्फोटक रोग : परवल की पत्ती, गिलोय, चिरायता, अडूसा, मजीठ एवं पित्त पापड़ा-इनके क्वाथ में खदिर मिलाकर लिया जाये।
ज्वर, विद्रधि तथा शोथ : दश मूल, गिलोय, हर्रे, गधह पूर्णा , सहजना एवं सौंठ ।
व्रण शोधक : महुआ और नीम की पत्ती का लेप
बाह्य शोधन : त्रिफला (हेड़, बहेड़ा, आंवला), खैर (कत्था), दारू हल्दी, बरगद की छाल , बरियार, कुशा, नीम की पत्ते तथा मूली के पत्ते का क्वाथ।
घाव के क्रमि नष्ट करना: करंज , नीम, और मेउड़ का रस।
व्रण रोपण : धय का फूल, सफ़ेद चन्दन, खरेठी , मजीठ , मुलहठी, कमल, देवदारु, तथा मेद घाव को भरने वाले हैं ।
नाड़ी व्रण, दुष्ट व्रण, शूल और भगन्दर : गुग्गुल, त्रिफला, पीपल, सौंठ, मिर्च, पीपर इन सबको समान भाग में पीस कर घृत में मिला कर प्रयोग करें।
कफ और वात रोग : गौ मूत्र में भिगोकर शुद्ध की हुई हरीतकी (छोटी हर्र) को रेडी के तेल में भून कर सैंधा नमक के साथ प्रात प्रति दिन प्रयोग करें। ऐसी हरितकी कफ व वात से होने वाले रोगों को नष्ट करती है।
कफ प्रधान व वात प्रधान प्रकृति वाले मनुष्यों के लिए : सौंठ,मिर्च,पीपल और त्रिफला का क्वाथ यवक्षार और लवण मिलाकर पीने से विरेचन का काम करता है और कफ वृधि को रोकता है।
आम वात नाशक : पीपल, पीपला मूल , वच , चित्रक व सौंठ का क्वाथ या पेय बनाकर पियें।
वात एवं संधि, अस्थि एवं मज्जा गत, आमवात : रास्ना, गिलोय, रेंडकी की छाल, देवदारु,और सौंठ का क्वाथ में पीना चाहिये अथवा सौंठ के जल के साथ दशमूल का क्वाथ पीना चाहिये।
आम वात, कटिशूल और पांडु रोग : सौंठ,एवं गोखरू का क्वाथ प्रतिदिन प्रात: सेवन करना है। शाखा एवं पत्र सहित प्रसारिणी (छुई मुई ) का तैल भी इस रोग में लाभप्रद है।
वातरक्त रोग : गिलोय का स्वरस, कल्क , चूर्ण या क्वाथ का दीर्घ कल तक प्रयोग।
वातरक्त नाशक : वर्धमान पिप्पली या गुड़ के साथ हर्रे का सेवन करना चाहिए।
वातरक्त-दाहयुक्त रोग : पटोल्पत्र, त्रिफला, राई, कुटकी, और गिलोय का पाक तैयार करें।
वातजनित पीड़ा : गुग्गुल को ठन्डे-गरम जल से, त्रिफला को सम शीतोष्ण जल से अथवा खरेठी, पुनर्नवा, एरंड मूल, दोनों कटेरी, गोखरू, का क्वाथ, हींग तथा लवण के साथ। एक तोला पीपला मूल,सैन्धव , सौवर्चल, विड्, सामुद्र एवं औद्भिद-पाँचों नमक, पिप्पली,चित्ता, सौंठ, त्रिफला, निशोथ, वच, यवक्षार, सर्जक्षार, शीतला, दंती, स्वर्ण क्षीरी(सत्य नाशी) और काकड़ा सिंगी -इनकी बेर के बराबर गुटिका बनायें और कांजी के साथ सेवन करें -शोथ तथा उससे हुए में भी इसका सेवन करें । उदर वृद्धि में निशोथ का प्रयोग न करें।
शोथ नाशक : दारू हल्दी, पुनर्नवा तथा सौंठ-इनसे सिद्ध किया हुआ दूध।
शोथ का हरण : मदार, पुनर्नवा (-गदह्पुर्ना) एवं चिरायता के क्वाथ से सेंक करने पर।
गलगंड और गलगंड माल : फूल प्रियंगु, कमल, सँभालू, वायविडंग, चित्रक, सैंधव लवण, रास्ना, दुग्ध, देवदारु और वच से सिद्ध चौगुना कटु द्रव्य युक्त तैल मर्दन करने से (या जल के साथ ही पीसकर लेप करने से)।
टी.बी या क्षय रोग : कचूर,नागकेसर, कुमुद का पकाया हुआ क्वाथ तथा क्षीर विदारी,पीपल और अडूसा का कल्क दूध के साथ पका कर लेने से लाभ होता है।
गुल्म रोग, उदर रोग, शूल और कास रोग: वचा, विडलवण,अभया (बड़ी हर्रे), सौंठ,हींग, कूठ ,चित्रक और अजवाइन, इनके क्रमश: दो, तीन, छ:, चार, एक, सात, पाँच और चार भाग ग्रहण करके चूर्ण बनायें।
गुल्म और पलीहा : पाठा, दन्ती मूल, त्रिकटु (सौंठ,मिर्च, पीपल) त्रिफला और चित्ता का चूर्ण गौमूत्र के पीस कर गुटिका बनालें ।
कृमि नाशक : वाय विडंग का चूर्ण शहद के साथ। या विडंग, सैंधा नमक, यव क्षार एवं गौमूत्र के साथ हर्रे भी लेने पर।
रक्तातिसार : शल्लकी (शाल विशेष ), बेर, जामुन, प्रियाल, आम्र और अर्जुन -इन वृक्षौं की छाल का चूर्ण बना कर मधु में मिला कर दूध के साथ लेना है
अतिसार : कच्चे बेल का सूखा गूदा, आम की छाल, धाय का फूल, पाठा, सौंठ और मोच रस (कदली स्वरस )-इन सबका समान भाग लेकर चूर्ण बना लें गुड मिश्रित तक्र के साथ पीयें।
गुद भ्रंश रोग : चान्गेरी, बेर, दही का पानी, सौंठ और यवक्षार-इनका घृत सही क्वाथ पीने से।
प्रदर रोग : मजीठ, धाय के फूल, लोध, नील कमल-इनको दूध के साथ स्त्रियों को लेना चाहिये।
प्रदर रोग नाशक : पीली कट सरैया, मुलहठी और चन्दन ।
गर्भ स्थिर करना : श्वेत कमल और नील कमल की जड़ तथा मुलहठी , शर्करा और तिल-इनका चूर्ण का इसतेमाल करने से गर्भपात की आशंका होने पर गर्भ को स्थिर करने में सहायक है ।
शिरो रोग का नाश : देव दारू, अभ्रक, कूठ, खस और सौंठ-इनको कांजी में पीस कर तैल मिला कर, लैप करने से शिरोरोग का नाश होता है ।
कर्ण शूल शमन : सैन्धव-लवण को तैल में सिद्ध करके छान लें -हल्का गरम तैल कान में डालने से फायदा होगा
कर्णशूल हारी : लहसुन, अदरक, सहजन और केला -इनमें से प्रत्येक का रस कर्णशूल हारी है।
तिमिर रोग नाशक : बरियार, शतावरी, रास्ना, गिलोय, कटसरैया और त्रिफला-इनको सिद्ध करके घृत का पान या इनके सहित घृत का उपयोग।
आँखों (-चक्षुश्य), ह्रदय, विरेचक और कफ रोग नाशक : ( त्रिफला, त्रिकुट एवं सेंधव नमक -इनसे सिद्ध किये हुए घृत का पान-आँखों, ह्रदय, विरेचक और कफ रोग नाशक – के लिए हितकर है।
दिनौंधी, रतौंधी : गाय के गोबर के रस के साथ नील कमल के पराग की गुटिका का अंजन ।
सर्व रोग नाशक चूर्ण व विरेचक : हर्रे, सैन्धव लवण और पीपल -इनके समान भाग का चूर्ण गर्म जल के साथ लें । यह नाराच -संज्ञक चूर्ण सर्व रोग नाशक है ।

शिग्रफ तूफानी वटी बहुत ही पावरफुल

 शिग्रफ तूफानी वटी का कोई भी भाई रिजल्ट चेक करना चाहता है तो आप हम से पहले 5 दिन की दवा मंगवा सकते है। शिग्रफ वटी बहुत ही पावरफुल वटी है ! इंद्री की सभी प्रकार की कमजोरी को 2,3 दिन में ही दूर करके इंद्री को रेस्ट पुष्ट कर देती है! चाहे किसी भी प्रकार की कमजोरी हो जैसे हस्थमैथुन, बढ़ती उम्र,या शुगर या किसी भी गलत हरकतों से हो! सभी को दूर करने की ताकत रखती है।।।।जिस किसी भाई को चाहिए हम से सपर्क कर सकता है।

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यह वटी कैसे बनती है
शिग्रफ तूफानी वटी बनाने की विधि।

शिग्रफ तूफानी वटी को हम अलग अलग रसों की भावना दे कर बनाते है,,,जैसे सभ से पहले120 निम्बू रस की भावना ( खरल करे),फिर एक किलो अदरक,एक किलो लसन,एक किलो सफेद प्याज इसी तरह अश्वगंधा, कौच बीज,अकरकरा,जायफल,जावित्री,लौंग,दालचीनी, उत्गन बीज आदि के रसों या काढ़े की भावना देते है।आखिर में इस में स्वर्ण वर्क,चांदी वर्क, मुगा पिस्टी,रूमी मस्तंगी,केशर आदि को मिला कर पान के पत्तो के रस की सात भावना दे कर मूंग दाल समान गोलियां बना कर साया में सुखा कर ,एक कांच की शीशी में भर ले और 40 दिन के लिए ठंडी जमीन में दबा देते है,40 दिन के बाद इस को निकाल ले ।आप की शिग्रफ तूफानी वटी त्यार है।आप इस को एक महीना हररोज एक गोली दूध से ले।आप को पहली गोली ही असर दिखाएगी।एक महीना लेने से आप की तमाम सेक्सुअली समस्या से आप को छुटकारा मिल जायेगा।आप में नया खून, नया जोश और चेहरे का रंग भी लाल सुर्ख हो जाता है।आप भी अपनी जिन्दगी नॉर्मल खुशी खुशी बतीत कर पाएंगे ।अगर आप की वैवाहिक जिन्दगी खुस है तो आप के पास सब कुछ है।
इस के शक्तिशाली प्रभाव, ताकत और ऊर्जा को वह व्यक्ति ही महसूस कर सकता है यो इस का सेवन करेगा।

Thursday, October 12, 2023

पुराना जुकाम

 🥶 पुराना जुकाम 

⿡ 5 ग्राम सोंठ 1 लीटर पानी में उबालें । दिन में 3 बार यह गुनगुना करके पीने से पुराने जुकाम में लाभ होता है ।


⿢ पीने के पानी में सोंठ का टुकड़ा डालकर वह पानी पीते रहने से पुराना जुकाम ठीक होता है । ( सोंठ के टुकड़े को प्रतिदिन बदलते रहें । )


▪सर्दी – जुकाम : 5 ग्राम सोंठ चूर्ण, 10 ग्राम गुड़ और 1 चम्मच घी को मिलालें । इसमें थोडा -सा पानी डालके आग पर रखके रबड़ी जैसा बना लें । प्रतिदिन सुबह लेने से 3 दिन में ही सर्दी – जुकाम मिट जाता है ।


⛔ सावधानी – रक्तपित्त की व्याधि में तथा पित्त प्रकृतिवाले ग्रीष्म व शरद ऋतु में सोंठ का उपयोग न करें ।




Chronic Cold



⿡ Boil 5 grams of dry ginger in 1 liter of water. Drinking this lukewarm 3 times a day provides relief in chronic cold.



⿢ Adding a piece of dry ginger in drinking water and drinking that water cures chronic cold. (Keep changing the dry ginger pieces daily.)



▪Cold: Mix 5 grams of dry ginger powder, 10 grams of jaggery and 1 spoon of ghee. Add some water to it and put it on fire to make it like rabri. By taking it every morning, cold and cough disappear within 3 days.

⛔ Caution – Do not use dry ginger in case of biliousness and in summer and autumn due to bile nature.

Wednesday, October 11, 2023

Special for Wright Loss

 Special for Wright Loss 

By. Saint Dr. Gurmeet Ram Rahim Singh ji Insan  

सुबह उठ कर हल्का (सर्दियों में ) गुनगुना पानी एक से दो गिलास पीना है ! (गर्मियों में रूम Temperature )

उस के बाद फ्रेश आदि हो कर,  कम से कम दो किलोमीटर जोगिंग करनी है  !

सुबह खाने में अपने वजन का 10% हिस्सा Fruit (फल ) लेने है इस में आम और केला (फैट वाले फल) नहीं लेना है ! 

दोपहर को खाने से 30 मिनट पहले एक बड़ी  प्लेट सलाद की लें  उस के बाद खाना खाना है 

फिर श्याम को केवल सलाद खाना है और कुछ नहीं खाना है 

इससे आप बिना डाइटिंग और बिना किसी दवाई के अपना  वजन कम कर सकते है   

पित्ताशय की पथरी का घरेलू उपचार

 Home Remedies for Gall bladder Stone

पित्त की पथरी यानि गॉलस्टोन छोटे पत्थर होते हैं, जो पित्ताशय की थैली में बनते हैं। पित्त की पथरी लीवर के नीचे होती है। पित्त की पथरी बहुत दर्दनाक हो सकता है यदि इसका समय पर इलाज नहीं किया गया तो इसे निकालने के लिए एक ऑपरेशन की आवश्यकता हो सकती है। आपको बता दें कि पित्ताशय में जब कोलेस्ट्रोल जमने लगता है या फिर सख्त होने लगता है, तो हमें अक्सर पथरी की शिकायत हो जाती है। ऐसे में रोगी को असहनीय दर्द का सामना करना पड़ता है और साथ में खाना पचने में भी दिक्कत आने लगती है।


लीवर और गॉल ब्लैडर के बीच बाइल डक्ट नामक एक छोटी-सी नली होती है, जिसके माध्यम से यह पित्त को गॉलब्लैडर तक पहुंचाता है। जब व्यक्ति के शरीर में भोजन जाता है तो यह ब्लैडर पित्त को पिचकारी की तरह खींच कर उसे छोटी आंत के ऊपरी हिस्से में भेज देता है, जिसे डुओडेनियम कहा जाता है। इससे पाचन क्रिया की शुरुआत हो जाती है।

Gallbladder stone

Contents

1 पित्ताशय की पथरी क्या होता है (What is Gall Bladder Stone)

2 गॉल ब्लैडर स्टोन क्यों होता है (Causes of Gall Bladder Stone)

3 पित्ताशय में पथरी होने के लक्षण (Symptoms of Gall Bladder Stone)

4 पित्ताशय में पथरी होने से कैसे बचा जा सकता है (Prevention of Gall Bladder Stone)

5 पथरी निकालने के बाद कौन-सी बातों का ध्यान देना चाहिए (Prevention after removing Gall Bladder Stone)

6 पित्ताशय की पथरी होने के साइड इफेक्ट (Side Effect of Gall Bladder Stone)

7 पित्ताशय की पथरी का घरेलू उपचार (Home Remedies for Gall Bladder Stone)

7.1 एप्पल सिडार विनेगार पित्ताशय की पथरी निकालने में फायदेमंद (Apple Cider Vinegar Beneficial for Gall Bladder Stone Treatment)

7.2 नाशपाती पित्ताशय की पथरी निकालने में फायदेमंद (Pear Beneficial for Gall Bladder Stone Treatment)

7.3 चुकंदर, खीरा और गाजर का रस पित्ताशय की पथरी निकालने में फायदेमंद (Beetroot Mixture Beneficial for Gall Bladder Stone Treatment)

7.4 सिंहपर्णी पित्ताशय की पथरी निकालने में फायदेमंद (Dandelion Beneficial for Gall Bladder Stone Treatment)

7.5 पुदीना पित्ताशय की पथरी निकालने में फायदेमंद (Mint Beneficial for Gall Bladder Stone Treatment)

7.6 इसबगोल पित्ताशय की पथरी निकालने में फायदेमंद (Isabgol Beneficial for Gall Bladder Stone Treatment)

7.7 नींबू पित्ताशय की पथरी निकालने में फायदेमंद (Lemon Beneficial for Gall Bladder Stone Treatment)

7.8 लाल शिमला मिर्च पित्ताशय की पथरी निकालने में फायदेमंद (Red Capsicum Beneficial for Gall Bladder Stone Treatment)

7.9 साबुत अनाज पित्ताशय की पथरी निकालने में फायदेमंद (Grain Beneficial for Gall Bladder Stone Treatment)

7.10 हल्दी पित्ताशय की पथरी निकालने में फायदेमंद (Turmeric Beneficial for Gall Bladder Stone Treatment)

7.11 विटामिन सी पित्ताशय की पथरी निकालने में फायदेमंद (VitaminC Beneficial for Gall Bladder Stone Treatment)

8 डॉक्टर के पास कब जाना चाहिए ? (When to See a Doctor?)

पित्ताशय की पथरी क्या होता है (What is Gall Bladder Stone)

पाचन के लिए आवश्यक एंजाइम को सुरक्षित रखने वाले महत्वपूर्ण अंग यानी पित्ताशय से जुड़ी सबसे प्रमुख समस्या यह कि इसमें स्टोन बनने की आशंका बहुत अधिक होती है, जिन्हें गॉलस्टोन कहा जाता है। दरअसल जब गॉलब्लैडर में तरल पदार्थ की मात्रा सूखने लगती है तो उसमें मौजूद चीनी-नमक और अन्य माइक्रोन्यूट्रिएट तत्व एक साथ जमा होकर छोटे-छोटे पत्थर के टुकड़ों जैसा रूप धारण कर लेते हैं, जिन्हें गॉलस्टोन्स कहा जाता है।


कभी-कभी पित्ताशय में कोलेस्ट्रोल, बिलीरुबिन और पित्त लवणों का जमाव हो जाता है। 80 प्रतिशत पथरी कोलेस्ट्रोल की बनी होती है। धीरे-धीरे वे कठोर हो जाती हैं तथा पित्ताशय के अंदर पत्थर का रूप ले लेती है। कोलेस्ट्रॉल स्टोन पीले-हरे रंग के होते हैं।


जब ब्लैडर में ब्लैक या ब्राउन कलर के स्टोन्स नजर आते हैं तो उन्हें पिगमेंट स्टोन्स कहा जाता है। कई बार गॉल ब्लैडर में अनकॉन्जुगेटेड बिलिरुबिन नामक तत्व का संग्रह होने लगता है तो इससे पिगमेंट स्टोन्स की समस्या होती है। गॉलब्लैडर में गड़बड़ी की वजह से कई बार पित्त बाइल डक्ट में जमा होने लगता है, इससे लोगों को जॉन्डिस भी हो सकता है। अगर आंतों में जाने के बजाय बाइल पैनक्रियाज़ में चला जाए तो इससे क्रॉनिक पैनक्रिएटाइटिस नामक गंभीर समस्या हो सकती है। अगर सही समय पर उपचार न कराया जाए तो इससे गॉलब्लैडर में कैंसर भी हो सकता है।


पित्त में पथरी का बनना एक भयंकर पीड़ादायक रोग है। पित्त में कोलेस्ट्रॉल और पिग्मेंट नामक दो तरह की बनती है। लेकिन लगभग 80 प्रतिशत पथरी कोलेस्ट्रॉल से ही बनती है। पित्त लिवर में बनता है और इसका संग्रह गॉल ब्लैडर में होता है। यह पित्त फैट युक्त भोजन को पचाने में मदद करता है। लेकिन जब पित्त में कोलेस्ट्रॉल और बिलरुबिन की मात्रा ज्यादा हो जाती है, तो पथरी का निर्माण होता है।


गॉल ब्लैडर स्टोन क्यों होता है (Causes of Gall Bladder Stone)

पित्ताशय में पथरी का अभी तक कोई कारण सिद्ध नहीं हुआ है और यह किसी भी उम्र में हो सकता है। कुछ फैक्टर हैं जो गॉलस्टोन्स की संभावना को बढ़ा सकते हैं जैसे कि-


-मधुमेह या डायबिटीज (Diabetes)

मोटापा (Obesity)

-गर्भधारण (Pregnancy)

-मोटापे की सर्जरी के बाद (Post bariatric surgery)

-कुछ दवाओं का सेवन

-लंबे समय से किसी बीमारी के ग्रस्त होने के कारण

इसके सिवा और भी कारण होते हैं-

ब्रेड, रस्क और अन्य बेकरी उत्पाद- बेकरी में बने उत्पाद जैसे- ब्रेड, मफिन्स, कुकीज, कप केक आदि का सेवन पित्ताशय के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। दरअसल इन फूड्स में सैचुरेटेड और ट्रांस फैट की मात्रा बहुत ज्यादा होती है और इनमें से ज्यादातर फूड्स मैदे से बने होते हैं। अगर आपको गॉल ब्लैडर से संबंधित कोई रोग है, तो इन उत्पादों का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए। इसकी जगह पर आप मोटे अनाज से बने आहारों का सेवन करें।


ज्यादा प्रोटीन भी है खतरनाक-अगर आपको अपने गॉल ब्लैडर को स्वस्थ रखना है, तो जानवरों में पाये जाने वाले प्रोटीन मात्रा सीमित कर देनी चाहिए। दरअसल जानवरों में पाए जाने वाले प्रोटीन से कैल्शियम स्टोन और यूरिक एसिड स्टोन के होने का खतरा बढ़ जाता है। मछली, मांस में प्रोटीन के साथ कैल्शियम की मात्रा अधिक होती है, इसलिए इनका सेवन बहुत अधिक नहीं करें। अगर आपको गॉल ब्लैडर या किडनी में पथरी है, तब तो इनका सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए।


मीठी चीजों का सेवन-मीठी चीजों में रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट काफी मात्रा में पाया जाता है। इसके साथ ही चीनी के ज्यादा सेवन से कोलेस्ट्रॉल गाढ़ा होता है, जिससे दिल के रोगों के साथ-साथ गॉल ब्लैडर में पथरी का खतरा भी बढ़ जाता है। इसलिए मीठी चीजों का बहुत अधिक सेवन नहीं करना चाहिए।


गर्भनिरोधक दवाएँ -ज्यादा मात्रा में या जल्दी-जल्दी गर्भनिरोधक दवाओं का प्रयोग करने वाली महिलाओं में भी गॉल ब्लैडर की समस्या काफी पाई जाती है। इसलिए महिलाओं को चाहिए कि दवाओं के बजाय अन्य प्रकार के गर्भनिरोधक उपायों को अपनाएं, क्योंकि दवाओं का ज्यादा सेवन उन्हें गॉल ब्लैडर में पथरी का मरीज बना सकता है। इसके अलावा इन दवाओं का किडनी और लीवर पर भी बुरा असर पड़ता है।


कॉफी-अगर आप कॉफी का ज्यादा सेवन करते हैं, तो भी आपको गॉल ब्लैडर की समस्या का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए जिन लोगों को गॉल ब्लैडर में पहले ही पथरी या अन्य कोई शिकायत है, उन्हें कॉफी का सेवन बिल्कुल बंद कर देना चाहिए। जो लोग स्वस्थ हैं, वो दिन में एक या दो कॉफी पी सकते हैं मगर इससे ज्यादा कॉफी का सेवन नहीं करना चाहिए।


सोडा का सेवन-पथरी होने पर पानी का अधिक सेवन करने की सलाह दी जाती है, लेकिन कुछ पेय पदार्थ ऐसे भी होते हैं जो पथरी होने पर नहीं पीना चाहिए। स्टोन होने पर सोडा का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए, इसमें फॉस्फोरिक एसिड होता है जो स्टोन के खतरे को बढ़ाता है।


पित्ताशय में पथरी होने के लक्षण (Symptoms of Gall Bladder Stone)

Gallbladder stone symptoms


कई बार पित्त की थैली में पथरी बिना किसी लक्षण के होती है और कई बार कुछ लक्षणों को दर्शाते हुए भी होती है। पित्त की थैली में पथरी होने पर कुछ खास लक्षण दृष्टिगोचर होते हैं-


-बदहजमी

-खट्टी डकार

-पेट फुलाना

-एसिडिटी

-पेट में भारीपन

-उल्टी

-पसीना आना जैसे लक्षण नजर आते हैं।


पित्ताशय में पथरी होने से कैसे बचा जा सकता है (Prevention of Gall Bladder Stone)

पित्ताशय में पथरी से बचने के लिए जीवनशैली और आहार में बदलाव लाना आवश्यक होता है। जैसे-


आहार


–गाजर और ककडी का रस को 100 मि.ली. की मात्रा में मिलाकर दिन में दो बार पीने से पित्त की पथरी में लाभ होता है।


-सुबह खाली पेट 50 मि.ली. नींबू का रस पीने से एक सप्ताह में लाभ होता है।

-शराब, सिगरेट, चाय, कॉफी तथा शक्कर युक्त पेय हानिकारक है। इनसे जितना हो सके बचने की कोशिश करें।

-नाशपाती पित्त की पथरी में फायदेमंद होती है, इसे खूब खायें। इसमें पाये जाने वाले रासायनिक तत्वों से पित्ताशय के रोग दूर होते हैं।

-विटामिन-सी अर्थात् एस्कोर्बिक एसिड के प्रयोग से शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत बनती है। यह कोलेस्ट्रॉल को पित्त में बदल देता है। इसकी तीन से चार गोली रोज लेने पर पथरी में लाभ होता है।

-पित्त पथरी के रोगी भोजन में अधिक से अधिक मात्रा में हरी सब्जियां और फल लें। इनमें कोलेस्ट्रॉल कम मात्रा में होता है और प्रोटीन की जरूरत भी पूरी करते हैं।

-तली और मसालेदार चीजों से दूर रहें और संतुलित भोजन ही करें।

-खट्टे फलों का सेवन करें। इनमें मौजूद विटामिन-सी गॉलब्लैडर की पथरी दूर करने के लिए काफी मददगार साबित होता है।

-रोजाना एक चम्मच हल्दी का सेवन करने से पथरी दूर होती है।

खाने से परहेज करनी चाहिए-

पित्त की पथरी होने पर चिकित्सकों ने आहार से अण्डों को हटाने का सुझाव दिया है। उनके अनुसार इसमें काफी कोलेस्ट्रॉल होता है जो पित्ताशय में पथरी का कारण बनता है।


-यदि आपको तली हुई चीजें खाना पसंद है तो उसे तुरन्त छोड़ दीजिए। यह न केवल सेहत को नुकसान पहुंचाते हैं बल्कि इससे पित्त की पथरी की समस्या और भी बढ़ सकती है। इसलिए आप कोशिश करें कि ज्यादा तली हुई चीजें न खाएं। आपको बता दें कि तली हुई खाद्य पदार्थ में हाइड्रोजनीकृत वसा, ट्रांस वसा और सेचुरेटेड वसा होती है जो आपकी पित्ताशय के दर्द को बढ़ा सकता है। तलने के लिए स्वस्थ विकल्प के रूप में आप जैतून या कैनोला तेल का उपयोग करें।


-पित्त की पथरी में परहेज की बात करें तो आपको मांसाहारी से भी परहेज करना चाहिए जैसे, मीट, लाल मांस, सूअर का मांस और चिकन आदि। इसके अलावा आप तैलीय मदली भी न खाएं।


-प्रोसेस्ड फूड के पीछे लोग क्यों भाग रहें हैं इसकी एक वजह यह भी है कि ये खाने में अच्छे लगते हैं और इसे बनाने के लिए ज्यादा मेहनत भी नहीं करनी पड़ती। लेकिन इसका स्वाद हमारे शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है। यह न केवल शरीर के पाचन तंत्र को खराब कर सकता है बल्कि पित्त की पथरी की समस्या को भी बढ़ा सकता है। आमतौर पर ट्रांस फैटी एसिड, पैकेज्ड फूड में मौजूद होते हैं जो पित्त की पथरी के लक्षणों को बढ़ाने का काम करते हैं। आप चिप्स, कुकीज, डोनट्स, मिठाई या मिश्रित पैक वाले खाद्य पदार्थों से बचें।


-पित्त की पथरी होने पर आप परिष्कृत अवयव वाले खाद्य पदार्थ से दूरी बनाएं। व्हाइट ब्रेड, परिष्कृत आटा पास्ता, सफेद चावल और परिष्कृत चीनी ये सभी चीजें फैट का रूप ले लेती है, जो पित्त में कोलेस्ट्रॉल में वृद्धि कर सकती है।


-पित्त की पथरी की समस्या है तो आप वसा वाले डेयरी उत्पादों का सेवन मत कीजिए। दूध, पनीर, दही, आइसक्रीम, भारी क्रीम और खट्टा क्रीम में उच्च स्तर के फैट होते हैं, जो पित्त की पथरी को बढ़ाने का काम करते हैं। अपने आहार में डेयरी की मात्रा कम करने की कोशिश करें या कम वसा वाले दूध को चुनें।


-पित्त की पथरी में परहेज के लिए या आपको अपने पित्ताशय की थैली की रक्षा करने के लिए कुछ खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए। सबसे बड़ी समस्या उच्च वसा वाले खाद्य पदार्थ और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ से हैं। इसलिए इनसे दूरी बनाकर रखें। खाद्य पदार्थ जैसे वनस्पति तेल और मूंगफली का तेल चिकना या तला हुआ होता है, इन्हें छोड़ना अधिक मुश्किल होता है और इससे पित्ताशय की थैली की समस्या हो सकती है। प्रोसेस्ड या व्यावसायिक रूप से बेक्ड उत्पादों की तरह ट्रांस वसा वाले खाद्य पदार्थ, पित्ताशय की थैली के स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं। सफेद पास्ता, ब्रेड और शुगर जैसे परिष्कृत सफेद खाद्य पदार्थों से बचें, ये आपके पित्ताशय की थैली को नुकसान पहुंचा सकते हैं। आपको शराब और तंबाकू से भी बचना चाहिए।


-पित्त की पथरी में अम्लीय फूड नहीं खाना चाहिए। खाद्य पदार्थ जो अम्लीय होते हैं, जैसे कि खट्टे फल, कॉफी और टमाटर सॉस न केवल आपके पेट के लिए जलन पैदा कर सकते हैं बल्कि इससे आपको पित्त की पथरी भी हो सकती है।


खाना चाहिए- 

फल और सब्जियों की अधिक मात्रा।


-स्टार्च युक्त कार्बोहाइड्रेट्स की अधिक मात्रा। उदाहरण के लिए ब्रेड, चावल, दालें, पास्ता, आलू, चपाती और प्लान्टेन (केले जैसा आहार)। जब सम्भव हो तब साबुत अनाजों से बनी वस्तुएं लें।


-थोड़ी मात्रा में दूध और डेयरी प्रोडक्ट लें। कम फैट वाले डेयरी प्रोडक्ट लें।


-कुछ मात्रा में जैसे फलियाँ और दालें।


-वनस्पति तेलों जैसे सूरजमुखी, रेपसीड और जैतून का तेल, एवोकाडो, मेवों और गिरियों में पाए जाने वाली असंतृप्त वसा।


-रेशे की अधिकता से युक्त आहार ग्रहण करें। यह फलियों, दालों, फलों और सब्जियों, जई और होलवीट उत्पादों जैसे ब्रेड, पास्ता और चावल में पाया जाता है।


-तरल पदार्थ अधिक मात्रा में लें, जैसे कि पानी या औषधीय चाय आदि का प्रतिदिन कम से कम दो लीटर सेवन करें।


जीवनशैली-

योग और व्यायाम-नियमित व्यायाम रक्त ऊतकों में कोलेस्ट्रॉल को घटाता है, जो कि पित्ताशय की समस्या उत्पन्न कर सकता है। प्रतिदिन तीस मिनट तक, सप्ताह में पांच बार, अपेक्षाकृत मध्यम मात्रा की शारीरिक सक्रियता, व्यक्ति के पित्ताशय की पथरी के उत्पन्न होने के खतरे पर अत्यधिक प्रभावी होती है।


योग-पित्ताशय की पथरी के उपचार के लिए जिन योगासनों का अभ्यास करना चाहिए, वह हैं-


-सर्वांगासन

-शलभासन

-धनुरासन

-भुजंगासन

पथरी निकालने के बाद कौन-सी बातों का ध्यान देना चाहिए (Prevention after removing Gall Bladder Stone)

-सर्जरी के पहले पांच घण्टे पीने की अनुमति नहीं है। फिर आप प्रतिदिन 0.5 लीटर तक, हर 20 मिनट में गैर-कार्बोनेटेड पेयजल के एक-दो सिप पी सकते हैं। ऑपरेशन के एक दिन बाद, आप कॉफी, चाय, मीठे और कार्बोनेटेड पेय, अल्कोहल को छोड़कर, सामान्य पेय व्यवस्था जारी रख सकते हैं।


-आहार पर तीन दिनों से पानी पर ग्रेटेड पॉरेज, मैश किए हुए आलू, कम वसा वाले योग, कम वसा वाले कॉटेज पनीर, बेक्ड ग्राउंड ग्रेटिड सेब के रूप में उबले हुए सब्जियां शामिल हैं। पांचवे दिन आप उन्हें 100 ग्राम सफेद रोटी क्रूटोंस जोड़ सकते हैं। पहले सप्ताह के अंत तक, दूध के साथ तरल अनाज, मैश किए हुए केले की अनुमति है।


-इसके अलावा, पित्ताशय की थैली हटाने के बाद, परहेज डेढ़ महीने तक जारी रहता है। इसका मुख्य सिद्धांत यह है कि व्यंजनों को उबला हुआ या उबला जाना चाहिए, छोटे हिस्सों में भोजन, दिन में पांच-छ बार खाने की आवृत्ति। सभी धूम्रपान उत्पादों, मसालेदार उत्पाद, मसालेदार और डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों को बाहर रखा गया है।


उबला हुआ सॉसेज, शहद, हल्के पनीर, ताजा खट्टा क्रीम, ताजे फल और जामुन का स्वाद ले सकते हैं। चीनी के बजाय, स्वीटर्स का उपयोग करना बेहतर होता है। इस आहार को तालिका एन 5/हेपेटिक/कहा जाता है और इसे तीन महीने का पालन करने की आवश्यकता होगी। भविष्य में, गैस्ट्रोएंटरोलॉजिस्ट की अनुमति के साथ, आहार धीरे-धीरे विस्तारित होता है, लेकिन फिर भी मसालेदार और डिब्बाबंद व्यंजनों को धूम्रपान किया जाता है, मसालेदार उत्पादों को त्याग दिया जाना चाहिए। यकृत के पित्त कार्य को बेहतर बनाने के लिए, सब्जी फाइबर का उपयोग करना आवश्यक होता है। कच्ची सब्जियां और फल, वनस्पति तेल उपयोगी होते हैं। शराब बाहर रखा गया है।


पित्ताशय की पथरी होने के साइड इफेक्ट (Side Effect of Gall Bladder Stone)

हालांकि पित्ताशय की थैली के सर्जरी के बाद पाचन समस्याएं ज्यादा होती हैं, इसके अलावा दस्त, कब्ज की परेशानी भी होती हैं।


-फैटी खाद्य पदार्थों को पचाने में कठिनाई- सर्जरी के पहले महीने में कुछ लोगों को फैटी खाद्य पदार्थों को पचाने में थोड़ा मुश्किल होता है। कम वसा वाले आहार खाने से मदद मिल सकती है।


-अस्थायी दस्त- पित्ताशय, डाइजेस्टिव ट्रैक्ट से आने वाले बेकार तत्वों और लीवर से आने वाले बाइल को स्टोर करता है। जब पित्ताशय निकल जाता है तो लीवर से निकलने वाला बाइल सीधे छोटी आंतों में चला जाता है। पित्ताशय के न होने से छोटी आंत में इसके आने से लीवर और उसके बीच की प्रक्रिया में कुछ समय के लिए दिक्कत आती है। जिसकी वजह से कई बार रोगी को डायरिया भी हो  जाता है। इसे क्लेसिस्टॉमी सिंड्रोम भी कहा जाता है, जो कि पित्ताशय निकलने के बाद कुछ दिनों तक रहता है।


-अस्थायी कब्ज- कुछ लोग पित्ताशय की थैली सर्जरी के बाद वे दर्द दवाओं से कब्ज हो जाते हैं। एक आहार जो फाइबर में समृद्ध हैं- सेम, ब्रान, पूरे अनाज, फल और सब्जियां रोकथाम और कब्ज से छुटकारा पाने में मदद कर सकते हैं।


-पित्त नली में पथरी-कुछ मामलों में, पित्ताशय की थैली सर्जरी के बाद आपके सामान्य पित्त नलिका में पत्थर बने रहेंगे। यह आपकी छोटी आंत में पित्त के प्रवाह को अवरुद्ध कर सकता है और इसके परिणामस्वरूप सर्जरी के तुरन्त बाद दर्द, बुखार, मतली, उल्टी, सूजन, और पीलिया हो सकता है। आपको अपने सामान्य पित्त नलिका में बनाए गए गैल्स्टोन को हटाने के लिए एक अतिरिक्त प्रक्रिया की आवश्यकता हो सकती है।

आंतों की चोट- हालांकि यह दुर्लभ है, आपके पित्ताशय की थैली सर्जरी के दौरान उपयोग किए जाने वाले यंत्र आपकी आंतों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। सर्जरी के दौरान इस जटिलता के जोखिम को कम करने के लिए डॉक्टर उपाय करेंगे। यदि ऐसा होता है तो आपको पेट दर्द, मतली, उल्टी और बुखार का अनुभव हो सकता है।


इसके अलावा गॉल ब्लाडैर स्टोन होने के साइड इफेक्ट के कारण दूसरे बीमारी के होने का संकेत होता है-


-पित्ताशय में पथरी होने से पीलिया और गंभीर सर्जिकल स्थिति भी उभर सकती है।


-इससे संक्रमण, मवाद बनने और गॉल ब्लैडर में छेद होने के कारण पेरिटनाइटिस (पेट की झिल्ली का रोग) भी सकता है।


-पेनक्रियाटाइटिस जैसी जानलेवा स्थिति भी उत्पन्न हो सकती है।


-गॉल ब्लैडर में कैंसर हो सकता है। इस स्टोन से पीड़ित मरीजों के 6 से 18 प्रतिशत मामलों में आजीवन कैंसर पनपने का खतरा रहता है जो खासतौर पर उत्तर भारत में ज्यादा देखे गए हैं।


-बड़ी पथरियों से पीड़ित मरीजों में कैंसर विकसित होने की आंशका ज्यादा रहती है जबकि छोटी पथरियों से पीड़ितों में पीलिया या पेनक्रियाटाइटिस के मामले ज्यादा होते हैं।


पित्ताशय की पथरी का घरेलू उपचार (Home Remedies for Gall Bladder Stone)

आम तौर पर पित्ताशय की पथरी के लिए घरेलू नुस्ख़ो का ही ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है-


एप्पल सिडार विनेगार पित्ताशय की पथरी निकालने में फायदेमंद (Apple Cider Vinegar Beneficial for Gall Bladder Stone Treatment)

सेब डॉक्टर को दूर रखने में मदद करता है। इसलिए एक गिलास सेब के रस में सेब साइडर सिरका का एक बड़ा चम्मच मिलाकर नियमित रूप दिन में एक बार सेवन करना चाहिए। सेब में मोलिक एसिड होता है जो पित्त पथरी नरमी में सहायता करता है और सिरका पत्थर के कारण कोलेस्ट्रॉल बनाने से लीवर को रोकता है। यह एक पित्त की पथरी के हमले के दौरान दर्द को कम करने के लिए एक त्वरित उपाय है।


नाशपाती पित्ताशय की पथरी निकालने में फायदेमंद (Pear Beneficial for Gall Bladder Stone Treatment)

नाशपाती में पेक्टिन नामक यौगिक होता है जो कोलेस्ट्रॉल से बनी पथरी को नरम बनाता है ताकि वे शरीर से आसानी से बाहर निकल सकें। वे पथरी के कारण होने वाले दर्द तथा अन्य लक्षणों से आराम दिलाने में सहायक होता है।


चुकंदर, खीरा और गाजर का रस पित्ताशय की पथरी निकालने में फायदेमंद (Beetroot Mixture Beneficial for Gall Bladder Stone Treatment)

पित्ताशय की थैली को साफ और मजबूत करने और लीवर की सफाई के लिए चुकंदर का रस, ककड़ी का रस और गाजर के रस को बराबर मात्रा में मिलाये। यह संयोजन आपको पेट और खून की सफाई में भी मदद करता है। खीरे में मौजूद उच्च पानी सामग्री और गाजर में विटामिन-सी की उच्च मात्रा मूत्राशय से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालती है।


सिंहपर्णी पित्ताशय की पथरी निकालने में फायदेमंद (Dandelion Beneficial for Gall Bladder Stone Treatment)

सिंहपर्णी के पत्ते लीवर और मूत्राशय के कामकाज में सहायता, पित्त उत्सर्जन को बढ़ावा और विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करते हैं। एक कप पानी में एक बड़ा चम्मच सिंहपर्णी के पत्तों को मिलाये। फिर इसे अवशोषित करने के लिए पांच मिनट के लिए रख दें। अब इसमें एक चम्मच शहद मिलायें। मधुमेह रोगियों को इस उपचार से बचना चाहिए।


पुदीना पित्ताशय की पथरी निकालने में फायदेमंद (Mint Beneficial for Gall Bladder Stone Treatment)

Mint- Home remedies for Gall Bladderstone


यह पित्त तथा अन्य पाचक रसों को बढ़ाता है। इसमें टेरपिन नामक यौगिक पाया जाता है जो प्रभावी रूप से पथरी को तोड़ता है। आप पुदीने की पत्तियों को उबालकर पिपरमेंट टी भी बना सकते हैं।


इसबगोल पित्ताशय की पथरी निकालने में फायदेमंद (Isabgol Beneficial for Gall Bladder Stone Treatment)

एक उच्च फाइबर आहार, पित्ताशय की थैली की पथरी के इलाज के लिए बहुत आवश्यक है। इसबगोल घुलनशील फाइबर का अच्छा स्रोत होने के कारण पित्त में कोलेस्ट्रॉल को बांधता है और पथरी के गठन को रोकने में मदद करता है। आप इसे अपने अन्य फाइबर युक्त भोजन के साथ या रात को बिस्तर पर जाने से पहले एक गिलास पानी के साथ ले सकते हैं।

नींबू पित्ताशय की पथरी निकालने में फायदेमंद (Lemon Beneficial for Gall Bladder Stone Treatment)

नींबू का रस प्रकृतिक रूप से अम्लीय होने के कारण यह सिरके की तरह कार्य करता है और लीवर में कोलेस्ट्रॉल को बनने से रोकता है। हर रोज खाली पेट चार नींबू का रस लें। इस प्रक्रिया को एक हफ्ते तक अपनाएं। इससे पथरी की समस्या आसानी से दूर हो सकती है।


लाल शिमला मिर्च पित्ताशय की पथरी निकालने में फायदेमंद (Red Capsicum Beneficial for Gall Bladder Stone Treatment)

2013 में हुए एक अध्ययन के अनुसार, शरीर में भरपूर मात्रा में विटामिन-सी पथरी की समस्या कम करता है। एक लाल शिमला मिर्च में लगभग 95 मिलीग्राम विटामिन-सी होता है, यह मात्रा पथरी को रोकने के लिए काफी होती है। इसलिए अपने आहार में शिमला मिर्च को शामिल करें।


साबुत अनाज पित्ताशय की पथरी निकालने में फायदेमंद (Grain Beneficial for Gall Bladder Stone Treatment)

पानी में घुलनशील फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों जैसे साबुत अनाज और अन्य अनाज को अपने आहार में भरपूर मात्रा में शामिल करें। फाइबर कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड के स्तर को कम कर स्वाभाविक रूप से पथरी को बनने से रोकने में मदद करते हैं।

हल्दी पित्ताशय की पथरी निकालने में फायदेमंद (Turmeric Beneficial for Gall Bladder Stone Treatment)

Haldi- Home remedies for Gallbladder Stone


पित्ताशय की पथरी के लिए यह एक उत्तम घरेलू उपचार है। यह एंटी ऑक्सीडेंट और एंटी इंफ्लेमेट्री (प्रदाहनाशक) होती है। हल्दी पित्त, पित्त यौगिकों और पथरी को आसानी से तोड़ने में मदद करती है। ऐसा माना जाता है कि एक चम्मच हल्दी लेने से लगभग 80 प्रतिशत पथरी खत्म हो जाती है।


विटामिन सी पित्ताशय की पथरी निकालने में फायदेमंद (VitaminC Beneficial for Gall Bladder Stone Treatment)

विटामिन-सी शरीर के कोलेस्ट्रॉल को पित्त अम्ल में परिवर्तित करती है जो पथरी को तोड़ता है। आप विटामिन-सी संपूरक ले सकते हैं या ऐसे खाद्य पदार्थ खा सकते हैं जिनमें विटामिन-सी प्रचुर मात्रा में हो जैसे संतरा, टमाटर आदि। पथरी के दर्द के लिए यह एक उत्तम घरेलू उपाय है।


डॉक्टर के पास कब जाना चाहिए ? (When to See a Doctor?)

पेट में दर्द इतना तेज होता है कि आप सीधे नहीं बैठ सकें। त्वचा और आंखों के सफेद भाग का पीला पड़ जाना। पेट में दर्द के साथ ठण्ड लगकर तेज बुखार आना या उल्टी आने जैसे लक्षण दृष्टिगोचर होने पर डॉक्टर के पास जायें।


सर्दी स्पेशल

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